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अवैध बजरी खनन को पुलिस का संरक्षण!

locationराजसमंदPublished: Jun 15, 2019 12:12:23 pm

Submitted by:

Aswani

राजनीतिक दखल का भी खमियाजा भुगत रही जनता, ऑडियो-वीडियो से खान, पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत आ चुकी है सामने

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अवैध बजरी खनन को पुलिस का संरक्षण!

राजसमंद. अवैध बजरी खननकर्ताओं पर पुलिस की पूरी मेहरबानी है। यह हाल ही में हुए खमनोर थानाधिकारी रिश्वतकाण्ड से पुष्ट भी हो गया। लोगों की भी शिकायत है कि सूचना देने पर जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचने से कतराते हैं। ऐसे में उनकी कार्यशैली से भी मिलीभगत की बू आती है। हाल ही में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुई कॉन्फ्रेंस में पुलिस के मुखिया ने बजरी के अवैध खनन के मामले में खुद अपने सिस्टम में भ्रष्टाचार फैले होने की बात स्वीकारी थी। जिले में अवैध बजरी खनन में कई जनप्रतिनिधि भी मिले हुए हैं, जिनके वाहन पकड़े जाने पर पिछले दिनों खुलासा हुआ। एक ऑडियो से कुरज चौकी व खंडेल चौकी के जवानों की मिलीभगत के आरोप लगे। अब खमनोर थाना प्रभारी महेशचंद्र मीणा खेत से बजरी खनन व परिवहन करने देने की एवज में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते धरे गए। ठीक ऐसा ही आरोप खान विभाग के अभियंताओं पर भी नाथद्वारा में उपजे विवाद में लग चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन भी मौन है। जिले में बनास नदी, चन्द्रभागा नदी, खारी नदी, गोमती नदी पेटे में दिन ढलने के साथ ही माफिया जेसीबी मशीनें उतारकर अंधाधुंध बजरी का खनन कर रहे हैं। इस कारण नदी पेटे में दस दस फीट तक गहरे खड्डे हो गए, मगर थाना पुलिस के साथ खान एवं भू विज्ञान विभाग के अभियंता और प्रशासनिक अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं। इससे न सिर्फ नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, बल्कि बरसात के पानी का बहाव भी प्रभावित होने का खतरा मंडराने लग गया है।

पहले 120 में मिलता था एक ट्रीप रेत
जनवरी 2014 तक प्रति टन रॉयल्टी 20 रुपए, पर्यावरण संरक्षण के लिए 5 रुपए, परमिट फीस (आठ टन तक) 20 रुपए एवं आठ टन से अधिक पर 50 रुपए दर निर्धारित थी। इससे प्रति ट्रेक्टर ट्रीप पर 120 रुपए से 200 रुपए तक रॉयल्टी शुल्क लगता था।

अब 10 गुना से भी ज्यादा वसूली
रेत माफिया अब मनमर्जी से बजरी की कीमत वसूल रहे हैं। राजसमंद शहर व आस पास के इलाके में करीब 1500 रुपए में बजरी का एक ट्रेक्टर ट्रीप डाल रहे हैं, जबकि छोटा डम्पर 3 से साढ़े 3 हजार रुपए में शहर व आस पास के गांवों में आपूर्ति कर रहे हैं। वैसे बड़े डम्पर से बजरी की आपूर्ति उदयपुर, देलवाड़ा क्षेत्र में ही हो रही है, जिसकी कीमत 12 हजार से 15 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। इसका खमियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

बजरी खनन पर लंबे समय से विवाद
पर्यावरण सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने बजरी खनन पर अनुमति देने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार व ऑल राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी अध्यक्ष नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (अपील) दायर कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी। कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कार्रवाई पर स्थगन दे दिया, तो 21 अक्टूबर से बजरी खनन पूर्णत: रोक लगा दी थी। निर्माण कार्य ठप होने पर कोर्ट ने वैकल्पिक तौर पर 28 फरवरी 2014 तक सशर्त छूट दी है। सुनवाई के बाद फिर रोक लगा दी। चौतरफा रेत को लेकर बवाल मचने पर फैसला होने तक वैकल्पिक तौर पर अनिश्चितकाल के लिए बजरी खनन की छूट दे दी, जिसमें देश के बड़े उद्यमी व माफिया का ग्रुप है, जिसने अपने स्तर पर दरें लागू कर दी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर बजरी खनन पर रोक लगा दी, जिससे करीब 2 साल से बजरी के खनन, परिवहन पर प्रतिबंध है।

3 मीटर खनन का ही मापदंड
अधिकतम 3 मीटर (करीब 10 फीट) तक खुदाई कर बजरी निकालने का ही प्रावधान है। हालात ये है कि 40 से 50 फीट गहराई तक बजरी निकाली जा रही है। नदियों के साथ खेत भी अब खदानें बन चुकी है। इससे अधिक खनन करना कानूनी अपराध है। फिर भी न तो खान विभाग गंभीर है और न ही माफिया में कोई डर है।
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