मोलेला साढ़े तीन सौ साल पुरानी पारंपरिक मृण शिल्पकला के लिए जाना जाता है। स्थानीय कलाकारों ने समय के साथ लोक देवी-देवताओं की मूर्तियां गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश के आदिवासियों को बेचने के अपने दायरे को तोड़ते हुए आधुनिक शिल्पकला को अपनाया। इससे वे न केवल आर्थिक प्रगति कर पाए, बल्कि इस गांव के कई कलाकारों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अवार्ड हासिल किए और हुनर को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। गांव के कई कुंभकार परिवार मिट्टी के कप-प्लेट, गिलास, विविध प्रकार के कुल्हड़, पानी के जग, दीपक, परिंडे, घोंसले व घरों के सजावटी सामान भी बनाते हैं। शिल्पकारों और कुंभकारों की बनाई कृतियां रेस्टोरेंट, होटलों व हेरिटेज भवनों तक की शोभा बढ़ाती है। इसी से वे मुनाफा भी कमाते हैं। मोलेला में यदि एक ओर शिल्पबाड़ी तो दूसरी ओर मिट्टी से बने बर्तन और सजावटी कृतियों का ग्रामीण बाजार तैयार किया जाए और नए परिवारों व रूचिकर लोगों को भी इस कार्य में जोड़कर प्रशिक्षित किया जाए, तो मृण कलाप्रेमियों का पर्यटन बढ़ेगा। इससे गांव के अन्य वर्गों के लिए भी रोजगार के अवसर खुलेंगे।
मृणशिल्प कलाकृतियों से जुड़े रोजगार को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार को बिक्री के उचित प्लेटफॉम सुलभ करवाने होंगे। कलाकारों को उचित दाम मिलेंगे तो और भी परिवार इस कार्य से जुड़ेंगे।
– लोगरलाल कुम्हार, मृण शिल्पकार, मोलेला
लॉकडाउन के चलते गुलाब के उत्पाद की बिक्री कमजोर जरूर हुई है, लेकिन ट्रांसपोर्ट सुविधा शुरू हो जाए तो अन्य राज्यों से आने वाले ऑर्डर पर आपूर्ति की जा सकती है।
– लोकेश माली, खमनोर