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काव्यपाठ: ' तुम जहां पर बारूद पैदा कर रहे हो, मैं उन्हीं खेतों में मेहंदी उगा रहा हूं'

locationराजसमंदPublished: Sep 26, 2022 12:00:05 pm

Submitted by:

himanshu dhawal

- आमेट के सांस्कृतिक-मेले में काव्य रस की बही रसधारा, व्यापारियों की मांग पर दो दिन और बढ़ाया मेला

काव्यपाठ: ' तुम जहां पर बारूद पैदा कर रहे हो, मैं उन्हीं खेतों में मेहंदी उगा रहा हूं'
मेले में सांस्कृतिक मंच पर काव्यपाठ करते कवि और कवयित्री तथा मौजूद श्रोता। आमेट
आमेट. नगर पालिका मंडल आमेट द्वारा आयोजित सांस्कृतिक मेले में शनिवार रात्रि को देश-प्रदेश के ख्यातनाम रचनाकारों द्वारा काव्य पाठ से श्रोताओं को काव्य के रस से रससिक्त कर दिया।

नगर पालिका मंडल कार्मिकों के साथ चेयरमैन कैलाश मेवाड़ा के द्वारा सभी कवियों का पगड़ी दुपट्टा तिलक माल्यार्पण के साथ स्वागत सत्कार किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ डॉ. भुवन मोहिनी की सरस्वती वंदना मेरे मन का हर मन का भाव गंगाजल जैसा हो, जय हो शक्ति भगवती अग्निवत मधुबनी, प्रस्तुत करके किया। इसके बाद कवि डॉ. संपत सरल बेचैन के द्वारा ओज भरी कविता सुनाते हुए कहा "दिलों पर राज कौन करता है, दिल की रेल पर प्यार का व्यापार कौन करता है। हास्य कविता के रूप में जाति और वर्ग की मानसिकता पर कटाक्ष किया। डॉ. भुवन मोहिनी ने शृंगार गीत "तना हो सर पे छपर, सावन क्या बिगाड़ेगा, दुप्पटा हो तन पर दुशासन क्या बिगाड़ेगा, पेश की। कवि मदन मोहन ने "शत्रु के सम्मुख हर समय डटी रही वो वीरांगना वो झांसी की महारानी थी, पेश कर श्रोताओं में जोश भर दिया। हास्य कवि बाराबंकी के प्रियांशु गजेंद्र ने लक्ष्य हम पर सधे थे, सधे रह गए, राजनीति के हम गधे थे गधे रह गए पेश करते हुए श्रोताओं को लोटपोट कर दिया।
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