एक तरफ खेती-पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ मवेशियों का इलाज करने के लिए चिकित्सक ही नहीं है। जिले में चिकित्सक व कम्पाउंडर के अभाव में 92 पशु औषधालय बंद पड़े हैं। ऐसे में जिले में करीब बारह लाख मवेशियों का इलाज करने के लिए महज 24 डॉक्टर रह गए हैं। हालत यह है कि रेलमगरा- कुंभलगढ़ तहसील क्षेत्र में एक भी डॉक्टर नहीं है, जबकि नाथद्वारा-खमनोर व आमेट तहसील क्षेत्र में एक-एक डॉक्टर रह गया है। पूरे पशुपालन महकमे की स्थिति यह है कि 71 फीसदी अधिकारी, चिकित्सक, कम्पाउंडर व अन्य मंत्रालयिक कार्मिकों के पद रिक्त है। ऐसे में कई जगह चिकित्सक ही कार्यालय की बाबूगिरी भी करने को मजबूर है। इस कारण पशुपालकों को भी मवेशियों का उपचार कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं, जिला स्तर पर बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय 25 चिकित्सक व कार्मिकों के पद स्वीकृत है, मगर एक चिकित्सक के भरोसे अस्पताल चल रहा है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र में उपचार के अभाव में कई पशु दम तोड़ रहे हैं। जिले का श्रीगंगानगर कहा जाने वाला रेलमगरा क्षेत्र में सर्वाधिक मवेशी होने के बावजूद एक भी डॉक्टर नहीं है। इस कारण पशुपालकों की रोजी रोटी पर संकट मंडराने लग गया है और दिनोंदिन ग्रामीण क्षेत्र में भी लोग पशुपालन से मुंह मोड़ रहे हैं।
आचार संहिता से पहले 26 के तबादले
पहले से चिकित्सकों की कमी से जुझ रहे राजसमंद जिले से मार्च माह में 26 चिकित्सक, कम्पाउंडर व अन्य कार्मिकों का शेखावाटी क्षेत्र में तबादला हो गया, मगर एक भी कार्मिक बाहर से राजसमंद नहीं आए। इस कारण अब कई पशु औषधालयों पर और ताले लगाने की नौबत आ गई, मगर डॉक्टरों लगाने को लेकर न तो सरकार द्वारा कोई ध्यान दिया गया है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि ही गंभीर है।
पहले से चिकित्सकों की कमी से जुझ रहे राजसमंद जिले से मार्च माह में 26 चिकित्सक, कम्पाउंडर व अन्य कार्मिकों का शेखावाटी क्षेत्र में तबादला हो गया, मगर एक भी कार्मिक बाहर से राजसमंद नहीं आए। इस कारण अब कई पशु औषधालयों पर और ताले लगाने की नौबत आ गई, मगर डॉक्टरों लगाने को लेकर न तो सरकार द्वारा कोई ध्यान दिया गया है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि ही गंभीर है।
चल चिकित्सा सुविधा भी बंद
गांव-ढाणी जाकर मवेशियों का उपचार करने के लिए चल चिकित्सा सुविधा के लिए मोबाइल युनिट बनाई, मगर चिकित्सक के अभाव में दो युनिट बंद है। वर्तमान में सिर्फ एक युनिट है, जिसमें एक चिकित्सक व एक चिकित्सा सहायक है, मगर उन्हें भी कई बार पशु केंद्रों में लगा दिया जाता है। इस कारण युनिट का कार्य नहीं हो पा रहा है।
गांव-ढाणी जाकर मवेशियों का उपचार करने के लिए चल चिकित्सा सुविधा के लिए मोबाइल युनिट बनाई, मगर चिकित्सक के अभाव में दो युनिट बंद है। वर्तमान में सिर्फ एक युनिट है, जिसमें एक चिकित्सक व एक चिकित्सा सहायक है, मगर उन्हें भी कई बार पशु केंद्रों में लगा दिया जाता है। इस कारण युनिट का कार्य नहीं हो पा रहा है।
यह है रिक्त पदों की स्थिति
चिकित्सक नहीं, इसलिए बंद
जिले में चिकित्सक, कम्पाउंडर की काफी कमी है। इसी वजह से कई पशु औषधालय बंद है। इसकी रिपोर्ट मुख्यालय भेज रखी है। पिछले माह 26 डॉक्टर व कार्मिक चले गए, मगर एक भी बाहर से यहां नहीं आया। रिक्त पदों की वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है। फिर भी उपलब्ध डॉक्टर, कार्मिकों से बेहतर कार्य के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. लक्ष्मणङ्क्षसह चुंडावत, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग राजसमंद
चिकित्सक नहीं, इसलिए बंद
जिले में चिकित्सक, कम्पाउंडर की काफी कमी है। इसी वजह से कई पशु औषधालय बंद है। इसकी रिपोर्ट मुख्यालय भेज रखी है। पिछले माह 26 डॉक्टर व कार्मिक चले गए, मगर एक भी बाहर से यहां नहीं आया। रिक्त पदों की वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है। फिर भी उपलब्ध डॉक्टर, कार्मिकों से बेहतर कार्य के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. लक्ष्मणङ्क्षसह चुंडावत, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग राजसमंद