निगम कार्यालयों में जुट रही भीड़
अभीतक 80 फीसदी उपभोक्ता अपना बिल ऑनलाइन जमा करवाते थे, लेकिन इसबार सभी उपभोक्ता अपना बिल लेकर निगम के कार्यालय पहुंच रहे हैं, ताकि बिल किसी तरह समायोजित कर कम कर दिया जाए, लेकिन वहां उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही। निगम के कार्मिकों का कहना है कि बिल नियमानुसार आया है। इसमें किसी तरह की यहां से गड़बड़ी नहीं है। ऐसे में सुबह से शाम तक निगम कार्यालयों में उपभोक्ताओं की खासी भीड़ जुट रही है।
हर गली मोहल्ले में बिल की चर्चा
इसबार उपभोक्ताओं ने जबसे अपने बिल देखे हैं तबसे उनका चैन छिन गया है। लोग अपना बिल और देखकर पड़ोसी से बिल पूछ रहे हैं, जिसे देखो सिर्फ यही बात करता है, बिल दो से ढाई गुणा ज्यादा आया है। लोग अपने परिचितों को फोन कर बिल के बारे में पूछ रहे हैं। गली मोहल्लों से लेकर चौपाटी तक में यही चर्चा हैं कि बिल इतना ज्यादा कैसे आया। कोई कलक्टर से शिकायत का परामर्श दे रहा है तो कोई विभाग में जाकर अपनी पीड़ा बयां कर रहा है। स्वास्तिक सिनेमा निवासी अराध्य कांता राठौड़ का कहना है कि उन्होंने अभी बिल जमा किया था, और अब १० हजार से ऊपर का बिल आ गया है। इतने पैसे कहां से आएंगे। इसीतरह चांदमल जैन ने बताया कि उनका भी इसबार दो गुणा बिल आया है।
राज्य सरकार ही दे सकती है छूट
बढ़कर आए बिजली की समस्या को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। इधर लोक अधिकार मंच ने भी इसकी शिकायत कलक्टर से की। जिसके बाद गत दिवस निगम के अधिकारियों और लोक अधिकार मंच के बीच बैठक हुई, जिसमें निगम के एक्सईएन केएल तिवारी ने कहा कि फरवरी माह में टेरिफ रेट, फ्यूल सरचार्ज, स्थाई शुल्क में बढोत्तरी कर दी गई थी, जिसमें कमी या छूट राज्य सरकार के स्तर पर ही संभव है। अपे्रल, मई और जून २०२० के बिलों में स्थाई सेवा शुल्क स्थगित किया गया था, जिसे अब बिल में जोड़ा गया है तथा मार्च से अबतक का वास्तविक उपभोग यूनिट को वर्तमान टेरिफ रेट से गुणा करके बिल भेजा है, जिसमें स्थानीय स्तर पर कोई त्रुटि नहीं की गई है, और उपभोक्ताओं द्वारा जो पूर्व में राशि भेजी गई है उसे घटाकर ही बिल दिया गया है। बैठक में मंच की ओर से जिलाध्यक्ष सम्पत लढ्ढा, कन्हैयालाल त्रिपाठी, दिनेश सनाढ्य आदि मौजूद थे।