सफेद मार्बल और चांदी को लेकर देश- विदेश में प्रसिद्ध राजसमन्द की धरती अब काला सोना उगलेगी। सफेद मार्बल (Black Marble) का उत्पादन अब कम हो गया व खत्म होने के कगार पर हैं। इस बीच खान एवं भू वैज्ञानिकों ने काले मार्बल की खोज कर ली। राणा राजसिंह का बसाए राजसमंद वैसे धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से प्रसिद्ध रहा है, लेकिन पिछले करीब चार दशक से सफेद मार्बल से जिले को नई पहचान मिली है। सफेद मार्बल की खानों में खनन अब चरम पर है, जिससे कारोबारियों ने अन्य व्यवसाय की ओर रुख करते हुए पलायन करने लगे हैं। ऐसे में काले मार्बल की खोज राजसमन्द के पत्थर व्यवसाय (Ston Business) को नया जीवनदान मिलने की उम्मीद जगी है। (Now Rajsamand geologists discovered black marble)
खान एवं भू विज्ञान विभाग के भू वैज्ञानिकों द्वारा राजसमन्द (Rajsamand) जिले में वैकल्पिक खनिज की तलाश में देवगढ़ व भीम क्षेत्र में ग्रेनाइट की तलाश आगे बढ़ाई, तो भीम के सारोठ और डंूगरखेड़ा पंचायत के गांवों में काले मार्बल की चट्टान मिली। प्रारंभिक सर्वे के मुताबिक काला मार्बल बिना क्रेक और सफेद मार्बल की तरह ही चमक और मजबूती वाला है। आगे प्रचुर मात्रा में इसके भण्डार मिलने की उम्मीद की जा सकती है। आगे क्या होगा, ये अभी भविष्य के गर्भ में है, फिर भी यह तो तय है कि सफेद मार्बल के गर्त में जाते पत्थर के व्यवसाय को अब नए पंख लगेंगे, जिससे मार्बल व्यवसायियों का पलायन रुकेगा और रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे। काला मार्बल भी प्रचुर मात्रा में मिलता है तो संभव है उन मार्बल व्यवसायियों को नई राह मिलेगी जो धीरे-धीरे इस सफेद मार्बल से उम्मीद छोड़ रहे थे। हालांकि यहां का मार्बल मकराना के संगमरमर की तरह श्रेष्ठ तो नहीं रहा, लेकिन इस पत्थर ने अपनी कोमलता व सुन्दरता की वजह से अलग पहचान बनाई ही है। कुछ ऐसा ही ब्लैक मार्बल में देखने को मिल सकता है।
एक- एक हैक्टेयर के चार ब्लॉक
भीम उपखण्ड में अजमेर जिले से लगती सीमा पर डूंगरखेड़ा व सारोठ में काले मार्बल का पता चला हैं। हालांकि ये ठिकाने छोटे ब्लॉक में ही मिले हैं, लेकिन उम्मीद है कुछ और क्षेत्रों में ये ब्लॉक मिले। फिलहाल एक- एक हैक्टेयर के चार ब्लॉक में ये ब्लैक मार्बल है। अंतिम सर्वे के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।
भीम उपखण्ड में अजमेर जिले से लगती सीमा पर डूंगरखेड़ा व सारोठ में काले मार्बल का पता चला हैं। हालांकि ये ठिकाने छोटे ब्लॉक में ही मिले हैं, लेकिन उम्मीद है कुछ और क्षेत्रों में ये ब्लॉक मिले। फिलहाल एक- एक हैक्टेयर के चार ब्लॉक में ये ब्लैक मार्बल है। अंतिम सर्वे के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।
निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
अभी व्हाइट मार्बल के निर्यात को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। पर यदि ब्लैक मार्बल का खनन शुरू होता है तो उससे यहां निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। व्यवसायी सत्यप्रकाश काबरा बताते हैं कि यदि वाकई ब्लैक मार्बल का खनन शुरू होता है तो ये मार्बल व्यवसाय के लिए सुनहरा अवसर होगा। उल्लेखनीय है अभी राजसमंद जिले में व्हाइट मार्बल व ग्रेनाइट की विभिन्न इकाइयों में कुल डेढ़ से दो लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। ऐसे में जब ब्लैक मार्बल का खनन शुरू हो जाएगा तो रोजगार के लिहाज से इस जिले का भविष्य उज्जवल ही नजर आ रहा है। (White Marble)
अभी व्हाइट मार्बल के निर्यात को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। पर यदि ब्लैक मार्बल का खनन शुरू होता है तो उससे यहां निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। व्यवसायी सत्यप्रकाश काबरा बताते हैं कि यदि वाकई ब्लैक मार्बल का खनन शुरू होता है तो ये मार्बल व्यवसाय के लिए सुनहरा अवसर होगा। उल्लेखनीय है अभी राजसमंद जिले में व्हाइट मार्बल व ग्रेनाइट की विभिन्न इकाइयों में कुल डेढ़ से दो लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। ऐसे में जब ब्लैक मार्बल का खनन शुरू हो जाएगा तो रोजगार के लिहाज से इस जिले का भविष्य उज्जवल ही नजर आ रहा है। (White Marble)
मैफिक की मात्रा अधिक होने से बनता है मार्बल काला
चट्टान मुख्यत: आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं। पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अत: पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं। सफेद मार्बल डोलामाइट के कारण होता है और अनुसंधान के अनुसार इसमें मैफिक की मात्रा अधिक होने से ये मार्बल काला हो जाता है। इसकी चमक व मजबूती बिल्कुल सफेद मार्बल के अनुरूप ही आंकी जा रही है। हालांकि इस पर अभी काम चल रहा है।
चट्टान मुख्यत: आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं। पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अत: पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं। सफेद मार्बल डोलामाइट के कारण होता है और अनुसंधान के अनुसार इसमें मैफिक की मात्रा अधिक होने से ये मार्बल काला हो जाता है। इसकी चमक व मजबूती बिल्कुल सफेद मार्बल के अनुरूप ही आंकी जा रही है। हालांकि इस पर अभी काम चल रहा है।
काले मार्बल की खोज
भीम के सारोठ व डंूगरखेड़ा में काले मार्बल की खोज की है। चमक व मजबूती तो सफेद मार्बल की तरह ही काले मार्बल में है। सर्वे जारी है और इसका परिक्षेत्र बढ़ भी सकता है।
ओ.पी. जांगिड़, वरिष्ठ भू वैज्ञानिक खान एवं भू विज्ञान विभाग राजसमन्द