भवन का इंतजार
वर्ष 2002 में लसाडिय़ा से पृथक होकर गठित हुई थानेटा पंचायत में चौथे एवं वर्तमान सरपंच कार्यकाल तक पंचायत भवन भी नहीं बन सका है। वह अटल सेवा केन्द्र में संचालित है। इससे पूर्व थानेटा चौराहे पर एक कमरे में पंचायत कार्यालय चलता था। थानेटा व जेलवा के ग्रामीण चाहते हंै कि भवन थानेटा में बने, जबकि बड़ों की रेल, परनों का चौड़ा, नाडिया, मियालाखेत व सरेलीघाटी गांवों के लोग चाहते हैं, मियालाखेत चौराहा पर पंचायत भवन निर्मित हो।
वर्ष 2002 में लसाडिय़ा से पृथक होकर गठित हुई थानेटा पंचायत में चौथे एवं वर्तमान सरपंच कार्यकाल तक पंचायत भवन भी नहीं बन सका है। वह अटल सेवा केन्द्र में संचालित है। इससे पूर्व थानेटा चौराहे पर एक कमरे में पंचायत कार्यालय चलता था। थानेटा व जेलवा के ग्रामीण चाहते हंै कि भवन थानेटा में बने, जबकि बड़ों की रेल, परनों का चौड़ा, नाडिया, मियालाखेत व सरेलीघाटी गांवों के लोग चाहते हैं, मियालाखेत चौराहा पर पंचायत भवन निर्मित हो।
नहीं बना पुल
सरेलीघाटी से अजीतगढ़ मात्र दो किमी दूर है, जिससे ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए भीम व बदनौर जाने में आसानी होती है। बीच में अजीतगढ़ तालाब की चादर चलने पर इस रास्ते से आवागमन बंद हो जाता है। सरेलीघाटी के कक्षा छह से बारह में अध्ययनरत विद्यार्थी, राउमावि अजीतगढ़ व अन्य स्थानों पर नहीं पहुंच पाते। इस संबंध में गांव के केसरसिंह, नारायण सिंह, किशनसिंह, देवीसिंह, धर्मेन्द्र कुमार, हेमेन्द्रंिसंह, हेमसिंह, रोशनसिंह, खीमसिंह आदि ने बताया कि गत वर्ष कई दिनों तक विद्यार्थी स्कूल नहीं जा सके तथा वर्तमान में भी चादर चलने से बच्चे बमुश्किल हाथ पकड़ कर पाल पर चलने को मजबूर हैं। विधायक को मामले से अवगत करा पुल निर्माण की मांग की थी, लेकिन, आज तक कार्यवाही नहीं हो सकी। इसको लेकर क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है।
सरेलीघाटी से अजीतगढ़ मात्र दो किमी दूर है, जिससे ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए भीम व बदनौर जाने में आसानी होती है। बीच में अजीतगढ़ तालाब की चादर चलने पर इस रास्ते से आवागमन बंद हो जाता है। सरेलीघाटी के कक्षा छह से बारह में अध्ययनरत विद्यार्थी, राउमावि अजीतगढ़ व अन्य स्थानों पर नहीं पहुंच पाते। इस संबंध में गांव के केसरसिंह, नारायण सिंह, किशनसिंह, देवीसिंह, धर्मेन्द्र कुमार, हेमेन्द्रंिसंह, हेमसिंह, रोशनसिंह, खीमसिंह आदि ने बताया कि गत वर्ष कई दिनों तक विद्यार्थी स्कूल नहीं जा सके तथा वर्तमान में भी चादर चलने से बच्चे बमुश्किल हाथ पकड़ कर पाल पर चलने को मजबूर हैं। विधायक को मामले से अवगत करा पुल निर्माण की मांग की थी, लेकिन, आज तक कार्यवाही नहीं हो सकी। इसको लेकर क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है।
नेटवर्क की भी समस्या
डिजिटल इण्डिया के दौर में भी थानेटा मुख्यालय सहित समीपस्थ लसाडिय़ा पंचायत में मोबाइल नेटवर्क का अभाव है। इससे इन्टरनेट सेवा का लाभ नहीं मिल पाता।ऐसे में विभागों के राजकीय कार्मिमों व विद्यार्थियों आदि को भीम जाकर अपना काम कराना पड़ता है। जबकि, मोबाइल पर बातचीत करने के लिए दुर्गम पहाडिय़ों पर चढक़र सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में यहां सरकार आपके द्वार, न्याय आपके द्वार, रात्रि चौपाल जैसे राजकीय कार्यक्रम भी प्रभावति होते हंै। इसी तरह राउमावि में आयोजित वीसी आदि शैक्षणिक पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम भी खानापूर्ति बनकर रह जाते हैं।
डिजिटल इण्डिया के दौर में भी थानेटा मुख्यालय सहित समीपस्थ लसाडिय़ा पंचायत में मोबाइल नेटवर्क का अभाव है। इससे इन्टरनेट सेवा का लाभ नहीं मिल पाता।ऐसे में विभागों के राजकीय कार्मिमों व विद्यार्थियों आदि को भीम जाकर अपना काम कराना पड़ता है। जबकि, मोबाइल पर बातचीत करने के लिए दुर्गम पहाडिय़ों पर चढक़र सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में यहां सरकार आपके द्वार, न्याय आपके द्वार, रात्रि चौपाल जैसे राजकीय कार्यक्रम भी प्रभावति होते हंै। इसी तरह राउमावि में आयोजित वीसी आदि शैक्षणिक पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम भी खानापूर्ति बनकर रह जाते हैं।
ये हुए विकास कार्य
क्षेत्र में मियालाखेत चौराहा से सरेलीघाटी, अजीतगढ़ व परतों का चौड़ा, नाडिया से दर्रा एवं बड़ों की रेल तक डामरीकृत सडक़, पेयजल सुविधा के लिए मियालाखेत, बड़ों की रेल, जेलवा, सरेलीघाटी व थानेटा में कुंआ व पानी की टंकी निर्माण, पंचायत के सभी गांवों में बिजली व गैस कनेक्शन, सीसी रोड आदि विकास कार्य किए गए। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर विश्रान्ति गृह का निर्माण भी कराया गया।
क्षेत्र में मियालाखेत चौराहा से सरेलीघाटी, अजीतगढ़ व परतों का चौड़ा, नाडिया से दर्रा एवं बड़ों की रेल तक डामरीकृत सडक़, पेयजल सुविधा के लिए मियालाखेत, बड़ों की रेल, जेलवा, सरेलीघाटी व थानेटा में कुंआ व पानी की टंकी निर्माण, पंचायत के सभी गांवों में बिजली व गैस कनेक्शन, सीसी रोड आदि विकास कार्य किए गए। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर विश्रान्ति गृह का निर्माण भी कराया गया।