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यहां 40 साल से नहरों से नहीं, रास्तों से खेतों तक पहुंचता है पानी

locationराजसमंदPublished: Nov 21, 2020 12:24:41 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

वर्षाकाल में भरने वाले स्वरूपसागर का 50 फीसदी से ज्यादा स्टोरेज हो जाता है बर्बाद, सिंचाई विभाग नहीं बना सका कोई ठोस योजना

यहां 40 साल से नहरों से नहीं, रास्तों से खेतों तक पहुंचता है पानी

यहां 40 साल से नहरों से नहीं, रास्तों से खेतों तक पहुंचता है पानी

राजसमंद. मुण्डोल क्षेत्र के स्वरूपसागर से सिंचाई के लिए किसानों को 40 साल से दिया जा रहा पानी नहरों नहीं, बल्कि आम रास्तों से होकर खेतों तक पहुंच रहा है। चार दशक में सिंचाई विभाग ने पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कोई ठोस काम नहीं किया।
वर्षाकाल में राजसमंद झील पश्चिमी व व खारी फीडर के ऊपरी क्षेत्र में बसे मुण्डोल, सनवाड़ और आसपास के इलाकों के किसानों के हक के मद्देनजर स्वरूपसागर को भरा जाता है। किसानों को पानी तो मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन वर्षाकाल खत्म होने के डेढ़ महीने बाद ही पूरा तालाब खाली कर दिया जाता है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि सिंचाई विभाग की अनदेखी से न तो पानी का पूरा इस्तेमाल हो पा रहा है, न लोगों को खेती में ज्यादा फायदा हो रहा है। करीब 50 फीसदी से ज्यादा पानी तो व्यर्थ बहकर चला जाता है। स्वरूपसागर के निचले इलाकों में पानी इर्द-गिर्द बसी बस्तियों के आम रास्तों से गुजरता है। आगे चलकर तालेड़ी में गिरता है। मोरवड़, पिपलांत्री क्षेत्र से भी पानी स्वरूप सागर में आता है।
खारी फीडर निर्माण से पहले का समझौता
जानकारों ने बताया कि खारी फीडर निर्माण से पहले आसपास की पहाडिय़ों से पानी स्वरूपसागर और छोटे-मोटे एनिकट में संग्रहित होता था, जो नहरों के जरिये सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता था। नहर बनने के बाद पहाड़ों से पानी तालाब में नहीं आता है, बल्कि इसे फीडर खोलकर भरा जाता है। निर्माण के वक्त क्षेत्रवासियों और विभाग के बीच सिंचाई के लिए पानी नहर से उपलब्ध करवाने का समझौता हुआ था।
नहरें बनें तो हो सकती है 75 प्रतिशत इलाके में खेती
लोगों ने बताया कि पानी की बर्बादी पूरी तरह रोक दी जाए, नहरें बनाई जाए तो 75 प्रतिशत वंचित इलाके में भी खेती हो सकती है। इसका फायदा लोगों को अच्छी उपज के रूप में होगा। वर्तमान में केवल स्वरूपसागर में पेटाकाश्त करने वालों तथा आसपास के निश्चित हिस्से में ही मिल रहा है। कुछ लोग पेटाकाश्त करने वालों को मुआवजा देकर तालाब वर्षभर भरा रखकर इससे पानी नियमित देने की बात भी कर रहे हैं, ताकि पानी खाली करने का दबाव न हो।
—फैक्ट फाइल—
03 स्क्वॉयर किलोमीटर में फैला हुआ है स्वरूपसागर
06 फीट का गेज है इस तालाब का
02 माह में ही खाली कर दिया जाता है वर्षाकाल के बाद
20-25 प्रतिशत लोगों के खेतों तक ही पहुंचता है इसका पानी
40 साल पहले तक पहाड़ों से बहते पानी से भरता था तालाब

स्वरूप से कुएं रिचार्ज होते हैं। एनिकट भरे रहते थे। 40 साल पहले पहाड़ी क्षेत्र से पानी आता था, जो नहरों से खेतों तक पहुंचाया जाता था। नहर बनने के बाद से पानी नहीं आता। बर्बादी हो रही है। केवल 25 प्रतिशत ही सिंचाई हो रही है। 75 प्रतिशत रकबा यूं ही पड़ा रहता है। तालाब भरा रहे तो धोइन्दा, मालीवाड़ा क्षेत्र के कुएं भी रिचार्ज हो सकते हैं।
जगदीश कुमावत, क्षेत्रवासी
किसानों ने धोरे निकाल रखे हैं, जिनसे पानी जाता है। 20 प्रतिशत वेस्टेज तो होता ही है। कैनाल बनाने या मरम्मत की जरूरत है। पहले कई प्रस्ताव बने, लेकिन बजट मिले तो मरम्मत या नहर निर्माण का काम हो।
ओंकारलाल बैरवा, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई विभाग
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