चारभुजा. चारभुजा तहसील में जिला परिषद की 2 सीटें हैं, जिनमें से वार्ड 4 सामान्य व वार्ड 3 सामान्य महिला के लिए आरक्षित है। वार्ड 4 में अब तक भाजपा प्रत्याशी जीतते आए हैं, जबकि वार्ड तीन पर कांग्रेस तीन व दो बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। वार्ड 4 से इंटक नेता महेश सिंह सोलंकी चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं भाजपा से महिला प्रत्याशी कैलाशी देवी पंचोली गुर्जर मैदान में हैं। दोनों प्रत्याशी 8 पंचायतों में एक बार जनसंपर्क कर चुके हैं, लेकिन मतदान का दिन अभी काफी दूर होने से दूसरी बार घर-घर व ढाणी-ढाणी में जाकर मतदाताओं को रिझाने की योजना में जुटे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में पूर्व विधायक गणेश सिंह परमार वोट मांग रहे हैं।
खमनोर. इस बार भाजपा-कांग्रेस की अलग-अलग रणनीति नजर आ रही है। कांग्रेस अपनी पार्टी के समर्थित सरपंचों के भरोसे वोट बैंक को संभाले रखने की कोशिश में लगी है, क्योंकि सरपंच ही केंद्र-राज्य सरकारों की छोटी-छोटी योजनाओं और व्यक्तिगत लाभ के कार्यों को करवाते हैं। प्रदेश में सत्ताधारी होने से स्थानीय कांग्रेस ने जो रणनीति बनाई है, उसमें गांवों में सरपंचों की भूमिका पार्टी से भी ज्यादा खास हो गई है। प्रत्याशी खुद सरपंचों की चुनावी रणनीति को फॉलो कर रहे हैं। प्रत्याशी ज्यादातर सरपंचों के भरोसे ही मैदान में जा रहे हैं। योजनाओं के ज्यादातर लाभार्थी ही मतदाता हैं। इस बार चुनावों में यह भी बड़ा तथ्य है कि भाजपा के दम से जीते कई सरपंचों ने मौका देखकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कांग्रेस जहां हद तक सरपंचों के भरोसे है, वहीं भाजपा के कार्यकर्ता और प्रत्याशी अपने वरिष्ठ नेताओं की सभाओं, मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं, कड़े निर्णयों, राष्ट्र रक्षा, धारा-370, राम मंदिर जैसे बड़े मुद्दों को बीच में रखकर लोगों को समझा रहे हैं। दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता वोट बैंक में सेंधमारी रोकने के लिए कोई चूक नहीं कर रहे हैं।
कुंवारिया. पंचायत समिति, राजसमंद के १७ वार्डों में अधिकांश स्थानों पर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के मध्य ही सीधा मुकाबला है। प्रत्याशियों ने प्रचार-प्रसार व जनसम्पर्क में जी-जान लगा दी है। परिवारजन व समर्थक भी मैदान में कूद पड़े हैं। राज्य में सरकार कांग्रेस की होने से प्रत्याशी व उनके समर्थक विकास के कार्यों के लिए कड़ी से कड़ी जोडऩे की बात कह रहे हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी व उनके समर्थक केन्द्र सरकार के विकास कार्यों व प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
पारम्परिक वोट बेंक के साथ प्रत्याशियों व उनके समर्थक सामाजिक गणित पर भी नजर रखे हुए हैं। जाति व समाज के वोटों को लामबंद करने का जतन कर रहे हैं। इसके लिए समाज व जातीय पंचायतों के स्तर पर बैठकों का भी आयोजन हो रहा है।