पुलिस को पता चला कि पूनाराम पुत्र मानाजी भील निवासी नीलबावड़ी (कूंठवा) व पिथाराम, दोनों ने 24 नवम्बर की शाम साथ में शराब पी थी। ऐसे में पूनाराम पर शक बढ़ गया। पूनाराम भील की तलाश कर पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो पूरा मामला खुल गया और उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
अनुसंधान में पुलिस को पता चला कि मृतक पिथा की पत्नी गोटीबाई से पूनाराम के लम्बे समय से अवैध सम्बन्ध हैं। इसकी जानकारी गोटी बाई के पति को लग गई तो वह आए दिन उससे लड़ाई-झगड़ा करने लग गया। ऐसे में गोटीबाई ने उसके पति पिथाराम को प्रेमी पूनाराम के साथ मिलकर मारने की योजना बनाई। इस सम्बंध में उनमें आपस में 10 दिन पहले बातचीत हो चुकी थी और पूरा प्लान तैयार किया।
पिथाराम को मारने की योजना के तहत 24 नवम्बर को पूनाराम भील ने पिथाराम के साथ बैठकर शराब पी। जब नशा चढ़ा तो गोटी बाई बाजार से खरीदी हुई रस्सी उसके घर से फोन कर मंगवा दी। गोटी बाई रस्सी लेकर आई। पूनाराम व गोटी बाई ने पूनाराम को टॉवर के पास रस्सी से गला घोंटकर मार दिया। निस्तेज होने पर लाश को हाथ व गले में रस्सी बांधकर टॉवर के एंगल के बांध दिया और अपने-अपने घर चले गए।
सूत्रों ने बताया कि 27 नवम्बर की रात पति की हत्या की आरोपी गोटीबाई ने पुलिस अभिरक्षा से भागने की कोशिश की। वह लघुशंका के बहाने चकमा देकर अंधेरे में थाने के पास पहाड़ी क्षेत्र में उतर गई तथा डाबुन चली गई। पुलिस ने भाग-दौड़ कर उसे कुछ ही देर में पकड़ लिया।
घटना की गंभीरता के मद्देनजर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवलाल बैरवा, डीएसपी छगन पुरोहित के नेतृत्व में टीम गठित कर तेजी से अनुसंधान किया। टीम में एसआई नवलकिशोर, एएसआई नन्दलाल, हेड कांस्टेबल राजूलाल, कांस्टेबल लक्ष्मीनारायण, नरेन्द्र, उग्रसेन, बुधराम, जोधाराम, किशनलाल आदि शामिल थे।