script.. ताकि कोई भी भूखा न रहे | .. so that no one is hungry | Patrika News

.. ताकि कोई भी भूखा न रहे

locationराजसमंदPublished: Apr 05, 2020 01:03:14 pm

Submitted by:

Rakesh Gandhi

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.. ताकि कोई भी भूखा न रहे

.. ताकि कोई भी भूखा न रहे

राकेश गांधी

कोरोना वायरस के संक्रमण से आम जनता को बचाने के लिए किए गए लॉकडाउन से प्राय: सबकुछ ठप है। वैसे हर आमजन इससे प्रभावित हुआ है, लेकिन सर्वाधिक असर दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों पर पड़ा है। इस वर्ग की मदद के लिए आम जनता ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। यही भारतीय संस्कृति है, जहां लोग पुनीत कार्य के लिए हमेशा बढ़-चढ़ कर तैयार रहते हैं। अभी जो जहां मर्जी हो, वहां खाद्य सामग्री पहुंचा रहा है। संभव है कुछ परिवार ऐसे बच भी जाए, जहां ये खाद्य सामग्री अभी तक नहीं पहुंच पाई हो। ऐसे में यदि योजनाबद्ध तरीके से ये काम किया जाए, जो संभव है कोई भी भूखा नहीं रह पाएगा। लोगों की भावना का भी आदर होगा।
जिला प्रशासन को इसके लिए बकायदा एक एजेन्सी के जरिए ही ये काम करने को पाबंद करना चाहिए। इससे दो फायदे होंगे। पहला, प्रशासन को पूरी जानकारी रहेगी कि कहां-कहां खाना पहुंच रहा है और जायज परिवार तक पहुंच रहा है या नहीं। दूसरा, चूंकि कोरोना के संक्रमण के फैलने का खतरा भी है, ऐसे में खाना वितरण करने वालों की सुरक्षा का पहलू भी ध्यान में रहेगा। प्रशासन को ये पता होना जरूरी है कि कौन-कौन लोग कहां-कहां खाना वितरित कर रहे हैं। अभी तो इतने सेवाभावी लोग जुटे हुए हैं कि पता ही नहीं चल रहा। कुछ परिवार तो ऐसे भी हैं, जहां जरूरत से ज्यादा खाना पहुंच रहा है, और संभव है कुछ ऐसे भी हों, जहां एक समय का खाना भी नहीं पहुंचा हो। प्रशासन हालांकि अभी ये काम नगरपरिषद व गांवों में ग्राम पंचायतों के जरिए करवा रहा है। फिर भी प्रशासन को चाहिए कि भोजन व खाद्य सामग्री वितरण के लिए ज्यादा भीड़ करने के बजाय, शहर व गांवों में टीमें तय हो जाए, ताकि उन्हें हर परिवार का ध्यान रहे। इनमें वे ही लोग शामिल हों, जिनका राजनीति से दूर तक का वास्ता न हो और वे शहर से पूरी तरह वाकिफ हों। इससे शंक व संशय जैसी बातों की गुंजाइश भी नहीं रहेगी। साथ ही भोजन के पैकेट भी खराब नहीं होंगे और खाद्य सामग्री की जमाखोरी की आशंका भी नहीं रहेगी।
( rakesh.gandhi@epatrika.com )

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