व्यापारी अवैध रूप से देशी जुगाड़ से बनी क्रेन के सहारे बेहद गहराई से सफेद पत्थरों का खनन करते हुए मजदूरों की सुरक्षा के नियमों को ताक में रखते हुए सरेआम सरकार की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं वर्षों से इस काम में लिप्त कारोबारी सरकारी डंडे को ठेंगा दिखाते हुए खुलेआम इनका परिवहन भी कर रहे हैं। वाहनों में क्षमता से अधिक माल लाद कर इनका परिवहन कई बार तो राहगीरों के लिए मुसीबत तक बन जाता है वहीं धड़ल्ले से सरपट दौडऩे वाले यह वाहन सडक़ों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने कई बार इस कारोबार की शिकायते खनन विभाग सहित सक्षम अधिकारियों के समक्ष दर्ज भी कराई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। बारिश के दिनों में इन खदानों में पानी भरने की दशा में ठेकेदार मौके पर अवैध रूप से मोटर पंप लगाकर इन खदानों का पानी भी खाली करते है और खनन कार्य को जारी रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते।
यहां भी हो रहा खनन
क्षेत्र के सादड़ी, कारोलिया, काबरा, कोटड़ी, मेणिया, चराणा, गवारड़ी, धनेरियागढ़, लड़पचा आदि गांवों में इस धंधे की दर्जनों अवैध खानें संचालित हैं।
यहां पहुंची टीम
कोटड़ी से काबरा की ओर करीब एक किमी चलने पर एक कच्चा रास्ता गया हुआ है। इस रास्ते पर आधा किमी चलने के बाद एक गेट लगा था, जो किसानों ने फसल रखवाली के लिए लगा रखा है। गेट के अंदर घुसने पर यहां फसलों के बीच में यह कारोबार चल रहा था।
किसान से खरीदते हैं ठेके पर खेत!
सौदेबाजी के बीच उसने बताया कि हमने यह पहाड़ी किसान से खरीदी है, जबतक पत्थर निकलेंगे तबतक निकालेंगे बाद में खेत मालिक को खेत वापस कर देंंगे।