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PATRIKA STING : ‘क्वाट्र्स-फेल्सपार का खनन तो अवैध है, मगर खनि अभियंता व पुलिस को देते हैं बंधी, कोई नहीं आएगा

locationराजसमंदPublished: Sep 17, 2017 01:55:28 pm

Submitted by:

laxman singh

राजस्थान पत्रिका का स्टींग ऑपरेशन, अवैध खनन में विभागीय मिलीभगत की खुली पोल किसानों से औने-पौने दामों में पहाडिय़ां खरीद कर करते हैं व्यापार

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राजसमंद/रेलमगरा. जिम्मेदारों की मिलीभगत के चलते जिले में फेल्सपार व मार्बल खनन का कारोबार जमकर फलफूल रहा है। अवैध खनन करने वालों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें कुछ नहीं बिगडऩे का पूरा भरोसा भी है। इसकी वजह भी है।
पड़ताल के लिए पत्रिका टीम शुक्रवार दोपहर एक बजे कोटड़ी क्षेत्र में फेल्सपार के हो रहे अवैध खनन की माइंस पर पहुंची। टीम के एक सदस्य ने व्यापारी बनकर माइंस खरीदने की बात की, तो वहां मौजूद व्यक्ति ने अपने आपको माइंस का साझेदार बताते हुए कहा कि इसकी लीज तो नहीं है लेकिन आप इसे खरीद लो, मैं गारंटी लेता हूं यहां पुलिस आएगी और ना ही खनन विभाग का कोई कार्मिक। उनका दावा काफी मजबूत था। वह बोला, हम लम्बे समय से यह कारोबार कर रहे हैं, कभी समस्या नहीं हुई। हालांकि इस दौरान उसने माइंस को बेचने की रेट का खुलासा नहीं किया तथा अपने दूसरे साझेदार का नम्बर देकर कहा कि रेट वही तय करेंगे।
ऐसे कर रहे खनन
व्यापारी अवैध रूप से देशी जुगाड़ से बनी क्रेन के सहारे बेहद गहराई से सफेद पत्थरों का खनन करते हुए मजदूरों की सुरक्षा के नियमों को ताक में रखते हुए सरेआम सरकार की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं वर्षों से इस काम में लिप्त कारोबारी सरकारी डंडे को ठेंगा दिखाते हुए खुलेआम इनका परिवहन भी कर रहे हैं। वाहनों में क्षमता से अधिक माल लाद कर इनका परिवहन कई बार तो राहगीरों के लिए मुसीबत तक बन जाता है वहीं धड़ल्ले से सरपट दौडऩे वाले यह वाहन सडक़ों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने कई बार इस कारोबार की शिकायते खनन विभाग सहित सक्षम अधिकारियों के समक्ष दर्ज भी कराई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। बारिश के दिनों में इन खदानों में पानी भरने की दशा में ठेकेदार मौके पर अवैध रूप से मोटर पंप लगाकर इन खदानों का पानी भी खाली करते है और खनन कार्य को जारी रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते।

यहां भी हो रहा खनन
क्षेत्र के सादड़ी, कारोलिया, काबरा, कोटड़ी, मेणिया, चराणा, गवारड़ी, धनेरियागढ़, लड़पचा आदि गांवों में इस धंधे की दर्जनों अवैध खानें संचालित हैं।


यहां पहुंची टीम
कोटड़ी से काबरा की ओर करीब एक किमी चलने पर एक कच्चा रास्ता गया हुआ है। इस रास्ते पर आधा किमी चलने के बाद एक गेट लगा था, जो किसानों ने फसल रखवाली के लिए लगा रखा है। गेट के अंदर घुसने पर यहां फसलों के बीच में यह कारोबार चल रहा था।

किसान से खरीदते हैं ठेके पर खेत!
सौदेबाजी के बीच उसने बताया कि हमने यह पहाड़ी किसान से खरीदी है, जबतक पत्थर निकलेंगे तबतक निकालेंगे बाद में खेत मालिक को खेत वापस कर देंंगे।

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