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राजसमंद

सब्जी मंडी व किराने की दुकानों पर भीड़ से लोग चिंतित

– आम लोगों से अपनी जरूरतें कम करने का आग्रह

राजसमंदMar 30, 2020 / 12:50 pm

Rakesh Gandhi

सब्जी मंडी व किराने की दुकानों पर भीड़ से लोग चिंतित

सब्जी मंडी व किराने की दुकानों पर भीड़ से लोग चिंतित

राजसमंद. ऑड-डे को दुकानें खुलने से बाजार में होने वाली भीड़ ने आम लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। किराने की दुकानों पर सब्जी मंडी की भीड़ से तो सोशल डिस्टेन्स के मायने ही खत्म हो गए हैं। ऐसे में यहां के प्रबुद्ध नागरिकों से चर्चा की तो कुछ अलग-अलग विचार सामने आए। अधिकतर लोगों ने इस विषम परिस्थिति में लोगों से संयमित जीवन शैली अपनाने का सुझाव दिया।
प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के अंश…
दुकानें 10 से 5 बजे तक रोज खुलें
नजदीकी जिले भीलवाड़ा में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति के बावजूद राजसमंद जिला अभी सुरक्षित है, इसके लिए जिला प्रशासन के प्रयास सराहनीय हैं। मेरा सुझाव है कि वर्तमान आपात स्थिति में लोगों को किराना, सब्जी व दूध आदि की जरूरतों को देखते हुए प्रशासन को इन जरूरी सामान की दुकानों को प्रतिदिन 10 से 5 बजे तक खोलने की स्वीकृति देनी चाहिए। इससे जहां अफरा-तफरी, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी रुकेगी, वहीं उपभोक्ताओं को आसानी रहेगी। गांवों व नगरों में उपभोक्ताओं को उनकी तय दुकानों पर उधार पर सामग्री आसानी से मिलती रही है, जिससे वे बाद में भुगतान करते रहे हैं, लेकिन डोर-टू-डोर सामग्री में ऐसा संभव नहीं होगा और हो सकता है कुछ लोगों के पास अभी पैसे हों भी नहीं। इससे भूखमरी की स्थिति बनेगी, अराजगता भी बढ़ सकती है। हालांकि नागरिकों को भी चाहिए कि वे बाजार में भीड़भाड़ करने की बजाए अनुशासित रहकर जरूरत के सामान खरीदें। फालतू न घूमें। दूसरा, आज प्रदेश की सड़कों पर हजारों लोग अपने घरों की तरफ पैदल ही चल रहे हैं, जिन्हें न तो खाना मिल रहा है और न पानी। ऐसे में इन लोगों के लिए रास्तों में इंतजाम होने चाहिए, ताकि वे भूख-प्यास से परेशान न हों।
मेरा प्रशासन से आग्रह है कि बाजार खोले जाने की स्थिति में कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं को पास आदि जारी कर बाजार में व्यवस्थाएं संभालने को कहा जा सकता है, ताकि वे बाजर में रहते हुए लोगों को तय दूरी बनाए रखने व व्यवस्था संभालने में मदद करेंगे। प्रशासन को सामाजिक-शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी बुलाकर इस बारे में चर्चा करनी चाहिए। ताकि उन्हें मदद ही मिलेगी। हमारे मिले-जुले प्रयास से हम कोरोना वायरस से छिड़ी जंग जरूर जीत पाएंगे।
– डा. महेन्द्र कर्णावट
अपनी इच्छाओं पर विराम लगाना जरूरी
इस विकट घड़ी में आमजन को आत्मानुशासन का परिचय देने की आवश्यकता है। सड़कों पर अनावश्यक भीड़ को देखकर ही संभवत: प्रशासन के सामने दुकानों को बंद करने के साथ डोर-टू-डोर डिलीवरी व्यवस्था करने के अलावा कोई चारा नहीं रहा। प्रशासन का मानना भी ठीक है कि जब दुकानें खुलेगी ही नहीं एवं इच्छित वस्तु घर के दरवाजे पर ही उपलब्ध हो जाएगी तो बाजार में कोई निकलेगा ही नहीं। ऐसे में प्रशासन एवं पुलिस की मशक्कत भी कम होगी। हालांकि डोर-टू-डोर सामग्री का वितरण एवं उपयोग कुशलता व जागरूकता के साथ होना चाहिए। इससे संक्रमण का खतरा भी कम होगा। डोर-टू-डोर सप्लाई देने वाले संस्थान का प्रतिनिधि निश्चित समय पर मोहल्ले में आकर घर के बाहर होर्न बजाकर भी सामग्री का वितरण कर सकता है। वितरक परिचित है तो आर्डर फोन पर नोट करवाया जा सकता है। वितरक यदि संबंधित मौहल्ले का रहेगा तो श्रेष्ठ रहेगा। कुछ इसी तरह मोहल्ले में हर दूसरे दिन सब्जियों का वितरण हो तो बेहतर रहेगा, इससे मंडी खोलने की जरूरत नहीं रहेगी। वैसे यदि हम अपनी इच्छाओं पर कुछ दिन विराम लगा लें, तो साधारण खाने से 15 दिन संयमित चलाया जा सकता है।
– राजकुमार दक
बाजार में लगने वाली भीड़ चिंताजनक
राशन एवं दूध-सब्जी आदि के लिए दुकानों और सड़कों पर भीड़ जमा होना बेहद चिंताजनक है। बीते एक सप्ताह में देखी गई स्थिति चिंता को और बढ़ाने वाली है। कई लोग अब भी बेपरवाह हैं जो आमजन को किसी खतरे की आहट महसूस करा रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी के बहाने ऐसे कई बेपरवाह लोग अब भी घरों से लगातार बाहर निकल रहे हैं। इस स्थिति से बचने के लिए राशन एवं अन्य जरूरी सामग्री की होम डिलीवरी की व्यवस्था ही उपयुक्त प्रतीत होती हैं। प्रशासन ने तीन दिन पूर्व ही होम डिलीवरी की व्यवस्था कायम कर दी थी तो फिर बाजार में किराना एवं सब्जी की दुकानें क्यों खोली जा रही है? होम डिलीवरी से यह होगा कि अति आवश्यक होने पर ही कोई व्यक्ति दुकानदार को ऑर्डर करेगा और तब दुकानदार भी सीधा उस घर तक सामग्री पहुंचा देगा। इससे सामाजिक दूरी यानी सोशल डिस्टेंस पूरी तरह कायम रह पाएगी। बाजार में दुकानें खोलने की व्यवस्था तत्काल बंद हो, यही बेहतर रहेगा।
– राजमल शर्मा

संयमित जीवन शैली अपनाना जरूरी
वर्तमान परिस्थितियों में अपने आपको व अपने परिवार को सुरक्षित रखते हुए अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर संयमित जीवन शैली अपनानी चाहिए। केंद्र व राज्य सरकार, जिला प्रशासन, भामाशाह, स्वयंसेवी संस्थाएं व सेवाभावी कार्यकर्ता उदार मन से आमजन की मदद कर रहे हैं। आवश्यक राशन सामग्री सबको अभी तक आसानी से मिल रही है, लेकिन इन विषम परिस्थितियों में भी स्वार्थी तत्व जमाखोरी का प्रयास कर रहे हैं। जबकि ऐसे समय में सभी को मिलजुल कर राष्ट्रीयता की भावना रखनी चाहिए। राशन के लिए लोग ज्यादा बाहर नहीं आए, इसके लिए प्रशासन का डोर-टू-डोर सामग्री का प्रयास सराहनीय है। छोटे दुकानदारों को भी अपने बहिखातों में प्रविष्टि करते हुए गांव-मौहल्लों में सामग्री पहुंचानी चाहिए। ताकि बाजार में भीड़ नहीं रहेगी। खेतों में तैयार फसलों को लोगों तक पहुंचाकर किसानों को सहयोग करने की जरूरत है। इस ओर भी प्रशासन को ध्यान देना होगा। आज इन परिस्थितियों में राष्ट्र को जरूरत है अपने नागरिकों के संयम की। ये परीक्षा की घड़ी है और हम सभी को इसमें बहुत सावधानी बरतनी होगी। राजसमंद के लोगों से अपील है कि कुछ दिन अपने घर मेें रहकर राष्ट्र को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दें।
– भगवतीलाल पालीवाल

डोर-टू-डोर सामग्री पहुंचाना ही बेहतर
इस आपदा के दौरान हमें प्रशासन व सरकार पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए। इस समय अपनी जरूरतों को सीमित करने की आवश्यकता है। जिस तरह से लोग घरों से निकल कर सड़क पर आ रहे हैं, ये भयावह है। व्यापारिक व सामाजिक संगठनों के सजग प्रहरियों के जरिए दूध, सब्जी-फल व राशन सामग्री घर-घर पहुंचाने की प्रक्रिया अपनाने के साथ ही लोगों को घर पर ही रुकने के लिए मोटिवेट करना जरूरी है। यह सही है खाली पेट ही जनता को घर से बाहर निकलने को मजबूर कर रहा है, ऐसे में डोर-टू-डोर जरूरत की सामग्री पहुंचाना बेहतर होगा। हमें इस विषम परिस्थिति में ये फैसला करना होगा कि हमें जीने के लिए खाना है या खाने के लिए जीना।
– मधु प्रकाश लड्ढ़ा
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