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विद्युत निगम प्रबंधन ही डिफॉल्ट, तो फिर कैसे सुधरे विद्युत तंत्र

locationराजसमंदPublished: Jan 07, 2020 11:55:19 am

Submitted by:

laxman singh

70 उपभोक्ता एक कार्मिक का प्रावधान, अब 529 पर रह गया एक कार्मिक AVVNL rajsamand

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विद्युत निगम प्रबंधन ही डिफॉल्ट, तो फिर कैसे सुधरे विद्युत तंत्र

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ Rajsamand

आम तौर हर कार्य क्षेत्र के विस्तार के साथ ही साधन व मानव संसाधन बढ़ाया जाता है, मगर शायद अजमेर विद्युत वितरण निगम (AVVNL) के कर्ताधर्ता इससे कोई सरोकार नहीं रखते। यही कारण है कि 19 जुलाई 2000 से अस्तित्व में आए विद्युत निगम में उन्नीस साल की समयावधि में उपभोक्ताओं की तादाद दस गुना बढ़ गई, मगर विद्युत निगम में जरूरत के मुताबिक कार्मिकों का स्टाफ नहीं बढ़ सका। राजस्थान विद्युत नियामक के मुताबिक 70 उपभोक्ता पर एक कार्मिक की जरूरत है, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि 529 उपभोक्ताओं पर एक कार्मिक रह गया है। इस तरह बेकाबू हुए विद्युत तंत्र में न तो हर विद्युत लाइन की नियमित मरम्मत हो पा रही है और न ही हर खराब मीटर वक्त पर बदल पा रहे हैं। विद्युत निगम के मूल स्तम्भ मीटर रीडर व बिल वितरक के अभाव में न तो समय पर मीटरों की रीडिंग ली जा रही है और न ही बिल जमा की तय तारीख से पहले बिजली बिलों का वितरण हो पा रहा है। इस हालात से विद्युत निगम के सहायक अभियंता से लेकर प्रबंध निदेशक तक सब वाकिफ होने के बावजूद न तो स्टाफ बढ़ाने के ठोस प्रयास हो रहे हैं और ही विद्युत तंत्र में सुधार के ठोस प्रयास हो पा रहे हैं। स्टाफ की कमी के चलते बेकाबू हुए विद्युत तंत्र में बढ़ते फॉल्ट से खतरा उतना ही अधिक बढ़ गया है, मगर जिम्मेदार जानकर भी अनजान बने हुए हैं। (Electricity corporation management is the default, so how to improve power system)
बिजली (Electricity) समस्या पर करें कॉल
बिजली बंद, विद्युत ट्रांसफार्मर जल जाए, तार लटक जाए, बिजली चोरी अथवा किसी भी तरह की समस्या पर टोल फ्री नम्बर 1800-180-6565 और 1912 पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा विद्युत निगम के जिला ग्राहक शिकायत केन्द्र के १८००१८०६५४१, 02952- 220542 पर संपर्क किया जा सकता है।
चोरी रूकती नहीं, बढ़ रहा घाटा
बिजली चोरी रोकने के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही मौजूदा स्टाफ के लिए भी निगरानी के लिए समय। ज्यादातर कार्मिक विद्युत मरम्मत, बकाया बिलों की उगाही, रीडिंग सरीखे कार्य में लगा दिया है, जिससे विद्युत वितरण निगम को हर माह लाखों रुपए की चपत लग रही है।
ये कार्य भी हो रहे प्रभावित
– खराब मीटर शिकायत के दो से तीन माह बाद भी नहीं बदल पा रहे हैं
– बिल भुगतान तिथि से एनवक्त तक भी उपभोक्ता तक नहीं चल रहे बिल
– रीडिंग के अभाव में ज्यादातर बिल औसत रीडिंग के आधार पर जारी करना
– विद्युत लाइन मरम्मत का कार्य ठेके पर देने से अप्रशिक्षित कार्मिक से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित
– कार्मिकों के अभाव में बकाया बिलों की वसूली नहीं हो पाना
– लाइनमैन से लेकर सहायक अभियंता तक घर घर जाकर बकाया बिल वसूलने की मजबूरी
– विद्युत लाइन में फॉल्ट या अन्य शिकायत की किसी भी जगह तत्काल निस्तारण नहीं
– नए बिजली कनेक्शन जारी होने के बाद पोल खड़े करने के लिए एक माह तक का इंतजार

कायदे दरकिनार, उपभोक्ता हैरान
इतनी जरूरत ………… ये है कार्यरत
70 उपभोक्ता पर … 529 उपभोक्ता एक
एक कार्मिक जरूरी …. ही कार्मिक रह गया
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12 हजार उपभोक्ता …. 22 हजार 442 उपभोक्ता
पर एक सहायक …. पर एक सहायक अभियंता
अभियंता चाहिए …. कार्यरत है
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5 हजार उपभोक्ता …. 8 हजार 415
पर एक कनिष्ठ ….. उपभोक्ता पर एक कनिष्ठ
अभियंता चाहिए ….. अभियंता कार्यरत है
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प्रत्येक जीएसएस पर ….. शहरी क्षेत्र में 6 व ग्रामीण
4 कुशल व 4 अकुशल…. क्षेत्र के जीएसएस पर 4
कार्मिकों की जरूरत ….. कार्मिक ही कार्यरत है।
यह है प्रदेश की स्थिति
1982 में राज्य में 15 लाख उपभोक्ता पर 56 हजार कार्मिक कार्यरत थे, जबकि अब करीब सवा करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता है, मगर कार्मिक 35 हजार रह गए।

एक्सपर्ट व्यू : खतरे में विद्युत तंत्र
विद्युत निगम बनने के बाद उपभोक्ता काफी बढ़ गए, मगर स्टाफ नहीं बढ़ा। मौजूदा स्टाफ में भी ज्यादातर उम्रदराज हो गए, जो दफ्तर में बाबू का कार्य तो कर सकते हैं, मगर विद्युत पोल पर चढऩा व सतर्कता के साथ कार्य करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। तकनीकी अभियंता व कार्मिकों से बकाया बिलों की उगाही कराई जा रही है, तो विद्युत तंत्र की व्यवस्था गड़बड़ाना भी स्वाभाविक है। विद्युत निगम का घाटा बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह बिजली चोरी है, जिसे रोकने के लिए स्टाफ ही नहीं है और कार्मिक है अन्य कार्य में लगे हुए हैं।
पुरुषोत्तम पालीवाल, रिटायर विद्युत अभियंता उदयपुर
मौजूदा संसाधन में बेहतर कार्य के प्रयास
जिले में तकनीकी कार्मिकों की कमी है। फिर भी उपलब्ध संसाधन व स्टाफ से आमजन को बेहतर सेवा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में 75 जीएसएस को ठेके पर दे दिया है, जिससे विभागीय कार्मिकों को कुछ राहत मिलेगी।
गिरीश पारिख, अधीक्षण अभियंता अजमेर विद्युत वितरण निगम Rajsamand
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