ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक मीठालाल मेघवाल ने बताया कि यह समस्या मुख्य रूप से उन गांवों के लिए है, जो दूर-दराज स्थित हैं – जैसे साडिया, वीडा की भागल के ग्रामीणों को। इन गांवों के लोग तो मानो राशन लेने के लिए यात्रा पर निकलने जैसा महसूस करते हैं। हर महीने की यह यात्रा चार से पांच घंटे का वक्त ले रही है, और यही नहीं, यहां आकर लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना भी अब ग्रामीणों की मजबूरी बन गई है।
इस पूरे मुद्दे का दूसरा पहलू यह है कि क्षेत्र में करीब 1800 राशन कार्ड हैं, जिनमें से 750 खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत आते हैं। लेकिन फिर भी, राशन की दुकानें इस हद तक अव्यवस्थित हो चुकी हैं कि एक ही जगह पर सारे अनाज का वितरण किया जा रहा है। ग्रामीणों का सुझाव है कि एक उचित मूल्य की दुकान स्थानीय संस्था को आबंटित की जाए, ताकि यह मनमानी और परेशानियां दूर हो सकें। अगर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आगे और समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।