राजसमंद

Patrika padtaal: निजी स्कूलों ने परिसर में चला रखा कमाई का खेल, यहां स्कूल में ही बिक रही ज्ञान की किताबें

जिले में जिम्मेदारों की अनदेखी से स्कूल संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं

राजसमंदApr 08, 2018 / 11:40 am

laxman singh

जिले में जिम्मेदारों की अनदेखी से स्कूल संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लाख मनाही के बाद भी वह स्कूल परिसर में ही अभिभावकों को बाध्यकर किताबें-कॉपियां थमा रहे हैं। दिए गए केस उदाहरण मात्र हैं, कमोबेश जिले के नाथद्वारा, आमेट, भीम, देवगढ़ आदि क्षेत्रों में संचालित निजी स्कूलों के भी यही हाल हैं। जबकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षाधिकारियों (माध्यमिक) को ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रखे हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाईनहीं हो रही। पत्रिका टीम ने शनिवार को राजसमंद में कुछ निजी स्कूलों की पड़ताल की तो यह हकीकत सामने आई।
केस एक : रिको एरिया में संचालित दो बड़े स्कूलों के अंदर परिसर में ही अभिभावकों को बाध्यकर कॉपी-किताबें बेची जा रही हैं। अभिभावकों ने बताया कि मार्बल गैंगसा एसोसिएशन के पास संचालित स्कूल में सीढिय़ों के पास ही स्कूल का बुकस्टॉल खुला है। इसीतरह दूसरे स्कूल में भी परिसर के अंदर ही किताब और कॉपियों दी जा रही हैं।
केस दो : शिवनगर जावद में स्थित एक निजी स्कूल द्वारा स्कूल के पिछवाड़े, परिसर में ही बुक स्टॉल खोला गया है। यह जगह स्कूल की बसों को खड़ा करने का स्थान है। यहीं साइड में बने कमरे में उन्होंने बुक स्टॉल खोल रखा है। हालांकि किसी भी स्कूल ने कमरे या दुकान के बाहर कुछ लिखा नहीं रखा है। यह स्टॉल दो अप्रेल से चल रही है। स्कूल प्रशासन स्कूल में प्रवेश लेने वाले अभिभावकों पर स्कूल से ही किताबें व कॉपियां खरीदने का दबाव बनाता है।
राजसमंद. जिले में जिम्मेदारों की अनदेखी से स्कूल संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लाख मनाही के बाद भी वह स्कूल परिसर में ही अभिभावकों को बाध्यकर किताबें-कॉपियां थमा रहे हैं। दिए गए केस उदाहरण मात्र हैं, कमोवेश जिले के नाथद्वारा, आमेट, भीम, देवगढ़ आदि क्षेत्रों में संचालित निजी स्कूलों के भी यही हाल हैं। जबकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षाधिकारियों (माध्यमिक) को ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रखे हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाईनहीं हो रही। पत्रिका टीम ने शनिवार को राजसमंद में संचालित कुछ निजी स्कूलों की पड़ताल की तो यह हकीकत सामने आई।
अभिभावकों में बनाया खौफ
पत्रिका टीम ने पड़ताल के दौरान कॉपी-किताबें खरीदने वाले कुछ अभिभावकों से बात की तो उन्होंनें नाम और फोटो नहीं छापने की शर्त पर कहा कि स्कूल प्रशासन मनमानी कर रहा है। लेकिन बच्चों के भविष्य का सवाल है। इसलिए इनकी मनमानी सहन करनी पड़ती है। अगर हम कुछ भी बात खुलकर कहेंगे तो यह बच्चों के परिणाम तक बिगाड़ देते हैं।
यह वसूलते हैं राशि
निजी स्कूलों कक्षा एक से पांचवीं तक की किताबों के करीब पांच हजार रुपए, छठी से आठवीं कक्षा की किताबें छह हजार तक और इससे बड़ी कक्षाओं की किताबें ८ हजार रुपए तक की हैं।
बाहर से मंगवा रहे कुछ किताबें
निजी स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को गुमराज करने के लिए कुछ किताबें बाहर से भी मंगवा रहे हैं। इसमें अभिावक को सीधे तौर पर दुकान का नाम बताकर उनसे किताबें खरीदने को कहा जाता है।
यह है नियम
माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने २९ मार्च को सभी जिला शिक्षाधिकारियों (माध्यमिक) को आदेश जारी करते हुए कहा था कि कोई भी स्कूल डे्रस, किताबें, कॉपी स्कूल में नहीं बेच सकता। साथ ही प्रत्येक स्कूल की किताबें आदि सामग्री बाजार में भी कम से कम तीन दुकानों पर होनी चाहिए, इसके बाद भी अगर अभिभावक चाहे तो वह उसी प्रकाशन की किताबें खुले बाजार से भी मंगवा सकता है। इसमें स्कूल का कोई भी दबाव नहीं होगा।
इनका कहना है…
मेरी जानकारी में ऐसा नहीं आया था, पर अगर ऐसा हो रहा है तो गलत है, मैं मामले की जानकारी कर कार्रवाई करवाता हूं।
-भरत कुमार जोशी, डीईओ (माध्यमिक), राजसमंद
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