जल संरक्षण की अनूठी मिसाल, पुनर्चक्रित पानी से विकसित कर दिया बगीचा
राजसमंदPublished: Sep 14, 2019 11:53:09 am
बनाई घर के पीछे 1800 स्क्वायर फीट की फूलवाड़ी बाजार से नहीं, इसी नर्सरी से होती है सब्जी की जरूरत पूरी
जल संरक्षण की अनूठी मिसाल, पुनर्चक्रित पानी से विकसित कर दिया बगीचा
प्रमोद भटनागर राजसमंद. किसी वस्तु विशेष के प्रति लगाव हो और उसे प्राप्त करने के लिए मन में प्रबल इच्छा शक्ति हो तो स्थिति चाहे कितनी भी विपरित हो सफलता अवश्य मिलती है। इस बात को साबित कर दिखाया है पर्यावरण और हरियाली के प्रति विशेष रूचि रखने वाली राज्यावास की पेशे से चिकित्सक रूबी सरकार ने।
यूं तो सरकार डॉक्टर होकर गांव में प्राइवेट क्लिनिक चलाती हैं। लेकिन, बकौल रुबी उन्हें पेड़-पौधों से बचपन से ही प्यार रहा है। ऐसे में उन्होंने क्षेत्र में पानी की किल्लत के बावजूद अपनी बाड़ी लगाने की मन में ठानी और इसे कर भी दिखाया। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें पानी को लेकर ही आई। इसके लिए उन्होंने घर के पीछे एक पानी का कच्चा हौज तैयार किया। इसमें घर के बेकार बहने वाले पानी को एकत्रित किया जाता है। बर्तन धोने, पोछा लगाने, वाहन धोने सहित अन्य कार्यों का पानी नाली में बहाने की बजाए इस पानी को बनाए गए हौज में ही इकट्ठा किया जाता है। इस पानी को फिल्टर करने के लिए एक छोटी मोटर भी लगवाई गई। ऐसे में फिल्टर किए गए पानी को पेड़-पौधों को पिलाया जाता है। हौज आदि सभी तैयारियों के बाद उन्होंने पति के साथ मिलकर घर के पीछे 1800 स्क्वायर फीट की बाड़ी विकसित की। इसमें फल-फूल आदि के 65 से 70 पेड़-पौधे लगाए गए। इसके तहत विभिन्न प्रकार के फूलों के साथ ही सब्जियों में भिण्डी, लौकी, तुरई, टमाटर, बैंगन, उड़द मूंग शामिल हैं। इसके चलते उन्हें घर के लिए ज्यादातर समय अपनी बाड़ी से ही सब्जी मिल जाती है। वहीं, फलों में अनार, केला, अमरुद के साथ ही ब्राह्मी, मीठा नीम सहित अन्य औषधीय पौधे भी लगाए हैं। अब वे क्लिनिक संचालन के साथ ही रोजाना थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर बाड़ी की सार-संभार भी करती हैं।