दरअसल नवम्बर माह के आस-पास राजसमंद झील में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू होता है, जो मार्च तक यहीं राजसमंद झील, राज्यवास तालाब, गोवलिया पिक-अप, देवगढ़ तालाब सहित जिले के करीब एक दर्जन से अधिक जलाशयों के किनारे डेरा डाले रहते हैं और मार्च के अंततक यहां उड़ जाते थे, लेकिन इसबार जब पक्षियों के पलानय का समय था तभी यहां लॉकडाउन हो गया, एकाएक वातावरण शांत हो गया, जिससे अधिकतर पक्षियों ने पलायन ही नहीं किया।
पर्यावरण प्रेमी उज्ज्वल दाधीच ने बताया कि राजसमंद झील में सारस क्रेन, ओपन बिल, स्टोर्क, ग्रेटर फ्लेमिंगो, नॉर्थरन शॉवलर, कॉमन टेल, लिटिल ग्रीब, रुड्डी शेलडक, पेंटेड स्टोर्क, ब्लैक टेल्ड, गोडविट, सैंडपाइपर, स्पू्नबिल, कोंबडक, आईबिस, कॉमन कूट, स्पॉट बिल डक सहित कई प्रकार के प्रवासी सहित देशी पक्षी झील किनारे नजर आ रहे हैं। दाधीच के अनुसार हरबार शीत प्रवास पर आने वाले यह पक्षी मार्च माह से ही पलायन करना शुरू कर देते थे, लेकिन इस वर्ष अभी तक इनकी हमारे जलाशयों पर उपस्थिति होना बेहद सुखद है। इसका मुख्य कारण जलाशयों पर लॉकडाउन की वजह से मानवीय हस्तक्षेप का न होना एवं पर्याप्त भोजन की उपलब्धता होना है। इसबार अभी तक पक्षियों का यहां ठहराव होना पर्यावरण प्रेमियों एवं आमजन के लिए आश्चर्य का विषय है।
जलाशयों के किनारे हरबार पक्षियों की जलक्रीडा सर्दी के मौसम में ही देखने को मिलती थी, लेकिन इसबार अधिकतर प्रवासी पक्षी यहीं हैं, इसलिए गर्मी के मौसम में भी राजसमंद झील में पक्षियों की जलक्रीडा देखने को मिल रही है। यहां सारस क्रेन का दाम्पत्य एवं पारिवारिक प्रेम नजर आता है।
इधर इसबार पक्षियों पर शोध करने वाले पक्षी प्रेमियों को भी इनपर शोध करने का ज्यादा समय मिल रहा है। उज्ज्वल दाधीच ने बताया कि वे पिछले पांच वर्ष से पक्षियों के क्रियाकलापों को अपने कैमरे में कैद कर इनकी दिनचर्या एवं व्यवहार पर शोध कर रहे हैं। ऐसे में इसबार उन्हें दो माह का ज्यादा समय मिल गया है। वहीं अन्य पक्षी प्रेमियों को भी इसबार इनकी दिनचर्या को समझने का मौका मिला है।