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जख्मी हैं जलवाहिनियां, दवा-पट्टी का पैसा नहीं

locationराजसमंदPublished: Oct 20, 2019 11:07:32 am

Submitted by:

Aswani

-28 करोड़ के प्रस्ताव नहीं हुए पास -लम्बे समय से नहीं हुई नहरों की मरम्मत-सीपेज की भारी समस्या

जख्मी हैं जलवाहिनियां, दवा-पट्टी का पैसा नहीं

जख्मी हैं जलवाहिनियां, दवा-पट्टी का पैसा नहीं

अश्वनी प्रतापसिंह @ राजसमंद. झील की दाईं और बाईं नहरों की मरम्मत के लिए भेजे गए प्रस्ताव पास नहीं होने से फिर पानी व्यर्थ बहने का अंदेशा है। नहरों के अंदर का प्लास्टर टूट जाने से सीपेज की समस्या है, कई जगह तो नहरें बुरी तरह से क्षतिगस्त हैं। ऐसे में जब नहरें खोली जाएंगी तो पानी की खासी बर्बादी होगी।
राजसमंद झील से किसानों को पानी देने के लिए सिंचाई विभाग की दो नहरें बनी हैं। इसमें दाईं नहर दयालशाह किले के पास निकलकर जलचक्की के पास दो नहरों में बंट जाती है, एक कांकरोली, आसोटिया, मोही आदि की ओर जाती है जबकि दूसरी धोइंदा, नौगामा, एमड़ी, भटखेड़ा, नांदोली आदि किसानों को पानी पहुंचाती है। जबकि बार्इं नहर गुडली, बागपुरा, कोयड़, नाड़ी, तरसिंगडा, भाणा, वासोल, परतापुरा, पांडोलाई, बड़लिया, पीपली आचार्यान, सोनियाणा, ढूम खेड़ा, कुंवारिया सहित क्षेत्र के ३० गांवों के किसानों को पानी पहुंचाती है। वर्तमान समय में दोनों ही नहरें कई जगह से क्षतिग्रस्त हैं।
यह है समस्या
नहरों की लम्बे समय से मरम्मत नहीं हुई है। नहरों के अंदर के हिस्से में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। कई जगह प्लास्टर टूट गया तथा गई जगह से पूरी नहर ही क्षतिग्रस्त है। इससे जगह-जगह पानी का लीकेज होता है। वहीं नहर के किनारे के खेतों में ऐसा सीपेज होता है कि वहां महीनों तक पानी नहीं सूखता। पिछलीबार जब नहरें चलीं थी तो किसान सीपेज की समस्या से खासे परेशान हुए थे।

नालियां भी टूटी
नहरों के साथ ही नहर से जुड़ी नालियां भी क्षतिग्रस्त हैं। रखरखाव के अभाव में नालियां टूट-फूट गई हैं, इससे पानी नियत स्थान पर न पहुंचकर चारों तरफ फैलेगा।
पहले भी व्यर्थ बहा पानी
४४ वर्ष बाद वर्ष २०१७ में झील छलकी थी। भरपूर पानी होने से किसानों के लिए राइट और लेफ्ट दोनों ही नहरें खोली गईं थीं। इस दौरान दोनों नहरों में जबरजस्त सीपेज हुआ था। वहीं कई जगह क्षतिग्रस्त नहरों की वजह से पानी रास्ते में भर गया था। यहां तक की बाईं नहर का पानी तो बांडियानाला में जाकर बर्बाद हुआ था।

झील में कम हुई पानी की आवक
बारिश बंद होने के बाद गोमती में पानी की आवक कम होने से झील में पानी की आवक कम हो गई है। शनिवार को गोमती की छापरखेड़ी स्थित पुलिया पर करीब १.५ इंच की चादर ही चल रही थी। हालांकि अभी खारी फीडर से आवक जारी है। झील ने २० फीट का आकड़ा भी पार कर लिया है।

जहां ज्यादा क्षतिग्रस्त है उसे सही करवाएंगे…
नहरों की मरम्मत के लिए २८ करोड़ के टेंडर पास नहीं हुए हैं। इससे मरम्मत कार्य नहीं किया गया है। हां जहां-जहां ज्यादा नहर क्षतिग्रस्त दिखेगी उसे सही करवा देंगे। अब सीपेज की समस्या तो बिना मरम्मत कार्य के ठीक नहीं हो सकती। हमारे पास और कोई विकल्प भी नहीं है।
ओंकार बेरवाल, अधीशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, राजसमंद
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