भाषण में जिलाध्यक्ष गुर्जर ने महात्मा गांधी की दृढ़ता से आजादी मिलने का उदाहरण देते हुए जो दृढ़ राखे धर्म को तिहि राखे करतार का भी नारा लगाया। मुझे चुनाव भी जबरदस्ती लड़वाया
कांग्रेस में मिली जिम्मेदारियों को लेकर भी गुर्जर का दर्द छलका। उन्होंने कहा कि मुझे विधायक का जबरदस्ती टिकट दिया गया। मुझे जिलाध्यक्ष बना दिया गया। मुझे सांसद का भी चुनाव लड़वाया। यह विडम्बना है। मैंने कभी नहीं चाहा कि मैं जिलाध्यक्ष बनूं। मेरी यही इच्छा रही कि जिस व्यक्ति और पार्टी के साथ रहा हूं, वह आगे बढ़ सकें। जिनके साथ समर्पण भाव से काम करें, वह आगे बढ़ सकें। हिम्मत और एकजुटता के साथ काम करेंगे तो आगे बढ़ सकेंगे।
मैंने जो उदाहरण दिया, वह बिल्कुल उचित है। कहने का मतलब यह है कि व्यक्ति अपनी हिम्मत से लड़ता है, संख्याबल से नहीं। मैंने महात्मा गांधी का भी उदाहरण दिया। जहां तक जिम्मेदारी की बात है, मेरे कहने का मतलब यह था कि कार्यकर्ताओं को लोभ या पद के लिए नहीं पार्टी से नहीं जुडऩा चाहिए। बिना स्वार्थ के चुनाव में काम करना चाहिए।
देवकीनंदन गुर्जर, कांग्रेस जिलाध्यक्ष