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बेटे की चाहत में नौ बेटियां जन्मी, बेटा कोख में आया तो मौत भी आ गई

– परिवार की तमन्ना पूरी करने की कोशिशों में ‘लीला’ को गंवानी पड़ी जान, शहर के पास प्रतापपुरा गांव का मामला

राजसमंदSep 22, 2018 / 11:44 am

laxman singh

बेटे की चाहत में नौ बेटियां जन्मी, बेटा कोख में आया तो मौत भी आ गई

अश्वनीप्रताप सिंह @ राजसमंद. नौ संतानों को जन्म देन के बाद भी उसके परिवार का ख्वाब अधूरा था। बस एक बदद बेटा चाहिए। इसी तमन्ना को पूरा करने में वह कई सालों से बच्चों को कोख में पाल रही थी और उन्हें जन्म देती जा रही थी। बेटा पैदा करना उसके बस में तो नहीं था, फिर भी कुनबे की स्वाभाविक आशाओं को पूरा करने का दबाव उसे यह करने पर मजबूर कर रहा था। आखिर यह सपना पूरा करते-करते वह थक गई और हमेशा के लिए सो गई।
साक्षरता की ओर तेजी से बढ़ते समाज का स्याह पक्ष दिखाती यह दास्तां ४० साल की लीला की है, जिसकी शादी के बाद पूरी जिन्दगी बच्चे पैदा करने और उन्हें पालन में ही बीत गई। एक के बाद एक करीब १२ बार गर्भवती हुई और उसमें से तीन बच्चे जिन्दा नहीं रहे। अब नौ बेटियां हैं। आखिरी संतान बेटा था, जो पैदा होने से पहले ही न केवल खुद मौत के मुंह में चला गया, बल्कि मां को भी साथ ले गया। शहर से सटे प्रतापपुरा निवासी कालू भील की पत्नी लीला की १७ सितम्बर को प्रसव के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। उसकी मौत के पीछे की वजहें समाज और सरकारी तंत्र को शर्मसार करती हैं।
कब तक बच्चे देती वह?
सवाल यह कि आखिर उस पर किसका दबाव था, जिसने उसे मां से मशीन बनने के लिए मजबूर कर दिया? शादी के बाद से लगभग हर वर्ष उसे बेटे के लिए गर्भधारण करना पड़ा। इस बीच सरकारी तंत्र सोया रहा और उसके गर्भ में १२ बच्चे पलते रहे। परिवार नियोजन जैसी योजनाओं के मुंह पर लीला की कहानी एक तमाचे की तरह है। वह और उसका पति अनपढ़ थे, लेकिन जिम्मेदारों ने भी उन्हें सही राह नहीं दिखाई।
एक दर्जन बार सही प्रसवपीड़ा
लीला-कालू की शादी करीब २३ वर्ष पूर्व हुई थी। २३ वर्ष में उसने १२ बच्चों को जन्म दिया है। दो बार गर्भपात भी हुआ और आखिरी संतान कोख में ही मर गई। बड़ी लडक़ी की उम्र करीब २२ वर्ष है, जबकि दो जुड़वां बेटियों की उम्र करीब डेढ़ वर्ष है। दो बड़ी बेटियों की शादी हो चुकी है तथा अब सात बेटियों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी अकेले कालू के कंधों पर है।

परिवार में शिक्षा का अभाव
कालू अनपढ़ है। लीला भी अनपढ़ थी। परिवार में सिर्फ बड़ी लडक़ी साक्षर है, जबकि दो लड़कियां अब स्कूल जाती हैं, जबकि अन्य अभी भी शिक्षा से कोसों दूर हैं।
एक-दूसरे का नाम तक नहीं जानती
परिवार की स्थिति ऐसी है कि सारी बहनें क्रम से एक दूसरे के नाम भी नहीं जानती हैं। काफी सोचकर वह बता पाती हैं कि बड़ी कौन है और छोटी कौन है।

कैसे पालेगा इतनी बेटियों को?
लीला के होने से कालू के पास सारा दिन मेहनत मजदूरी करने का समय रहता था, लेकिन अब उसे गृहस्थी का बोझ भी संभालना पड़ेगा।

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
कालू ने बताया कि गरीब होने के बाद भी उसे सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। यहां तक बीपीएल में भी उसे शामिल नहीं किया गया है।

पत्नी चाहती थी बेटा
कालू के परिवार में एक बूढ़ी मां, तथा दो भाई हैं, भाई अलग रहते हैं। उसने बताया कि लीला एक पुत्र चाहती थी, ताकि उसका वंश आगे बढ़ सके। परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए उसे किसी ने भी प्रेरित नहीं किया।

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