यह है समस्या
नहरों की लम्बे समय से मरम्मत नहीं हुई है। नहरों के अंदर के हिस्से में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। कई जगह प्लास्टर टूट गया तथा गई जगह से पूरी नहर ही क्षतिग्रस्त है। इससे जगह-जगह पानी का लीकेज होता है। वहीं नहर के किनारे के खेतों में ऐसा सीपेज होता है कि वहां महीनों तक पानी नहीं सूखता। पिछलीबार जब नहरें चलीं थी तो किसान सीपेज की समस्या से खासे परेशान हुए थे।
नहरों की लम्बे समय से मरम्मत नहीं हुई है। नहरों के अंदर के हिस्से में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। कई जगह प्लास्टर टूट गया तथा गई जगह से पूरी नहर ही क्षतिग्रस्त है। इससे जगह-जगह पानी का लीकेज होता है। वहीं नहर के किनारे के खेतों में ऐसा सीपेज होता है कि वहां महीनों तक पानी नहीं सूखता। पिछलीबार जब नहरें चलीं थी तो किसान सीपेज की समस्या से खासे परेशान हुए थे।
नालियां भी टूटी
नहरों के साथ ही नहर से जुड़ी नालियां भी क्षतिग्रस्त हैं। रखरखाव के अभाव में नालियां टूट-फूट गई हैं, इससे पानी नियत स्थान पर न पहुंचकर चारों तरफ फैलेगा।
पहले भी व्यर्थ बहा पानी
४४ वर्ष बाद वर्ष २०१७ में झील छलकी थी। भरपूर पानी होने से किसानों के लिए राइट और लेफ्ट दोनों ही नहरें खोली गईं थीं। इस दौरान दोनों नहरों में जबरजस्त सीपेज हुआ था। वहीं कई जगह क्षतिग्रस्त नहरों की वजह से पानी रास्ते में भर गया था। यहां तक की बाईं नहर का पानी तो बांडियानाला में जाकर बर्बाद हुआ था।
झील में कम हुई पानी की आवक
बारिश बंद होने के बाद गोमती में पानी की आवक कम होने से झील में पानी की आवक कम हो गई है। शनिवार को गोमती की छापरखेड़ी स्थित पुलिया पर करीब १.५ इंच की चादर ही चल रही थी। हालांकि अभी खारी फीडर से आवक जारी है। झील ने २० फीट का आकड़ा भी पार कर लिया है।
जहां ज्यादा क्षतिग्रस्त है उसे सही करवाएंगे…
नहरों की मरम्मत के लिए २८ करोड़ के टेंडर पास नहीं हुए हैं। इससे मरम्मत कार्य नहीं किया गया है। हां जहां-जहां ज्यादा नहर क्षतिग्रस्त दिखेगी उसे सही करवा देंगे। अब सीपेज की समस्या तो बिना मरम्मत कार्य के ठीक नहीं हो सकती। हमारे पास और कोई विकल्प भी नहीं है।
ओंकार बेरवाल, अधीशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, राजसमंद