scriptसीताफल, औषधियों व मसालों में कम नहीं है अवसर | More opportunity in Sitaphal, drugs and spices | Patrika News

सीताफल, औषधियों व मसालों में कम नहीं है अवसर

locationराजसमंदPublished: Jun 01, 2020 08:20:09 pm

Submitted by:

Rakesh Gandhi

बिल्ड अप इण्डिया- पर्यटन, हस्तशिल्प आदि भी बन सकते हैं व्यवसाय का जरिया- महिलाएं शुरू कर सकती हैं कपास से जुड़े उत्पाद बनाने के कार्य

सीताफल, औषधियों व मसालों में कम नहीं है अवसर

सीताफल, औषधियों व मसालों में कम नहीं है अवसर

भीम. कोरोना महामारी को लेकर लागू लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौटे प्रवासी रोजगार को लेकर काफी असमंजस में हैं। ऐसे हालात में प्रवासी यदि पशुपालन, खेतीबाड़ी के साथ ही यदि अपना घरेलू व्यवसाय शुरू करे तो वे न केवल आत्मनिर्भर होंगे, बल्कि कुछ और लोगों को भी रोजगार देने को समर्थ बन सकते हैं। इस क्षेत्र में न केवल पर्यटन, बल्कि औषधियां, सीताफल से बने उत्पाद, मोती-शीप, अचार-पापड़ जैसे कई उत्पाद हैं, जिनके जरिए अपना नया व्यवसाय खड़ा कर जीवन का आधार बनाया जा सकता है।

सीताफल की खेती में है संभावनाएं
क्षेत्र में सीताफल की बंपर पैदावार होती है। इसकी खेती के साथ ही इससे बनने वाले आइसक्रीम आदि उत्पाद को यदि व्यवसाय का जरिया बनाया जाए तो एक नया क्षेत्र विकसित हो सकता है। इससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। पीपली नगर, काछबली, मंडावर, लाखा गुड़ा, डूंगाजी के गांव, कुकड़ा आदि के जंगलों में सीताफल बहुतायत में होता है।

अचार उद्योग व औषधीय खेती
क्षेत्र में अचार उद्योग व औषधीय खेती की प्रचुर संभावना है। काछबली निवासी जड़ी बूटियों की खेती करने वाले कृषक हजारीसिंह चौहान सफेद मूसली, कॉच बीज आदि की औषधीय खेती कर रहे हैं एवं उसके फायदों से दूसरों को अवगत करा अधिकाधिक लोगों को प्रेरित करने में जुटे हैं। समूह के माध्यम से जंगल एवं चरागाह विकास बागवानी, हैंडीक्राफ्ट जैविक खाद निर्माण, शीप पालन, मोती की खेती, फर्नीचर हाउस आदि उद्योग धंधे शुरू करने के लिए ज्यादा निवेश की भी जरूरत नहीं रहती। इसके लिए बैंक से ऋण भी लिया जा सकता है। दिवेर, छापली, बडज़ाल, बागाना, काछबली, मंडावर में आम के पेड़ों की अधिकता के चलते इन पंचायतों में अचार उद्योग शुरू किया जा सकता है। अन्य स्थानों में सूखी मगरिया एवं पहाड़ों पर ग्वारपाठा एवं रतनजोत उगा कर व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। एलोवेरा उत्पाद व रतनजोत का बहुत उपयोग होने से इनमें भी बहुत संभावना है। सरकारी तौर पर यदि इन उत्पादों की मार्केटिंग को समर्थन मिले तो बाहर से लौटे परिवारों को इन व्यवसाय की ओर आकृषित करने में बल मिलेगा।

कच्चा माल लाकर घर बनाएं उत्पाद
घर पर कच्चा माल लाकर विभिन्न उत्पादों के गृह उद्योग खोले जा सकते हैं। कम पूंजी लगाकर पतल-दोना, कप-गिलास, रस्सी, दरी, पट्टी, गलीचा आदि उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इन कार्यों में बहुत ही कम समय में सीखा जा सकता है। चूंकि प्रवासी कामगर हैं, अत: उन्हें सीखने में भी दिक्कत नहीं होगी। ये ही नहीं, इससे क्षेत्र में आर्थिक सम्पन्नता भी आएगी।

मसाला उद्योग भी कम नहीं
कस्बे के एक स्वयंसेवी संगठन साईं ऑर्गेनाइजेशन ऑफ सोशल इम्प्रूवमेन्ट की संचालिका रेखा शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में पारंपरिक उत्पाद राबोड़ी, मक्की और गेहूं के पापड़ खीचिया, दलिया, केर खेजड़ी, गोंदा कैरी, बबूल की फली, भिंडी, ग्वार, मिर्ची आदि सूखा मसाला उद्योग पंचकूटा में प्रचुर संभावनाएं हैं। मैगी की तर्ज पर इंटरनेशनल ब्रांड विकसित किए जा सकते हैं। घर में कॉटन उद्योग, रूई पूजन सामग्री, पूजा बाती, धूप अगरबत्ती आदि उत्पादों के क्षेत्र में भी प्रयास किए जा सकते हैं।

पर्यटन में भी हैं पूरी संभावनाएं
समीपस्थ पर्यटन के आकर्षण मैराथन ऑफ मेवाड़, टॉडगढ़, अरावली अभयारण्य एवं प्रज्ञा शिखर गोरम घाट आदि रमणीय पर्यटन स्थलों विकसित किया जाए तो भीम क्षेत्र में काफी पर्यटकों को आने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। पूरे राजसमंद जिले में एक पर्यटन सर्किट बनाकर युवाओं को रोजगार दिए जा सकते हैं।
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