राजसमंद को मिले मार्बल मंडी का दर्जा
राजसमंद और नाथद्वारा के बीच दूरी ज्यादा नहीं है, लेकिन लोगों का रहन-सहन और बोली का अंदाज जुदा है। मार्बल व्यवसाय के बावजूद रोजगार यहां का बड़ा मुद्दा है। मार्बल की सैकड़ों इकाइयों के बावजूद रोजगार के लिए लोग गुजरात और महाराष्ट्र पर निर्भर हैं। मार्बल व्यवसायी भरत कहते हैं कि राजसमंद को मार्बल मंडी का दर्जा मिलने का तीन दशक से इंतजार है।
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मार्बल के स्थानीय व्यापारियों को टीस है कि राजसमंद से ज्यादा किशनगढ़ को तवज्जो मिल रही। जबकि, मार्बल उनके यहां का है। चाय की थड़ी पर मिले उगम रावत ने सरकार की नि:शुल्क दवा और चिरंजीवी योजना को आमजन के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की कई योजनाएं लाभकारी हैं। हालांकि, उन्हें इस बात का दर्द भी है कि कई जगह चिकित्सकों की कमी है, जिसे सरकार को जल्द पूरा करना चाहिए।
मंडी बेनूर, व्यापारी बाहर बैठने को मजबूर
राजसमंद के पुराने बाजार स्थित सब्जी मंडी की अपनी ही कहानी है। मंडी के भीतर गंदगी पसरी है और व्यापारी बाहर बैठकर व्यापार करने को मजबूर हैं। मंडी के बाहर सब्जी बेच रही कमला से बातचीत हुई तो उसका दर्द बाहर आया। कमला ने कहा, मंडी में बैठते हैं तो ग्राहक बाहर खड़े ठेलों से ही सब्जी लेकर लौट जाते हैं। नगर परिषद ने मंडी में जगह देने के नाम पर 11-11 हजार रुपए ले लिए, लेकिन मंडी के बाहर खड़े ठेलों को नहीं हटाया।
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नाथद्वारा : यहां सब कुछ देने वाले श्रीनाथजी
नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर देश-दुनिया के सैलानियों की आस्था का केंद्र है। यहां हर साल लाखों भक्त श्रीनाथजी के दर्शनार्थ आते हैं। नाथद्वारा हाईवे पर बसा हुआ है। यहां भगवान भोलेनाथ की विशालकाय मूर्ति भी भक्तों और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। यहां के लोग सरकार से ज्यादा श्रीनाथजी पर भरोसा करते हैं। नाथद्वारा मंदिर के बाहर दुकान पर मिले राजेशकुमार का कहना था कि श्रीनाथजी के आशीर्वाद से यहां कोई कमी नहीं। यहां हाल ही में सरकार ने पेयजल योजना की सौगात दी है। लोगों को उम्मीद है कि पानी की समस्या का भी जल्द ही समाधान होगा। यहां युवा हो या बुजुर्ग सभी सिर्फ एक ही बात बोलते हैं… देने वाले श्रीनाथजी है। उनके भरोसे ही क्षेत्र का विकास हो रहा है।
हल्दीघाटी में बढ़े पर्यटन तो लगें पंख
हल्दीघाटी की मिट्टी हर कोई अपने माथै पर लगाना सौभाग्य मानता है। यहां पिछले कुछ बरसों में धीरे-धीरे विकास हुआ है, लेकिन इसको पंख लगने की अब भी दरकार है। यहां की सडक़ें और परिवहन व्यवस्था सुचारू करने की जरूरत है। पर्यटन की दृष्टि से हल्दीघाटी को तेजी से विकसित किया जाए तभी बात बन सकती है।