राजसमंद

पुलवामा हमले में शहीद जवान नारायणलाल की युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाली प्रेरणादायक कहानी

Rajasthan News : 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आंतकी हमले में सीआरपीएफ की 118 बटालियन में तैनात राजसमंद जिले के बिनोल गांव के लाडले हैड कांस्टेबल नारायणलाल गुर्जर शहीद हो गए थे।

राजसमंदJan 26, 2024 / 01:28 pm

Omprakash Dhaka

Rajsamand News : 26 जनवरी को 75 वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। 75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पत्रिका का अभियान जरा याद करो कुर्बानी के माध्यम से हम उन अमर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दे रहे है जिन्होंने देश की आन,बान और शान के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। ऐसे ही एक जाबांज नौजवान की कहानी लेकर आज हम पेश हुए है जिन्होंने पुलवामा आंतकी हमले में देश के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी थी। 14 फरवरी 2019 के उस दर्दनाक दिन को कोई भी भारतीय भूल नहीं सकता। उस दिन आतंकियों ने हमारे देश के 40 बहादुर जवानों को शहीद कर दिया था। इस आतंकी हमले में राजस्थान के पांच बहादुर सैनिकों में से एक सीआरपीएफ की 118 बटालियन में तैनात राजसमंद जिले के बिनोल गांव के लाडले हैड कांस्टेबल नारायणलाल गुर्जर भी शहीद हो गए थे। शहीद के परिजनों के अनुसार नारायण सप्ताहभर की छुट्टियां पूरी कर गांव से ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। आतंकी हमले में कई जवानों की मौत का समाचार मिलते ही उस समय नारायणलाल के परिवार की सांसें भी अटक गई थी।

नारायणलाल के चचेरे भाई भंवर लाल गुर्जर ने बताया कि नारायण चार साल बाद रिटायर होने वाले थे। उनके एक बेटा और एक बेटी है, जिनमें बेटी हेमलता 18 साल की और बेटा मुकेश 16 साल का है। हेमलता ने बताया कि पापा ने यहां से रवाना होने के बाद शाम को घर पर फोन कर बताया था कि वे जम्मू पहुंच गए हैं। वहां लगातार बर्फबारी हो रही है, जिसके कारण जाम लग रहा है। उन्होंने कहा वे वापस जल्दी घर आएंगे। ये कहते हुए हेमलता भावुक हो गई।

 

गांव के युवाओं को करते थे प्रेरित
नारायण बचपन से ही पढा़ई में होशियार थे। उनमें शुरुआत से ही सेना में जाने का जज्बा था। इसी कारण उनका नाम आदर्श राउमावि स्कूल बिनोल में बोर्ड पर अंकित है। नारायण गांव ही नहीं आसपास के युवाओं के लिए हीरो थे। जब भी गांव में आते तो सेना के बारे में जानकारी देते हुए देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहते थे। 38 साल के शहीद नारायण की छोटी सी जिन्दगी वाकई में इतिहास में दर्ज हो गई। मां-बाप के बगैर बचपन से संघर्ष में बढ़े हुए नारायणलाल की युवाओं को दी इस सीख को आज हर शख्स बताते हुए नहीं थक रहा हैं। बिनोल गांव और इस इलाके में उनकी प्रेरणा ने देश सेवा के जज्बे को और मजबूत बनाया है। गांव के भैरूलाल सेन ने बताया कि नारायणलाल छुट्टियों में जब भी गांव आते थे, तो सबसे पहले परिवारजनों से मिलकर घर से बाहर निकल जाते थे। युवाओं से उनका खासा लगाव था। मित्रों को फोन करके बुलाते थे। एक जगह एकत्र होने पर कसरत, स्वास्थ्य, शिक्षा, देशभक्ति और देशसेवा के ईर्द-गिर्द अपनी चर्चा को बांध लेते थे। सुरक्षा बलों में जाने के लिए हरदम अपने को तैयार रखने के लिए वह हमेशा प्रेरित करते थे। विकास दवे बताते हैं कि युवाओं को जल्दी उठने व फौजी की तरह जिन्दगी जीने को कहा करते थे।


यह भी पढ़ें

राजस्थान के शहीद शीशराम गिल की बहादुरी की दी जाती है मिसाल, कारगिल जंग में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के

 

सेना से रिटायर्ड फूफा थे प्रेरणा के स्रोत
जब नारायण तीन साल के थे तब ही उनके पिता मांगीलाल का निधन हो गया था। इसके कारण उनका बचपन अपने नाना पेमा गुर्जर के यहां वासनी गांव में गुजरा था। नारायण स्कूल के समय से ही खेलकूद में हमेशा से आगे रहते थे। नारायण लाल का उनके फूफा छगनलाल गुर्जर से विशेष लगाव था। फूफा सेना से रिटायर्ड थे, जिससे वे उनके प्रेरणा स्रोत भी थे। उन्हीं के प्रेरणा से वे सेना में गए।


स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर करते थे कविता पाठ
नारायणलाल को राष्ट्रीय पर्व पर अपने गांव के स्कूल में कविता सुनाने का बड़ा शौक था। उनकी देशभक्ति से ओतप्रोत जोशभरी कविताएं सुनकर लोग भावुक हो उठते थे। उनकी पंक्तियां आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा हैं। देश को नेताजी चाहिए तो सुभाष जैसा…. नेताजी चाहिए तो भगत सिंह जैसा….. नेताजी चाहिए तो चन्द्रशेखर आजाद जैसा… कविता उनकी दिल के काफी करीब थी, जो उन्होंने खुद लिखी थी।

संबंधित विषय:

Home / Rajsamand / पुलवामा हमले में शहीद जवान नारायणलाल की युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाली प्रेरणादायक कहानी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.