कमरे में सिमटी दुनिया…
डॉ. अनमोल पगारिया बताते हैं कि डिजिटल खेलों के बढऩे से बच्चों की दुनिया कमरे तक ही सीमित होकर रह गई है। इससे सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक दृष्टी से नुकसान पहुंच रहा है। डिजिटल, टीवी के कार्टून और फोन द्वारा गेम से बच्चों की अनिद्रा और आंखें कमजोर होने का खतरा रहता है। आउटडोर गेम से सामाजिक स्तर पर विचारों का आदान-प्रदान होता है। साथ ही इससे बच्चे का बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
डॉ. अनमोल पगारिया बताते हैं कि डिजिटल खेलों के बढऩे से बच्चों की दुनिया कमरे तक ही सीमित होकर रह गई है। इससे सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक दृष्टी से नुकसान पहुंच रहा है। डिजिटल, टीवी के कार्टून और फोन द्वारा गेम से बच्चों की अनिद्रा और आंखें कमजोर होने का खतरा रहता है। आउटडोर गेम से सामाजिक स्तर पर विचारों का आदान-प्रदान होता है। साथ ही इससे बच्चे का बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
अभिभावक करते हैं अनदेखी…
मोबाइल फोन ने काफी हद तक बच्चों का बचपन छीन लिया है। बच्चे फोन से ही मनोरंजन करते हैं। जिससे काफी दूष्परिणाम हैं, अधिकतर बच्चों की आंखों की रोशनी कम हुई है। अभिभावक भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
चांद खां पठान, जिला खेल अधिकारी राजसमंद
मोबाइल फोन ने काफी हद तक बच्चों का बचपन छीन लिया है। बच्चे फोन से ही मनोरंजन करते हैं। जिससे काफी दूष्परिणाम हैं, अधिकतर बच्चों की आंखों की रोशनी कम हुई है। अभिभावक भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
चांद खां पठान, जिला खेल अधिकारी राजसमंद