तार और झाडिय़ों में फंसी मादा पैंथर जिंदा बच सकती थी, मगर बदनसीबी का शिकार हो गई। फंसने के कुछ समय में ही यदि किसी को पता चल जाता और समय पर रेस्क्यू दल को बुला लिया जाता तो डेढ़ साल की इस पैंथर की जान बचा ली जाती। पैंथर के फंसकर मौत की घटना का वनकर्मियों, वन्यजीव प्रेमियों और ग्रामीणों को काफी अफसोस रहा। ग्रामीणों ने बताया कि खेत में जहां पैंथर फंसी, उसके आसपास मौजूद पहाडिय़ां, जंगल व पानी पैंथरों के कुनबे के लिए मुफीद जगह है। जहां घटना हुई, उस इलाके में एक पहाड़ी को तो स्थानीय लोग चीता खादर के नाम से इंगित करते हैं।