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नाथद्वारा में ठाट-बाट से निकाली हरी गणगौर की सवारी

locationराजसमंदPublished: Apr 10, 2019 12:45:59 pm

Submitted by:

laxman singh

गणगौर बाग में दूसरे दिन दिखी कम रेलमपेल

green gangour festivle at nathdwara

नाथद्वारा में ठाट-बाट से निकाली हरी गणगौर की सवारी

प्रमोद भटनागर
नाथद्वारा. शहर में गणगौर महोत्सव के दूसरे दिन हरी गणगौर की सवारी निकली, वहीं बनास किनारे स्थित गणगौर बाग में मेला भी लगा।
मंदिर से सायंकाल भोग आरती की झांकी के दर्शनों के समय मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार नक्कारखाना के यहां ईशर-गणगौर के साथ सुखपाल में ठाकुरजी के रास के भाव की पिछवाई के साथ मंदिर मंडल के श्रीनाथ बैंड वादक अपने सिर पर हरे रंगे के साफे पहन त्योहार के अनुरूप धुन बजाते हुए चल रहे थे। इस धुन पर मंदिर की गोविंद पलटन के शस्त्रधारी जवान कदमताल के साथ चल रहे थे। वहीं, नक्कारा निशान भी शामिल थे। इसके साथ ही नगर पालिका की ओर से सजी हुई झांकियां व सजे हुए ऊंट-घोड़ों पर भी श्रद्धालु सवार थे। पूरे मार्ग में कच्छी घोड़ी नर्तक नृत्य करते चल रहे थे। सवारी मंदिर मार्ग, देहली बाजार, गोविंद चौक, बड़ा बाजार आदि मार्गों से होकर इमली नीचे एवं वहां से गणगौर बाग मेला स्थल पर पहुंची। मेले में दूसरे दिन भी लोगों ने डोलर-चकरी में झूलने का आनंद लिया। साथ ही चटपटे व्यंजनों का भी स्वाद लिया और मौसम के अनुसार कुल्फी आईसक्रीम की स्टॉल पर मेलार्थियों की भीड़ रही। वहीं ईमली नीचे से लेकर गणगौर घाट तक सड़क के दोनों ओर मनिहारी सामान सहित खिलौने एवं अन्य कई दुकानों पर भी लोगों ने खरीददारी की। मेले में अपेक्षित भीड़ नहीं थी। नाश्ते आदि की दुकानें लगाने वाले कुछ दुकानदारों ने बताया कि मेले में लोगों की आवाजाही कम होने से ग्राहकी पर भी असर पड़ा है।


‘रंगीली तीज गणगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक ले जैयेÓ
नाथद्वारा. हरी गणगौर पर मंगलवार को प्रभु श्रीनाथजी को पचरंगी लहरिये का अलौकिक शृंगार धराया गया एवं अंगूर व पत्तियों की मंडली की सेवा भी धराई गई।
आराध्य प्रभु श्रीजी को पचरंग की आभा की वस्त्र सेवा लहरिया के साथ श्रीमस्तक पर अलौकिक सिरपैंच एवं शृंगार के अनुरूप स्वर्णाभूषण सुशोभित कराये गए। वहीं, राजभोग की झांकी में श्रीजी बावा को अंगूर व पत्तियों की मंडली सुशोभित कराई गई। श्रीजी के अनुरूप निधि स्वरूप लाड़ले लालन को भी शृंगार धराया गया एवं राजभोग के समय उनको भी अंगूर की मंडली सुशोभित कराई गई । इन विशेष दर्शनों का लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया। जबकि, सायंकाल शहर के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं एवं महिलाओं ने हरे रंग के कपड़े एवं साड़ी, लहरिया आदि पहनकर प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन का लाभ लिया। हरि गणगौर के अवसर पर यह जो शृंगार धराया गया उसे चन्द्रावलीजी के भाव का शृंगार माना जाता है।
कीर्तनगान भी किया
कीर्तनकारों के मुखिया तौलाराम कुमावत के नेतृत्व में कीर्तनकारों ने कीर्तन का गान किया। इसमें राग सारंग के साथ बैठे हरि राधा संग कुजभवन अपने रंग कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई, मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान जानबूझ एक तान चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन, वल्लभ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई तथा रंगीली तीज गणगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक लै जैये, विविध भांति नई सोंज अरपि सब अपने जिय की तृपत बुझैये, लै कर बीन बजाय गाय पिय प्यारी जेंमत रुचि उपजैये, आदि कीर्तन का गुणगान किया।
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