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FAKE DOCTORS : झोलाछाप पर कार्रवाई के लिए सरकार ने बनाई समितियां कागजों में दबी

locationराजसमंदPublished: Jan 15, 2018 10:48:25 pm

Submitted by:

laxman singh

पुलिस, चिकित्सा विभाग व प्रशासन की उदासीनता के चलते गांवों में दिनोंदिन बढ़ रही झोलाछाप की तादाद

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राजसमंद. झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2005 में जिला व तहसील स्तर तीन महकमों के अधिकारियों की गठित निगरानी कमेटियां भी कागजों तक ही सीमित होकर रह गई। नियमित निगरानी, मॉनिटरिंग व कार्रवाई के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाए हैं। इसके चलते झोलाछाप डॉक्टरों की तादाद बढ़ती जा रही है और लोगों की जान पर बन आई है। जानकारी के अनुसार ब्लॉक स्तर पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार, संबंधित थानाधिकारी की संयुक्त समिति गठित की गई। इसी तरह जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उपखण्ड अधिकारी पुलिस उप अधीक्षक को शामिल किया गया है। विशेष परिस्थिति या वृदह कार्रवाई के लिए अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, कलक्टर या जिला पुलिस अधीक्षक की संयुक्त कमेटीम गठित है। खंड स्तरीय कमेटियों द्वारा अलग अलग कार्रवाई की गई, मगर वृहद स्तर पर अभियान के तौर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई, जिससे झोलाछाप का इलाज फल फुल रहा है।
हाईडोज से झोलाछाप की बढ़ी साख
गांव-ढाणियों में झोलाछाप दुकानों पर हाईडोज दवा व इंजेक्शन की वजह से तुरंत आराम मिलने से लोगों की पेठ बढ़ रही है और अत्याधुनिक संसाधनों व प्रशिक्षिक डॉक्टर, कम्पाउंडर होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों की साख में गिरावट आ रही है। एक बार हाईडोज का इलाज होने के बाद हर किसी व्यक्ति के लिए सामान्य दवा से तुरंत आराम संभव ही नहीं है।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी है भारी
झोलाछाप दुकानों पर साफ सफाई, शटर खोलने के लिए लगाए दसवीं-बारहवीं उत्तीर्ण नौसिखिए भी इंजेक्शन लगाने और दवाइयां बेचने का कार्य करने लग गए हैं। दिन दुना और रात चौगुना कमाने के चक्कर में झोलाछाप अब एक ज्यादा जगह क्लीनिक खोलने लग गए और हर किसी श्रमिक से इंजेक्शन व ड्रीप चढ़ाने लग गए हैं। इस पर वार्डपंच, सरपंच से लेकर पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। मुंडोल पंचायत के पुठोल और राज्यावास में क्लीनिक व मेडिकल ऐसे युवक कार्य कर रहे हैं, जिन्होंने नर्सिंग, फार्मासिस्ट ही नहीं की। फि भी अंदाजे से दवाइयां बेच रहे हैं।
पत्रिका व्यू: हाईडोज का मंत्र
न चिकित्सक की हैसियत रखते, न योग्यता। फिर भी डॉक्टर, फार्मासिस्ट व कम्पाउण्डर बनकर इंजेक्शन, ड्रीप चढ़ा इलाज कर रहे। न प्रचार के लिए पोस्टर लगाए, न अलाउंस किया। फिर भी जनता का भरोसा जीत लिया। इसकी मुख्य वजह हाईडोज है, जिससे एक बार मरीज को तत्काल राहत मिल जाती है। झोलाछाप के इंजेक्शन से तुरंत राहत मिल जाती है और सरकारी अस्पताल की सामान्य दवा का हाईडोज के आदी शरीर को कोई असर ही नहीं होता। खैर कुछ भी हो, पर यह सच है कि हाईडोज की वजह से झोलाछाप लोगों का विश्वास लूट रहे हैं। यह यही सही है कि झोलाछाप की दुकानें कहां और कब से चल रही है। सारे सिस्टम से पूरा तंत्र वाकिफ है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं। प्रशासन जानबुझ कर भी अनजान है। इसी वजह से सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के प्रति साख गिर ही है। अब जरूरत है, तो सिर्फ जनजागरुकता की। इसलिए चिकित्सा विभाग, पुलिस व प्रशासन मिलकर कोई ठोस कार्रवाई कर जनता में विश्वास जगाए, ताकि सरकारी अस्पतालों की साख भी बचेगी और अफसरों को दुआएं भी मिलेगी।
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