यह है मामला
प्रतापी के दो पुत्र हैं, दोनों की शादी हो चुकी है। बड़ा लड़का पूनीराम गमेती मेहनत मजदूरी करता है तथा अपने परिवार को लेकर प्रतापी से अलग रहता है। दूसरे बेटे का नाम पप्पू है, वह कथिततौर पर दिमाग से कमजोर है। उसकी पत्नी सुशीला की हालत भी कुछ वैसी ही है। पप्पू के एक आठ वर्ष की बेटी है अंशी, जो जन्म से ही पोलियो ग्रसित बताई जाती है, हालांकि उसे क्या बीमारी है इसकी अभीतक जांच नहीं हुई है। पप्पू और उसकी पत्नी करीब चार माह से अंशी को दादी प्रतापी के पास छोड़कर लापता हैं। ऐसे में नित्यक्रिया से लेकर उसके पालन-पोषण की सारी जिम्मेदारी प्रतापी के बूढ़े कंधों पर है। अब उसे यह चिंता भी सताती है कि उसकी मौत के बाद अंशी का क्या होगा।
उपचार के लिए नहीं है पैसे
प्रतापी की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। अन्त्योदय कार्ड से खाने केलिए राशन मिलता है तथा विधवा पेंशन से जैसे-तैसे अन्य खर्च चलाती है। ऐसे में अंशी के उपचार केलिए न तो उसके पास पैसे हैं और न ही वह उसे ले जाने में सक्षम है।
नहीं पिलाई पोलियो की दवा
बस्ती वालों का आरोप है कि यहां नियमित रूप से पोलियो की दवा नहीं पिलाई जाती। इससे अंशी पोलियो ग्रसित हुई है। अगर उसे समय पर दवा की खुराक दी गई होती तो वह स्वस्थ्य होती।
चार माह से माता-पिता लापता
प्रतापी का कहना है कि अंशी के माता-पिता मानसिक रूप से कमजोर हैं, पिछले चार माह से यहां नहीं आ रहे, कोई कहता है कि ससुराल में है, कोईकहता है उदयपुर में हैं। ऐसे में वह काफी परेशान है।
सारा दिन पड़ी रहती है अंशी
प्रतापी ने बताया कि उसका शरीर पोलियो ग्रसित हैं। वह अपने बूते उठ बैठ भी नहीं पाती। कहीं ले जाना हो तो कंधे पर उठाना पड़ता है। प्रतापी बड़ी मुश्किल से उसे नित्यक्रिया करवा पाती है।