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राजसमंद का बंधुआ मजदूर बालक पुणे में मुक्त

locationराजसमंदPublished: Sep 16, 2021 11:40:33 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

एनसीसीईबीएल और राजस्थान पुलिस के संयुक्त प्रयास से कार्रवाई, कडिय़ा (कुम्भलगढ़) के किशोर को महाराष्ट्र की फैक्ट्री से छुड़ाया

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राजसमंद. नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर एराडिकेशन ऑफ बौंडेड लेबर (एनसीसीईबीएल) और राजस्थान पुलिस के संयुक्त प्रयासों से राजसमंद जिले के एक बालक को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया गया है। बालक की उम्र 17 वर्ष है।
(एनसीसीईबीएल) के कन्वीनर निर्मल गोराना ने बताया कि कुम्भलगढ़ के कडिय़ा गांव का बालक कोरोनाकाल में वह भूखमरी के दौर से गुजर रहा था और अपने लिए कहीं रोजगार तलाशने लगा। तभी वह एक मानव तस्कर के चंगुल में फंस गया। मानव तस्कर इस बच्चे को पुणे ले गया और उसे पुणे में श्री मेटल इंडस्ट्रीज, लावले, पिरंगुट में काम पर लगा दिया। वहां बच्चे ने 2 माह तक बंधुआगिरी की। उसे वहां न वेतन दिया गया, न उसके साथ काम कराने वाले सही ढंग से पेश आते थे। उल्टा जब वह मारपीट का शिकार हुआ तो उसने घर जाने की सोची, लेकिन ठेकेदार भैरूसिंह ने बालक को जाने नहीं दिया। परेशानी की स्थिति में जब उसने घर जाने को कहा तो बालक को इंडस्ट्री के मालिक ने बिना वेतन के चले जाने को कहा, लेकिन बच्चे के पास पैसा नहीं होने से वह नहीं जा सका। बच्चे के हाथों में काम के दौरान कटर मशीन से लगे निशान थे, जो बयां कर रहे थे कि बालक वहां जोखिमभरा काम कर रहा था
प्रमाण-पत्र और 21 हजार रुपए दिलवाए
सूचना मिलने पर निर्मल गोराना ने अपने सहयोगी नितिन पंवार एवं ओंकार भाई के माध्यम से पुणे कलक्टर को ईमेल से शिकायत भेजी। वहां के प्रशासन के सहयोग से बालक को मुक्त करवाकर उसे मुक्ति प्रमाण-पत्र दिया गया और 21 हजार रुपए श्री मेटल इंडस्ट्री की ओर से दिलाई गए। बालक को उसके निवास स्थान पर पहुंचाया गया। संगठन की ओर से भी बालक को बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास की योजना-2016 के तहत 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता एवं उसके सामाजिक एवं शैक्षणिक पुनर्वास प्रदान करने में योगदान देगी।

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