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कोरोना का मॉनसून गया…मुसीबतों की बारिश थमती नहीं

locationराजसमंदPublished: Jun 21, 2021 10:04:32 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

पीड़ाहारक ही आज बन गई याचक : कोरोनाकाल में मुखियाओं की मौत से परिवार आए संकट में

कोरोना का मॉनसून गया...मुसीबतों की बारिश थमती नहीं

कोरोना का मॉनसून गया…मुसीबतों की बारिश थमती नहीं

कुंवारिया. एक छिपे हुए दुश्मन ने उनके घर में दस्तक दी। कोरोना वायरस ने चपेट में लिया भी तो सबसे ज्यादा जिम्मेदारी उठाए सदस्य को ही। बीमार होने के बाद मौत होने तक पीछा नहीं छोड़ा। वायरस भी चला गया, लेकिन अब छोड़ गया है उन घरों में मुश्किलों की महामारी। कोरोना की वजह से कुछ परिवारों के मुखियाओं के काळ के मुंह में समाने के बाद पीछे आश्रितों के सिर बड़ी दिक्कतें आ पड़ी हैं। घर में बूढ़े मां-बाप बचे, बेबस पत्नी और बच्चों की सिसकियां बची हैं। दाने-दाने को मोहताज हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम उनकी कोई मदद भी नहीं कर रहा है।
कोविड-१९ की दूसरी लहर में जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के कई युवाओं की अकाल मौत हुई है। इसी संकटकाल में पंचायत समिति राजसमंद की ग्राम पंचायत धांयला की बुजुर्ग सरपंच चुन्नीदेवी भील पर भी मुसीबत का पहाड़ टूटा और हंसते खेलते परिवार की खुशियां छीन गई।
गत मई में सरपंच के परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य उनके पुत्र माधुलाल भील की कोरोना संक्रमण के कारण गत 9 मई को एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। कमाऊ सदस्य की अकाल मौत के बाद अब यह परिवार मनरेगा में रोजगार और सरकारी योजनाओं के भरोसे रह गया है। इलाज के दौरान लगभग 153000 का हॉस्पिटल खर्च का कर्जा कैसे उतरेगा, यह चिंता पूरे परिवार को सता रही है। मृतक माधुलाल भील इस परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य था, जो जेतपुरा क्षेत्र की फैक्ट्री में नौकरी करके परिवार का गुजारा चलाता था। मृतक के परिवार में उसके बुजुर्ग पिता गोवर्धन लाल (60), सरपंच मां चुन्नी बाई (55), पत्नी डाली बाई (33) सहित चार छोटे छोटे बच्चे हैं। इनमें पुत्रियां रेखा (16) व पायल (7) एवं पुत्र महेन्द्र (12) व विक्रम (5) हैं। परिवार के मुख्य आधार स्तंभ के बेवक्त चले जाने से परिवार के गुजारे के साथ ही चारों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
किसी ने आकर नहीं पूछा हालचाल
धायला सरपंच के परिवार पर इस विपत्तियों के पहाड़ के टूटने के बावजूद किसी जनप्रतिपिधि, नेता या प्रशासनिक अधिकारी ने उनसे सम्पर्क तक नहीं किया है। ऐसे में यह सवाल सहज ही उठता है कि जब सरपंच की स्थिति यह है तो कोरोना महामारी में मौत का शिकार हुए सामान्य व्यक्तियों के परिवारों को कौन पूछेगा?
संघ करेगा राहत दिलाने का प्रयास
धांयला सरपंच के परिवार पर महामारी के कारण आए संकट में सरपंच संघ अपने स्तर पर भी सहयोग करेगा। पीडि़त परिवार को नियमानुसार राजकीय सहायता दिलाने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
संदीप श्रीमाली, जिलाध्यक्ष, सरपंच संघ, राजसमंद
जवान बेटे की मौत, बुजुर्ग मां-बाप और पत्नी और दो बच्चों पर आ पड़ा संकट
कुंवारिया. कस्बे के छापर वाले हनुमान मंदिर मार्ग पर रहने वाले 28 वर्षीय युवक ने 38 दिन तक चिकित्सालय में कोरोना महामारी से संघर्ष करते हुए 3 जून को दम तोड़ दिया, जिससे उसके मासूम बच्चों की परवरिश का सवाल खड़ा हो गया है। कुंवारिया निवासी भैरूलाल पुत्र नारूलाल भांड अप्रेल के अंतिम दिनों में अचानक तबीयत खराब होने पर चिकित्सालय में स्वास्थ्य की जांच कराने पहुंचे तो कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद 38 दिनों तक उदयपुर चिकित्सालय में उपचार चला और 3 जून को उसने दम तोड़ दिया। परिवार के कमाऊ सदस्य के उपचार में काफी खर्च होने के बाद अब यह परिवार आर्थिक संकट में भी फंस गया है। भैरूलाल की पत्नी अनीता, पुत्र कृष्णकांत व पुत्री रेणु के समक्ष गुजारे का संकट खड़ा हो गया है। मृतक भैरूलाल के पिता नारूलाल उम्र (62) तथा मां पारस देवी (58) मजदूरी करके फिलहाल जैसे-तैसे खर्चा चला रहे हैं। मृतक के पिता नारूलाल ने बताया कि घर की माली हालत काफी खराब है एवं चिकित्सालय में भी उपचार के दौरान काफी रुपए खर्च हो चुके हैं। ऐसे में सरकार से सहायता मिल जाए तो मासूम बच्चों के गुजर-बसर की चिंता दूर हो सकती है।
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