script10 महीने से ‘अफसरों के हाथों’ में पंचायत राज | Panchayat Raj in 'Officers' Hands' for 10 months | Patrika News

10 महीने से ‘अफसरों के हाथों’ में पंचायत राज

locationराजसमंदPublished: Oct 18, 2020 11:26:22 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

जनप्रतिनिधि नहीं चुनने से न बैठकें हो रही हैं, न समस्याओं पर चर्चाएं, चुनावी दावेदारों का भी इंतजार हुआ लम्बा, राजसमंद जिले की 211 ग्राम पंचायतों में जनवरी में हुए थे चुनाव

10 महीने से 'अफसरों के हाथों' में पंचायत राज

10 महीने से ‘अफसरों के हाथों’ में पंचायत राज

जितेन्द्र पालीवाल @ राजसमंद. राज्य में पंचायती राज चुनाव संस्थाओं के चुनावों की गाड़ी ठिठकने से राजसमंद जिले में भी पंचायती राज संस्थाओं के बाकी पदों पर निर्वाचन का इंतजार लम्बा होता जा रहा है।
यहां जिला प्रमुख, प्रधान और पंचायत समिति-जिला परिषद सदस्य पदों पर जनप्रतिनिधि नहीं होने से जनता की मुश्किलों को सदन में रखा नहीं जा रहा है। हालांकि ग्राम पंचायतों में वार्डपंच और सरपंच पदों का निर्वाचन होने से जमीनी स्तर पर कामकाज चल रहा है, लेकिन ऊपरी संस्थाओं में कोई ‘नेताÓ नहीं होने से उनकी आवाज जिला परिषद तक नहीं पहुंच पा रही है। जिला परिषद में सीईओ, पंचायत समिति में बीडीओ और ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारी प्रशासक के तौर पर कमान सम्भाल रहे हैं। इधर, पंचायत समितियों और जिला परिषद का चुनाव लडऩे के इंतजार में बैठे दावेदारों के सपने भी अधूरे हैं। कोरोनाकाल में अनलॉक प्रक्रिया के तहत राज्य में कई जगह ग्राम पंचायतों के चुनाव होने से अब जल्द चुनाव की उम्मीद बंधी है।
पहले ईवीएम, फिर कोरोना ने रोके चुनाव
जनवरी में वार्डपंच और सरपंचों के चुनाव होने से ग्राम पंचायतों को अपने नए मुखिया पांच साल के लिए मिल गए। आमतौर पर पहले जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों का निर्वाचन होता है, जिसके दो दिन के अंतराल में सरपंचों के चुनाव के साथ ही पंचायती राज का निर्वाचन पूरा हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। बताया गया कि पहली बार पंचायतों में बैलेट पेपर की बजाय ईवीएम से मतदान हुआ। ईवीएम पर्याप्त संख्या में नहीं होने से बाकी पदों के चुनाव टले। इसके बाद मार्च में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लग गया।
आती है बाधाएं
पूर्व जिला प्रमुख प्रवेश सालवी कहते हैं कि बेशक जनप्रतिनिधि नहीं होने, साधारण सभाओं में चर्चाओं, सुझावों, अनुमोदन और निर्णयों की प्रक्रिया के बगैर जनता से जुड़े कई तरह के कामकाज, योजनाओं को गति देने में बाधाएं आती हैं। पंचायतों को पर्याप्त बजट भी नहीं मिला। चुनाव दो टुकड़ों में बंटने को लेकर सालवी कांग्रेस सरकार पर अपने फायदे के लिए ऐसा करने का आरोप लगाते हैं।
पंचायती राज के पदों का आरक्षण और सीट
जिला प्रमुख- महिला ओबीसी, सदस्य सीट : 25
प्रधान कुम्भलगढ़ : सामान्य महिला, सदस्य सीट : 17
प्रधान देवगढ़ : सामान्य महिला सदस्य सीट : 15
प्रधान राजसमंद : सामान्य, सदस्य सीट : 17
प्रधान रेलमगरा : सामान्य, सदस्य सीट : 17
प्रधान खमनोर : एससी, सदस्य सीट : 19
प्रधान देलवाड़ा : एसटी महिला, सदस्य सीट : 15
प्रधान आमेट : ओबीसी महिला, सदस्य सीट : 15
प्रधान भीम : ओबीसी, सदस्य सीट : 17
— फैक्ट फाइल —
8 पंचायत समितियां हैं जिले में अब देलवाड़ा को मिलाकर
134 पंचायत समिति सदस्य की सीटें हैं जिले में
25 सीटें हैं जिला परिषद सदस्यों के लिए
211 ग्राम पंचायतों में इतने ही सरपंच और 2229 वार्डपंचों के चुनाव जनवरी, 2020 में हुए
रूटीन के काम प्रभावित नहीं
सरकार ने प्रशासक नियुक्त करके इन संस्थाओं के कामकाज को जारी रखने की व्यवस्था की है। रूटीन के काम नहीं रुकते हैं। सरपंचों के चुनाव हो चुके हैं। कुछ कार्यों के लिए विकास अधिकारियों को जिला परिषद से अनुमोदन करवाना पड़ता है। अधिकारी स्वयं भी निर्णय करने में सक्षम हैं। यह जरूर है कि जनप्रतिनिधियों के जरिये सही फीडबैक अभी नहीं आ पा रहा है।
निमिषा गुप्ता, सीईओ, जिला परिषद

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