132 परिवार देते हैं सौ-सौ रुपए, एक माह तक काटते हैं घास
समिति में 132 परिवारों के मुखियाओं के नाम दर्ज हैं। प्रत्येक सदस्य साल में एक बार सौ रुपए जमा कराता है। बदले में एक परिवार का कोई भी एक महिला या पुरुष चरागाह में प्रवेश कर 30 दिन तक सूखी घास काट ले जाने के लिए स्वतंत्र होता है। प्राकृतिक रूप से उगने वाली घास की बहुतायात होने से पूरे गांव के पशुपालकों को समिति में हर साल जमा 13 हजार दो सौ रुपए के बदले करीब 7 से 8 लाख रुपए की घास मिल जाती है।
समिति का बहिखाता
समिति ने घास कटाई से हुई आय की एफडी करवाई। 25 मई 2019 को 80 हजार 170 रुपए की एक एफडी मैच्योर हो गई। इसी साल 16 जुलाई को 67 हजार 514 रुपए की एफडी मैच्योर होने वाली है। विभाग के कोरपस फंड से 50 हजार की भी एफडी करवाई, जिसके 24 अक्टूबर 2020 को मैच्योर होने पर एक लाख 12 हजार 733 रुपए मिलेंगे।
आज यह है स्थिति
चरागाह संवद्र्धन का काम सिर्फ बारिश पर निर्भर है। इसके बावजूद हरियाली विकसित होने से भीषण गर्मी में भी यहां पेड़-पौधे हरेभरे हैं। अटाटिया की संपूर्ण 35 हैक्टेयर की चरागाह चारदीवारी से सुरक्षित है। नरेगा योजना से चौकीदार लगा है। वन को नुकसान से बचाने ग्रामीण भी निगरानी करते हैं। यहां पौधरोपण अभियान के 28 हजार में से 20 हजार पेड़-पौधे जीवित हैं।
सरकार ने भी सराहा वनपाल आचार्य का काम
वनपाल आचार्य के अतिरिक्त प्रयासों से वन विकास की उपलब्धियों को कई बार सराहा भी जा चुका है। आचार्य को 1994 में जिला स्तर पर सर्वोत्तम वनरक्षक, 97 में वनपालक, 98 में सुयोग्य, 99 में राज्यस्तरीय वनपालक, 2007 में अमृता देवी पुरस्कार चयन, 2008 में विरासत लेख के लिए पुरस्कार और 2013-14 में संभाग स्तरीय वनरक्षक पुरस्कार मिल चुका है। रिटायर वनपाल आचार्य की हल्दीघाटी के दो सौ हैक्टेयर वन को सुरक्षित, संवद्र्धित करने में भी सराहनीय भूमिका रही है।
समिति में 132 परिवारों के मुखियाओं के नाम दर्ज हैं। प्रत्येक सदस्य साल में एक बार सौ रुपए जमा कराता है। बदले में एक परिवार का कोई भी एक महिला या पुरुष चरागाह में प्रवेश कर 30 दिन तक सूखी घास काट ले जाने के लिए स्वतंत्र होता है। प्राकृतिक रूप से उगने वाली घास की बहुतायात होने से पूरे गांव के पशुपालकों को समिति में हर साल जमा 13 हजार दो सौ रुपए के बदले करीब 7 से 8 लाख रुपए की घास मिल जाती है।
समिति का बहिखाता
समिति ने घास कटाई से हुई आय की एफडी करवाई। 25 मई 2019 को 80 हजार 170 रुपए की एक एफडी मैच्योर हो गई। इसी साल 16 जुलाई को 67 हजार 514 रुपए की एफडी मैच्योर होने वाली है। विभाग के कोरपस फंड से 50 हजार की भी एफडी करवाई, जिसके 24 अक्टूबर 2020 को मैच्योर होने पर एक लाख 12 हजार 733 रुपए मिलेंगे।
आज यह है स्थिति
चरागाह संवद्र्धन का काम सिर्फ बारिश पर निर्भर है। इसके बावजूद हरियाली विकसित होने से भीषण गर्मी में भी यहां पेड़-पौधे हरेभरे हैं। अटाटिया की संपूर्ण 35 हैक्टेयर की चरागाह चारदीवारी से सुरक्षित है। नरेगा योजना से चौकीदार लगा है। वन को नुकसान से बचाने ग्रामीण भी निगरानी करते हैं। यहां पौधरोपण अभियान के 28 हजार में से 20 हजार पेड़-पौधे जीवित हैं।
सरकार ने भी सराहा वनपाल आचार्य का काम
वनपाल आचार्य के अतिरिक्त प्रयासों से वन विकास की उपलब्धियों को कई बार सराहा भी जा चुका है। आचार्य को 1994 में जिला स्तर पर सर्वोत्तम वनरक्षक, 97 में वनपालक, 98 में सुयोग्य, 99 में राज्यस्तरीय वनपालक, 2007 में अमृता देवी पुरस्कार चयन, 2008 में विरासत लेख के लिए पुरस्कार और 2013-14 में संभाग स्तरीय वनरक्षक पुरस्कार मिल चुका है। रिटायर वनपाल आचार्य की हल्दीघाटी के दो सौ हैक्टेयर वन को सुरक्षित, संवद्र्धित करने में भी सराहनीय भूमिका रही है।