ब्लॉक की झालों की मदार-ंगांवगुड़ा ग्राम पंचायतों की सीमा पर स्थित चरागाह भूमि में खनन माफियाओं द्वारा करोड़ों रुपए के क्वाट्र्ज पत्थरों की संपदा खोद ले जाने का मामला उजागर होने के 10 दिन बाद भी पंचायतीराज और खान विभाग एक-दूसरे का मुंह ताक रहे हैं। कभी पंचायतीराज विभाग सीमा जानकारी के बहाने गेंद राजस्व विभाग के पाले में उछाल रहा है तो कभी खान विभाग अवैध खनन पर कार्रवाई की पहल के इंतजार में मामला पंचायतीराज विभाग के माथे मढ़ रहा है। अभी तक तो यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि चरागाह में अवैध खनन का मामला किस पंचायत में आ रहा है। दोनों पंचायतों में कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि जहां चरागाह भूमि में अवैध खनन हुआ, वह हिस्सा उनके इलाके में है।
तहसीलदार सोहनलाल शर्मा ने गांवगुड़ा सरपंच किशनलाल गमेती की शिकायत पर 4 जनवरी 2021 को ही मौका मुआयना कर रिपोर्ट बीडीओ, पुलिस और खान विभाग को भेज दी थी। बीडीओ नीता पारीक ने सीमा जानकारी के लिए तहसीलदार को लिखा है। इधर, खान विभाग अभी भी मामलेमें कुछ नहीं कर पाया है। खान अधिकारी चारागाह भूमि की संरक्षक ग्राम पंचायत के भरोसे हैं। पंचायतीराज विभाग और खान विभाग दोनों ही जल्द और ठोस कार्रवाई शुरू करने की बजाय कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी तो अभी भी नींद में ही है! पीडब्ल्यूडी विभाग की तो माफियाओं के चारागाह भूमि खोदते-खोदते सड़क सीमा तक घुस आने और सड़क के खतरनाक हो जाने की शिकायत पर भी नींद नहीं खुल रही है। झालों की मदार पंचायत ने अस्थायी समाधान के तौर पर क्षतिग्रस्त सड़क के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाया है और सड़क के दूसरी ओर आवागमन का वैकल्पिक रास्ता बनाया है।