‘रंगीली तीज गणगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक ले जैयेÓ
नाथद्वारा. हरी गणगौर पर मंगलवार को प्रभु श्रीनाथजी को पचरंगी लहरिये का अलौकिक शृंगार धराया गया एवं अंगूर व पत्तियों की मंडली की सेवा भी धराई गई।
आराध्य प्रभु श्रीजी को पचरंग की आभा की वस्त्र सेवा लहरिया के साथ श्रीमस्तक पर अलौकिक सिरपैंच एवं शृंगार के अनुरूप स्वर्णाभूषण सुशोभित कराये गए। वहीं, राजभोग की झांकी में श्रीजी बावा को अंगूर व पत्तियों की मंडली सुशोभित कराई गई। श्रीजी के अनुरूप निधि स्वरूप लाड़ले लालन को भी शृंगार धराया गया एवं राजभोग के समय उनको भी अंगूर की मंडली सुशोभित कराई गई । इन विशेष दर्शनों का लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया। जबकि, सायंकाल शहर के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं एवं महिलाओं ने हरे रंग के कपड़े एवं साड़ी, लहरिया आदि पहनकर प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन का लाभ लिया। हरि गणगौर के अवसर पर यह जो शृंगार धराया गया उसे चन्द्रावलीजी के भाव का शृंगार माना जाता है।
कीर्तनगान भी किया
कीर्तनकारों के मुखिया तौलाराम कुमावत के नेतृत्व में कीर्तनकारों ने कीर्तन का गान किया। इसमें राग सारंग के साथ बैठे हरि राधा संग कुजभवन अपने रंग कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई, मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान जानबूझ एक तान चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन, वल्लभ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई तथा रंगीली तीज गणगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक लै जैये, विविध भांति नई सोंज अरपि सब अपने जिय की तृपत बुझैये, लै कर बीन बजाय गाय पिय प्यारी जेंमत रुचि उपजैये, आदि कीर्तन का गुणगान किया।
नाथद्वारा. हरी गणगौर पर मंगलवार को प्रभु श्रीनाथजी को पचरंगी लहरिये का अलौकिक शृंगार धराया गया एवं अंगूर व पत्तियों की मंडली की सेवा भी धराई गई।
आराध्य प्रभु श्रीजी को पचरंग की आभा की वस्त्र सेवा लहरिया के साथ श्रीमस्तक पर अलौकिक सिरपैंच एवं शृंगार के अनुरूप स्वर्णाभूषण सुशोभित कराये गए। वहीं, राजभोग की झांकी में श्रीजी बावा को अंगूर व पत्तियों की मंडली सुशोभित कराई गई। श्रीजी के अनुरूप निधि स्वरूप लाड़ले लालन को भी शृंगार धराया गया एवं राजभोग के समय उनको भी अंगूर की मंडली सुशोभित कराई गई । इन विशेष दर्शनों का लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया। जबकि, सायंकाल शहर के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं एवं महिलाओं ने हरे रंग के कपड़े एवं साड़ी, लहरिया आदि पहनकर प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन का लाभ लिया। हरि गणगौर के अवसर पर यह जो शृंगार धराया गया उसे चन्द्रावलीजी के भाव का शृंगार माना जाता है।
कीर्तनगान भी किया
कीर्तनकारों के मुखिया तौलाराम कुमावत के नेतृत्व में कीर्तनकारों ने कीर्तन का गान किया। इसमें राग सारंग के साथ बैठे हरि राधा संग कुजभवन अपने रंग कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई, मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान जानबूझ एक तान चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन, वल्लभ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई तथा रंगीली तीज गणगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक लै जैये, विविध भांति नई सोंज अरपि सब अपने जिय की तृपत बुझैये, लै कर बीन बजाय गाय पिय प्यारी जेंमत रुचि उपजैये, आदि कीर्तन का गुणगान किया।