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कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने पंचायत चुनाव में जीत के लिए दी बाबर के हौसले की मिसाल

locationराजसमंदPublished: Oct 30, 2020 09:47:41 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

पानीपत के युद्ध को बताया खानवा का युद्ध, नाथद्वारा में कार्यकर्ताओं की बैठक में बोले- बाबर के 12 हजार सैनिक हिम्मत से लड़े, तब हिन्दुस्तान में कायम हुआ मुगलों का राज, पंचायत चुनाव में वैसा ही जज्बा दिखाने की अपील

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने पंचायत चुनाव में जीत के लिए दी बाबर के हौसले की मिसाल

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने पंचायत चुनाव में जीत के लिए दी बाबर के हौसले की मिसाल

राजसमंद. कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर ने पंचायती राज चुनावों में कांग्रेस की जीत के लिए मुगल शासक बाबर के हौसले की मिसाल देते हुए कार्यकर्ताओं से एकजुटता और साहस दिखाने का आह्वान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि बाबर के 12 हजार सैनिक इब्राहिम लोदी के एक लाख सैनिकों के सामने हिम्मत से लड़े, तभी मुगलों का हिन्दुस्तान में राज कायम हुआ। गुर्जर शुक्रवार की दोपहर नाथद्वारा क्षेत्र में एक फॉर्म हाउस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
अपने भाषण में कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा, बाबर 1925 में हिन्दुस्तान में आया था, तब पहला युद्ध हुआ था ‘खानवाÓ में 1526 में इब्राहिम लोदी के साथ। लोदी के एक लाख सैनिक थे। बाबर के पास केवल 12 हजार सैनिक ही थे। युद्ध में उसके दस हजार सैनिक लड़े। दो हजार रिजर्व में रखे गए थे। जब बाबर ने देखा कि मैं हार रहा हूं, पलड़ा उल्टा पड़ रहा है, तब उसने अपने सभी समकक्षों, सलाहकारों को बुलाया। उसने कहा, सेनापतियो! हम युद्ध हार रहे हैं। हार जाएंगे तो दुर्गति के साथ ही मारे जाएंगे। आपको कोई पूछने वाला नहीं मिलेगा। अगर जीत जाओगे तो हिन्दुस्तान पर राज करोगे। ये दुनिया आपको सलाम करेगी। हार जाओगे और मर भी जाओगे तो ऊपर स्वर्ग आपके लिए खुला है। आपको चुनना है कि आपको क्या करना है। गुर्जर ने भाषण में आगे कहा कि बाबर के 10 और दो कुल 12 हजार सैनिक एकसाथ जुटकर भिड़ गए। उन्होंने एक लाख सैनिकों पर विजय हासिल की। भाषण में गुर्जर आगे कहते हैं, ‘उसी विजय से बाबर का हिन्दुस्तान पर राज बना दोस्तो।Ó इतना कहते ही वहां बैठे कार्यकर्ता तालियां बजाने लगे।
गांधी की दृढ़ता का भी जिक्र
भाषण में जिलाध्यक्ष गुर्जर ने महात्मा गांधी की दृढ़ता से आजादी मिलने का उदाहरण देते हुए जो दृढ़ राखे धर्म को तिहि राखे करतार का भी नारा लगाया।

मुझे चुनाव भी जबरदस्ती लड़वाया
कांग्रेस में मिली जिम्मेदारियों को लेकर भी गुर्जर का दर्द छलका। उन्होंने कहा कि मुझे विधायक का जबरदस्ती टिकट दिया गया। मुझे जिलाध्यक्ष बना दिया गया। मुझे सांसद का भी चुनाव लड़वाया। यह विडम्बना है। मैंने कभी नहीं चाहा कि मैं जिलाध्यक्ष बनूं। मेरी यही इच्छा रही कि जिस व्यक्ति और पार्टी के साथ रहा हूं, वह आगे बढ़ सकें। जिनके साथ समर्पण भाव से काम करें, वह आगे बढ़ सकें। हिम्मत और एकजुटता के साथ काम करेंगे तो आगे बढ़ सकेंगे।

मैंने जो उदाहरण दिया, वह बिल्कुल उचित है। कहने का मतलब यह है कि व्यक्ति अपनी हिम्मत से लड़ता है, संख्याबल से नहीं। मैंने महात्मा गांधी का भी उदाहरण दिया। जहां तक जिम्मेदारी की बात है, मेरे कहने का मतलब यह था कि कार्यकर्ताओं को लोभ या पद के लिए नहीं पार्टी से नहीं जुडऩा चाहिए। बिना स्वार्थ के चुनाव में काम करना चाहिए।
देवकीनंदन गुर्जर, कांग्रेस जिलाध्यक्ष

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