ज्योतिर्विद पंडित भरत कुमार खण्डेलवाल (Astrologer ) ने बताया कि पृथ्वी और शनि का अपने-अपने मार्ग पर परिक्रमण करने के दौरान एक बिंदु पर पृथ्वी से शनि देव 17 जून रात्रि 10. 55 बजे स्थिर दिखाई देंगे। जहां से शनि देव पुन: पिछली राशि की ओर 140 दिन तक वक्र गति से बढ़ेंगे। इसके बाद पुन: 4 नवंबर को 12 बजकर 39 मिनट पर स्थिर दिखाई देंगे तथा मार्गी गति से आगे का भ्रमण करेंगे। यह गति वक्रगति कहलाती है, जो पृथ्वी के सापेक्ष मानी जाती है। इस गति के दौरान शनि का प्रभाव एवं चमक तिगुनी बढ़ जाती है। सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव प्रबल प्रभावशाली रहेंगे। विश्व भर में अर्थव्यवस्थाओं को कठिनाइयों का सामना करना होगा। विभिन्न देशों की परस्पर निर्भरता बढ़ेगी। तकनीकी संचार क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे। विश्व में शक्ति का संतुलन स्थापित होगा।
शनि देव के होंगे साक्षात दर्शन पं. खण्डेलवाल ने (Astrologer ) बताया कि शनि देव रात्रि एक बजे पूर्व क्षितिज में उदित होंगे तथा रात्रि दो बजे से सूर्योदय से पहले पूर्व दिशा में बढ़ते क्रम में देखा और पहचाना जा सकता है। शनिदेव श्वेत, दूधिया रोशनी युक्त लगातार बिना टिमटिमाएं दिखाई देंगे। इन्हें आसानी से खुली आंखों से बिना किसी उपकरण की सहायता से दिखा जा सकता है। आगामी 6 माह तक इन्हें रातभर देखा जा सकेगा।
वक्री शनि से राशियों पर होने वाला प्रभाव मेष- आय, लाभ, ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि स्वजनों का सुख एवं सहयोग प्रात होगा। वृषभ- वृत्तिका विस्तार पद प्रतिष्ठा मान अधिकार उन्नति आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
मिथुन- नवीन कार्ययोजना भाग्य वृद्धि धर्म यश तीर्थाटन सुख समृद्धि बढ़े। कर्क – विविध कार्य बाधाएं, व्याधियां, विघ्न, अवरो, ऋण, चिंता। शनि का समाधान करें । सिंह- श्रेष्ठ साझेदारी, संधि, मैत्री, श्रेष्ठ दांपत्य जीवन, उत्तम दिनचर्या एवं आकस्मिक आय होने के आसार।
कन्या- सुख, समृद्धि, यश, विजय, लाभ, प्रतियोगिताओं चुनौतियों में सफलताएं। तुला- संतति सुख, यश, कीर्ति, विद्या, प्रेम, प्रतिष्ठा, प्रसन्न दिनचर्या एवं धन वृद्धि। वृश्चिक- मानसिक चिंता, परेशानियां, थकान, कार्यानाश, ऋण, हान। शनि के उपाय करें।
धनु- मित्र, बंधु, सुख, सहयोग, विजय, लाभ, कार्य में सफलताएं एवं कार्यदक्षता में वृद्धि। मकर- भवन वाहन विस्तार, भ्रमण, खर्च, तीर्थाटन, सुख समृद्धि में वृद्धि। कुम्भ- पेट, पाचन विकार, असंतोष, ऋण एवं आर्थिक चिंताएं, थकावट रहेगी। शनि का दानोपचार करें।
मीन- विग्रह, विवाद, कार्यदक्षता में कमी, हानि, उद्वेग, प्रमाद। महामृत्युंजय जप या शनि का दान करें ।