कलक्टर कार्यकाल और उनका विजन
10.4.91-22.8.92 : मनोहरकांत ने उपखंड स्तरीय प्रशासनिक और अधूरे विभागों के बीच सामंजस्यता बिठा कर जिला विस्तार को गति बढ़ाया।
28.8.92-5.8.93 : सुभाषचंद गर्ग ने प्रशासनिक ढ़ांचे का विस्तारते हुए कई नए विभागों के जिला कार्यालय खुलवाए।
5.8.93-13.2.94 : हर्षनारायण शर्मा ने जिले को समझ एक्शन प्लान बनाया, तब तक तबादला हो गया।
14.2.94-28.6.96 : दीपक उत्पे्रती ने जिले में गरीबी उन्मूलन कार्यों में छाप छोड़ी।
1.7.96-24.4.97 : प्रीतमसिंह ने शहरी विकास व स्कूलों में शत प्रतिशत नामांकन व ठहराव में बेहतर कार्य हुए, जिसे सरकार स्तर तक सराहा गया।
28.4.97-26.9.98 : किरण सोनी गुप्ता ने कला, संस्कृति, इतिहास की दृष्टि से हल्दीघाटी, कुंभलगढ़ के विकास और पर्यटन बढ़ाने पर कार्य किए। स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान की परंपरा शुरू की।
26.9.98-19.8.01 : निर्मल वादवानी का ध्येय आमजन की समस्या का त्वरित समाधान रहा। प्रशासनिक मॉनिटरिंग प्रभावी रही।
22.8.01-8.10.02 : कुंजीलाल मीणा की मजबूत प्रशासनिक पकड़ और पात्र को योजनाओं से लाभान्वित करने के खास प्रयास किए।
10.10.02-26.1.04 : रोहित कुमार ने प्रशासनिक तंत्र को आमजन के प्रति अलर्ट रखा। लोगों की समस्या का त्वरित समाधान के खास प्रयास किए।
27.1.04-10.5.06 : वैभव गालरिया ने हल्दीघाटी का विकास व मेवाड़ कॉम्प्लेक्स योजना के जरिये प्रताप से जुड़े स्थलों को शामिल करवाने में अहम भूमिका रही।
13.5.06-29.6.08 : आनन्द कुमार ने गांव-ढाणी तक जाकर लोगों से रूबरू हुए। गांव स्तर पर लोगों की समस्याएं निस्तारित करने के खास प्रयास किए।
कलक्टर बदलते ही बंद हो गई फाइलें
– पर्यटन विभाग का जिला स्तरीय कार्यालय नहीं होने से पर्यटन विकास की न कोई कार्ययोजना है और न ही प्रक्रियाधीन कार्यों की मॉनिटरिंग हो पा रही है।
– सुभाषचंद्र गर्ग ने जन सहभागिता से विकास कार्य करवाए और लोग हिस्सा राशि जुटाने भी लगे, मगर उसके बाद प्रयास सतत नहीं रह पाए।
– रोहित कुमार ने पारदर्शिता के लिहाज से हर कार्य का सत्यापन करने के लिए वार्डसभा का कंसेप्ट तैयार किया, जो उनके तबादले के साथ बंद हो गया।
– कुंजीलाल मीणा ने हर पंचायत में मिनी सचिवालय बैठक की शुरुआत की। हर शिक्षक, पटवारी, ग्रामसेवक को नियुक्ति स्थल पर ठहराव सुनिश्चित किया।
– प्रीतमसिंह ने शत प्रतिशत नामांकन व ठहराव के लिए 1996 में शाखा विद्यालय खोले। शिक्षक पास के गांव-ढाणी में जाकर पढ़ाया, मगर उनके जाने के साथ ही यह व्यवस्था बंद हो गई।
– वैभव गालरिया ने राजसमंद झील को भरने के लिए नन्दसमंद के 18 फीट भरने के साथ खारी फीडर छोडऩे का निर्णय हुआ। उसके बाद अब 25 से 30 फीट भरने के बाद ही नहर में पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे बड़ी तादाद में पानी बहकर चित्तौडग़ढ़ जा रहा है।
– आनंद कुमार ने राजसमंद झील व अन्य तालाबों से खेतों की सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी के वेस्ट बहने पर सख्त कार्रवाई हुई और जुर्माना वसूला गया। फिर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे गत वर्ष झील का कई फीट पानी व्यर्थ बहा।
– नवीन जैन ने पर्यटन स्थल, पर्यटन स्थलों की जानकारी, दिशा सूचक, मार्ग सूचना संकेतक योजना बनाई, मगर संकेतक नहीं लग पाए।
– डॉ. प्रीतम बी. यशवंत ने जिलेभर के हर परिवार का मास्टर डाटा बनाया, फिर जो परिवार या व्यक्ति योजना से वंचित है, तो उसे जोडऩे के प्रयास शुरू किए, मगर तबादले के साथ बंद हो गए।
– मूक-बधिर बच्चों का स्कूल जनसहयोग से बनाने के लिए तत्कालीन कलक्टर केसी वर्मा व एसपी सत्येंद्र कुमार ने बीड़ा उठाया, मगर तबादला होने से अटक गया। राजसमंद शहर में सिटी बसें चली, मगर उनके जाने के साथ बंद हो गई।
– पीसी बेरवाल ने वर्ष 2018 में हर विभाग को रूटीन से हटकर जनकल्याण का कार्य करने का लक्ष्य देते हुए कार्ययोजना तैयार की, मगर तबादला हो गया।
– आनंदी ने रात्रि चौपाल के दिन उस गांव में सुबह 10 बजे जनकल्याण योजना से जुड़े विभागों के अफसर-कार्मिकों को भेजकर सर्वे कर पात्र लोगों को चिह्नित करना, जो योजना से वंचित हैं, उन्हें शाम को कलक्टर की उपस्थिति में संबंधित योजना से लाभान्वित करना।