शीतलहर के चलते सुबह नौ बजे ऐसा लग रहा था जैसे सुबह के सात बजे हों। बर्फानी हवाओं ने लोगों को धुजा दिया। वहीं घरों के अलावा विभिन्न गली मोहल्लों में लोगों ने अलाव तापकर सर्दी कम करने का जतन किया। जरूरी काम छोड़कर भी लोग दिनभर धूप सेंकते नजर आए। दिन ढलते ही सर्दी और गलन ने बिकराल रूप ले लिया। हाथ पैरों की उंगलिया ठिठुरने लगीं। जिससे लोगों को अलाव व हीटर का सहारा लेना पडा़। सर्दी का असर बढऩे से रात आठ बजे बाद बाजार सूने होने लगे। व्यापारिक प्रतिष्ठान अपने निर्धारित समय से पूर्व ही बंद हो गए।
कपड़े पहनने के बाद भी छूट रही धूजणी
शुक्रवार सुबह से ही गलन वाली सर्दी रही। शीतलहर के चलते दोपहर को धूप का असर फीका रहा। शाम छह बजे से सर्दी और तेज हो गई तथा हाथ पैरों की उंगलिया ठिठुरने लगीं। सर्दी का असर बढ़ते ही शहरी क्षेत्रों में गर्म दूध की बिक्री बढ़ गई। लोगों ने शरीर को गर्म कपड़ों से पूरी तरह ढक लिया लेकिन उसके बाद भी धूजणी छूटती रही। सर्दी दूर करने के लिए लोग राठासेण माता मंदिर के पास, जलचक्की चौराहे, मुखर्जी चौराहे पर स्थित दूध की दुकानों में शाम से ही गर्म दूध पीते नजर आए। साथ ही कई स्थानों पर लोगों ने अलाव का इंतजाम किया।
फसलों और खेत की पालियों में जमी ओस
शुक्रवार को तापमान गिरने से पेड़ों, फसलों व खेत की पालियों में ओस की बूंदें जम गईं। वहीं खुले में खड़े वाहनों पर भी सुबह ओस जमी मिली।
पिछले पांच दिन का तापमान