scriptयुवाओं को तरजीह न मिलने से बने ऐसे हालात | Such situations created due to lack of preference for youth | Patrika News

युवाओं को तरजीह न मिलने से बने ऐसे हालात

locationराजसमंदPublished: Jul 15, 2020 08:41:41 am

Submitted by:

Rakesh Gandhi

– जनप्रतिनिधियों व आम लोगों की राय

राजसमंद. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में वर्तमान हालात को देखते हुए यहां के लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की। युवाओं का मानना है कि आजकल पार्टियों में युवाओं को तरजीह नहीं दी जाती, जिससे ऐसे हालात पैदा होते हैं। कुछ लोग सीट छोडऩा ही नहीं चाहते। जबकि अनुभवी लोगों को सीट से मोह त्यागकर युवाओं को आगे बढ़ाना चाहिए। दूसरी ओर कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों में इस तरह की उथल-पुथल अच्छे संकेत नहीं है। इससे न केवल प्रदेश का विकास प्रभावित होता है, बल्कि नेताओं के प्रति जनता में अच्छी छवि भी नहीं रहती। नेेताओं को आदर्श के उच्च प्रतिमान स्थापित करने चाहिए, ताकि लोगों के ये अहसास न हो कि उन्होंने गलत आदमी का चयन कर विधानसभा में भेज दिया। युवाओं को भी चाहिए कि वे कम उम्र में सीट के मोह से बचें व अपनी ऊर्जा का उपयोग प्रदेश के लोगों की सेवा में करें। कम उम्र में इस तरह की उठापटक में भागीदारी से उनका राजनीतिक भविष्य अंधकार में ही आएगा।     आत्मसम्मान बना रहना जरूरी आज जो कुछ भी राजस्थान की राजनीति में उठापठक चल रही है, उसमें मुझे जो थोड़ा बहुत समझ में आ रहा है, वो यह है कि जब कोई किसी पार्टी को दिन-रात मेहनत कर जितवाता है और सत्ता में आने के बाद उस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे व्यक्ति की लम्बे समय तक उपेक्षा की जाए तो उसका अपने मान-सम्मान के लिए समर्थकों के साथ दूर होना या किसी दूसरी पार्टी मिल जाना स्वाभाविक भी है। नेता कोई भी हो, उसका पार्टी में आत्मसम्मान तो बना रहना ही चाहिए। - मनीष छापरवाल   उठापटक की स्थिति ठीक नहीं जनतांत्रिक प्रणाली में जनता का शासन होता है। वोट देकर जनता जनप्रतिनिधि को चुनती है। वह जिस चुनाव चिन्ह के बैनर से लड़ता है उसे 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। इसलिए एक प्रतिनिधि के नाते जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी जनता के विश्वास पर ज्यादा होती है। उठापटक की स्थिति देश या राज्य सरकारों में 5 वर्ष तक नहीं आनी चाहिए। पद और प्रतिष्ठा के कारण कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी समस्या की वजह से जनता की भावनाओं को दरकिनार करते हुए किसी भी प्रकार का फैसला लेता है तो यह जन भावना के खिलाफ है। इसलिए चुना हुआ प्रतिनिधि जिस पार्टी के चुनाव चिन्ह से चुनाव जीता है तो उसे 5 वर्ष तक उसी पार्टी में रहने कर कार्य करने संबंधी संविधान में संशोधन होना जरूरी है। इससे सरकारों के अस्थिर होने का खतरा और बार-बार चुनाव होने के खतरे से जनतंत्र प्रणाली को बचाया जा सकता है। वर्तमान राजस्थान सरकार में जो घटनाक्रम चल रहा है उसके मद्देनजर व्यक्तिगत सहमति व असहमति का टकराव राजनीतिक परिदृश्य में अनुचित है और जनता की भावनाओं को आहत करता है। इसके लिए सकारात्मक कदम उठाते हुए सरकार को और जनप्रतिनिधियों को जनहित को महत्व देते हुए उचित फैसले और उचित कदम उठाना चाहिए। - सूर्यप्रकाश दीक्षित   हिडन चार्ज बढऩे के संकेत तो नहीं निजी बैंकों के हिडन चार्ज के बारे में लोगों ने सुना ही होगा। न चाहते हुए भी लोगों को ये चार्ज देने ही पड़ते हैं। कुछ भी कर लो, आपकी जेब कटती ही है। ठीक वैसे ही राजस्थान में अभी कोरोनो कॉल में हो रहा है। बिजली के बिल में हो या पानी के बिल में, सरचार्ज लग कर आ रहे हैं। ऑनलाइन बिल जमा करने वालों को भी फिर से बिल में जुड़ कर पैसा आ रहा है। जनता जब इस पचड़े में थक रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त है। दो माह में दूसरी बार होटल से सरकार चल रही है। खुद के गुनाह को दूसरे के सिर पर डाला जा रहा है। अपनी नाकामी के चलते घर नहीं संभाला जा रहा है और कहते हैं पड़ोसी लड़ाई करवा रहा है। अगर यह सरकार रह भी गई तो ये मान कर चलना चाहिए कि हिडन चार्ज में बढ़ोतरी होने वाली है। जनता की कमर और ज्यादा टूटने वाली है। - भूपेन्द्र पालीवाल  लीडरशिप कमजोर हो पार्टी का आधार खत्म राजस्थान में चल रहे राजनीतिक गतिक्रम में मुझे एक बात समझ में आती है कि लीडरशिप के कमजोर होने से पार्टी का आधार खत्म हो जाता है। कहीं न कहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता उस लीडर की तलाश में है जो कांग्रेस को फिर एक बार पटरी पर ले आए और कांग्रेस की हाल की स्थिति में यह कह पाना मुश्किल है। सचिन पायलट की नाराजगी राजस्थान को एक नए आयाम पर ला खड़ा करेगी। कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता नहीं चाहते कि सचिन पायलट जैसा युवा चेहरा कांग्रेस से बेदखल हो और वही राजस्थान बीजेपी का कार्यकर्ता उन्हें हाथोंहाथ लेने के लिए बैठे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट का एक अहम रोल था। राजस्थानी होने के नाते में यहीं चाहूंगा की राजस्थान की बागडोर जो स्थिर सरकार दे सके, उसके हाथ में हो। - भरत कुमार दवे  जिम्मेदारी का अहसास न रह जाए तो कुर्सी छोडऩा बेहतर इनको जब चुनकर भेजते हैं तो आम आदमी को इनसे ये आशा रहती हैं कि ये व्यक्ति बुद्धिमता और प्रबन्ध में हमसे कई गुना श्रेष्ठ हैं। यह राज्य की व्यवस्था को सुधारेंगे व आम जनता को हर सुविधा मुनासीब दाम पर उपलब्ध कराएंगे। उनके मन में हमेशा राज्य की तरक्की का भाव रहेगा, लेकिन ये लोग 'मैं' अर्थात स्वयं का भला करने में ही इतने व्यस्त हो गए हैं कि इनको शासन में बैठकर क्या करना हैं यह पता ही नही रहता। ऐसे सभी नेताओं और पदाधिकारियों को आम जनता के द्वारा ये सन्देश पहुंचना चाहिए कि आप किसी भी पद पर हो, किसी भी पार्टी से हो, आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। अगर यह अहसास मर गया है तो आपको अपनी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। - रजनीकांत साहू   युवा शक्ति कमर कस ले तो राजनीति में परिवर्तन संभव युवा आकांक्षाओं की परवाह हमारी लोकतांत्रिक सरकारों को बहुत कम रही है। 18 से 30 की उम्र के युवा ही समुचित शिक्षा व्यवस्था, बेहतर जीवन और सम्यक रोजगार की आकांक्षा पालते हैं। इनके अरमानों को जाति, धर्म और राष्ट्रवाद के झूठे उन्माद की वेदी पर चढ़ा देना भारतीय राजनीति की खास पहचान बन गई है। यदि युवा शक्ति कमर कस ले तो भारतीय राजनीति में एक मूलभूत परिवर्तन संभव हो सकेगा। - किशन गुर्जर   युवा शक्ति पर भरोसा जरूरी दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल इस युवा शक्ति को जागृत करने से परहेज करते हैं। संसद और विधानसभाओं में जब अधिक संख्या में युवा पहुंचेंगे तब उनका चरित्र बदलेगा। वे वास्तविक मुद्दों पर राजनीति को केंद्रित करेंगे। उनके पास अनुभव का अभाव हो सकता है, लेकिन उनमें त्याग, जोश और सोच का जो घनीभूत भाव है, उससे हमारी राजनीति और लोकतंत्र मजबूत होगा। युवा शक्ति ने कभी वरिष्ठ जन का अनादर नहीं किया है, बल्कि उन पर भरोसा किया है। राजनीति की बुजुर्ग शक्तियां यदि युवा शक्ति पर जयप्रकाश नारायण की तरह भरोसा करना शुरू कर दे, तो न केवल भारतीय राजनीति की, बल्कि भारत की भी तकदीर बदलेगी। लोकतंत्र भी अधिक मजबूत होगा। - नीलेश पालीवाल   सरकार मापदंडों पर खरी उतरे राजनीति अपने आप में एक जटिलता और चंचलता लिए हुए हैं, फिर भी हम एक स्थिर सरकार चाहते हैं जो देशहित में निर्णय ले सके, लेकिन जब सत्तासीन होने के बाद कोई सरकार बहुजन हिताय के मापदंड पर खरी नहीं उतरती है तब चुने हुए प्रतिनिधि का दायित्व बढ़ जाता हैं। उस समय ऐसी सरकार को गिराकर एक साफ छवि की और जनहितैषी सरकार बनाना एक महत्वपूर्ण कदम हो जाता हैं। - शंकरलाल जोशी, मुंडोल  दल बदलना लोकतंत्र के लिए अनुचित मताधिकार लोकतंत्र की पहचान है, लेकिन हमारा मताधिकार आज सुरक्षित नहीं लग रहा है, क्योंकि जिस तरह से आज कोई भी राजनीतिक दल का नेता अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए दल बदलता है यह लोकतंत्र पर आघात होगा। यह एक धोखा हैं देश के साथ। दूसरी ओर देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार यदि चुनी गई सरकार लोकहितैषी नहीं होती हैं तब यह कदम देश के लिए हितकारी होता है। - तरुण साहु   गलत को गलत कहा, तो सुने नहीं जाओगे गांधी परिवार की हां में हां करेंगे तो आपकी कांग्रेस पार्टी में जगह है, अगर आप पार्टी में गलत को गलत कह देंगे तो आपको नहीं सुना जाएगा। आपको भेड़ बनकर आंखों पर पट्टी बांधकर सिर्फ आलाकमान के साथ चलना है। युवाओं का तिरस्कार कर रही कांग्रेस के लिए सिंधिया, पायलट के निर्णय आंखें खोल सके तो उसके भविष्य के लिए अच्छा है। पार्टी में युवाओं को कितनी महत्ता दी जाती है, वो साफ दिख रहा है। सिंधिया व पायलट जैसे नेता भविष्य में कांग्रेस की कमान संभालने का माद्दा रखते हैं, कहीं ये सोच कर की परिवार के हाथ से सल्तनत निकल ना जाए, इसलिए इनको अनदेखा किया गया। चुनाव से पहले पायलट व सिंधिया बड़े चहरे थे, पर चुनाव के बाद शायद उन्हें वो सबकुछ पार्टी से नहीं मिला, जिसके वो हकदार है। निरंतर उनके तिरस्कार ने उन्हें ये फैसले लेने पर मजबूत किया। अगर अब भी कांग्रेस नहीं संभलती है तो बीजेपी का कांग्रेस मुक्त देश का सपना बहुत जल्द पूरा हो सकता है। - कांतिलाल प्रजापत   ये उथल-पुथल देशहित में नहीं वर्तमान में राजस्थान की राजनिति में जो उथल पुथल हो रही हैं, यह पूर्णतया देशहित में नहीं हैं। आम जनता बड़ी आशा के साथ इन नेताओं को चुनकर राज्य की व्यवस्था सम्भालने के लिए भेजती हैं, ताकि ये लोग वहांं बैठकर राज्य में सुशासन स्थापित करें। इनके द्वारा राज्य में सुशासन स्थापित होता हैं तो आम जनता अपने व अपने परिवार के भरण पोषण की व्यवस्था निश्चिंतता से करती हैं, लेकिन वर्तमान हालात को देखकर तो ऐसा लगता हैं कि ये लोग आम आदमी जितने भी अनुशासित नहीं हैं। - माधोसिंह गौड   विधानसभा बाजार बना कर रख दिया इस उथल-पुथल में ये लोग जितना समय और धन खर्च कर रहैं हैं उतने में तो राज्य में कई विकास के कार्य सम्पादित हो जाते। आज विधानसभा को इन राजनेताओं ने बाजार बना दिया हैं, जिसमें व्यक्तिगत हितों के लिए ये लोग एक-दूसरे की खरीद-बेचान में लगे हुए हैं। इसमें सभी पार्र्टियां दोषी हैं। - घनश्याम खण्डेवाल   इससे छवि खराब होती है पार्टी कोई भी हो, इस तरह की उठा-पटक देश के लिए अच्छी नहीं होती। ये ठीक है कि नेता का आत्मसम्मान बना रहना चाहिए, लेकिन ये हालात तो नहीं होने चाहिए। अपनी बात कहने का भी एक तरीका होता है। इससे सारी व्यवस्थाएं अस्तव्यस्त हो जाती है। अभी तो ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास विधायकों को पकड़ कर रखने के अलावा कोई काम ही नहीं रह गया है। इससे पार्टी की छवि प्रभावित होती है। गलत संदेश जाता है। - रतन कुमावत   व्यवस्था बिगाडऩे के खिलाफ कार्यवाही हो संविधान में भी ऐसा संशोधन होना चाहिए कि कोई भी सरकार अगर शासन सम्भालती हैं तो उसमें विपक्ष की भी ऐसी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए कि राज्य में व्यवस्था बनी रहें व जो व्यवस्था को बिगाडऩे का प्रयास करे उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा सके। - चन्द्रेश पालीवाल   जनता की भावनाओं के साथ कुठाराघात राजस्थान में वर्तमान समय में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए हर घटिया स्तर की राजनीति कर रही है एवं सभी पार्टियों के बड़े-बड़े पदाधिकारी पार्टी की नीतियों से परे जाकर कार्य कर रहे हैं जो जनता की भावनाओं के साथ कुठाराघात है। - योगेश देराश्री

युवाओं को तरजीह न मिलने से बने ऐसे हालात,युवाओं को तरजीह न मिलने से बने ऐसे हालात

राजसमंद. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में वर्तमान हालात को देखते हुए यहां के लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की। युवाओं का मानना है कि आजकल पार्टियों में युवाओं को तरजीह नहीं दी जाती, जिससे ऐसे हालात पैदा होते हैं। कुछ लोग सीट छोडऩा ही नहीं चाहते। जबकि अनुभवी लोगों को सीट से मोह त्यागकर युवाओं को आगे बढ़ाना चाहिए। दूसरी ओर कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों में इस तरह की उथल-पुथल अच्छे संकेत नहीं है। इससे न केवल प्रदेश का विकास प्रभावित होता है, बल्कि नेताओं के प्रति जनता में अच्छी छवि भी नहीं रहती। नेेताओं को आदर्श के उच्च प्रतिमान स्थापित करने चाहिए, ताकि लोगों के ये अहसास न हो कि उन्होंने गलत आदमी का चयन कर विधानसभा में भेज दिया। युवाओं को भी चाहिए कि वे कम उम्र में सीट के मोह से बचें व अपनी ऊर्जा का उपयोग प्रदेश के लोगों की सेवा में करें। कम उम्र में इस तरह की उठापटक में भागीदारी से उनका राजनीतिक भविष्य अंधकार में ही आएगा।
आत्मसम्मान बना रहना जरूरी
आज जो कुछ भी राजस्थान की राजनीति में उठापठक चल रही है, उसमें मुझे जो थोड़ा बहुत समझ में आ रहा है, वो यह है कि जब कोई किसी पार्टी को दिन-रात मेहनत कर जितवाता है और सत्ता में आने के बाद उस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे व्यक्ति की लम्बे समय तक उपेक्षा की जाए तो उसका अपने मान-सम्मान के लिए समर्थकों के साथ दूर होना या किसी दूसरी पार्टी मिल जाना स्वाभाविक भी है। नेता कोई भी हो, उसका पार्टी में आत्मसम्मान तो बना रहना ही चाहिए।
– मनीष छापरवाल

उठापटक की स्थिति ठीक नहीं
जनतांत्रिक प्रणाली में जनता का शासन होता है। वोट देकर जनता जनप्रतिनिधि को चुनती है। वह जिस चुनाव चिन्ह के बैनर से लड़ता है उसे 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। इसलिए एक प्रतिनिधि के नाते जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी जनता के विश्वास पर ज्यादा होती है। उठापटक की स्थिति देश या राज्य सरकारों में 5 वर्ष तक नहीं आनी चाहिए। पद और प्रतिष्ठा के कारण कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी समस्या की वजह से जनता की भावनाओं को दरकिनार करते हुए किसी भी प्रकार का फैसला लेता है तो यह जन भावना के खिलाफ है। इसलिए चुना हुआ प्रतिनिधि जिस पार्टी के चुनाव चिन्ह से चुनाव जीता है तो उसे 5 वर्ष तक उसी पार्टी में रहने कर कार्य करने संबंधी संविधान में संशोधन होना जरूरी है। इससे सरकारों के अस्थिर होने का खतरा और बार-बार चुनाव होने के खतरे से जनतंत्र प्रणाली को बचाया जा सकता है। वर्तमान राजस्थान सरकार में जो घटनाक्रम चल रहा है उसके मद्देनजर व्यक्तिगत सहमति व असहमति का टकराव राजनीतिक परिदृश्य में अनुचित है और जनता की भावनाओं को आहत करता है। इसके लिए सकारात्मक कदम उठाते हुए सरकार को और जनप्रतिनिधियों को जनहित को महत्व देते हुए उचित फैसले और उचित कदम उठाना चाहिए।
– सूर्यप्रकाश दीक्षित

हिडन चार्ज बढऩे के संकेत तो नहीं

निजी बैंकों के हिडन चार्ज के बारे में लोगों ने सुना ही होगा। न चाहते हुए भी लोगों को ये चार्ज देने ही पड़ते हैं। कुछ भी कर लो, आपकी जेब कटती ही है। ठीक वैसे ही राजस्थान में अभी कोरोनो कॉल में हो रहा है। बिजली के बिल में हो या पानी के बिल में, सरचार्ज लग कर आ रहे हैं। ऑनलाइन बिल जमा करने वालों को भी फिर से बिल में जुड़ कर पैसा आ रहा है। जनता जब इस पचड़े में थक रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त है। दो माह में दूसरी बार होटल से सरकार चल रही है। खुद के गुनाह को दूसरे के सिर पर डाला जा रहा है। अपनी नाकामी के चलते घर नहीं संभाला जा रहा है और कहते हैं पड़ोसी लड़ाई करवा रहा है। अगर यह सरकार रह भी गई तो ये मान कर चलना चाहिए कि हिडन चार्ज में बढ़ोतरी होने वाली है। जनता की कमर और ज्यादा टूटने वाली है।
– भूपेन्द्र पालीवाल

लीडरशिप कमजोर हो पार्टी का आधार खत्म
राजस्थान में चल रहे राजनीतिक गतिक्रम में मुझे एक बात समझ में आती है कि लीडरशिप के कमजोर होने से पार्टी का आधार खत्म हो जाता है। कहीं न कहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता उस लीडर की तलाश में है जो कांग्रेस को फिर एक बार पटरी पर ले आए और कांग्रेस की हाल की स्थिति में यह कह पाना मुश्किल है। सचिन पायलट की नाराजगी राजस्थान को एक नए आयाम पर ला खड़ा करेगी। कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता नहीं चाहते कि सचिन पायलट जैसा युवा चेहरा कांग्रेस से बेदखल हो और वही राजस्थान बीजेपी का कार्यकर्ता उन्हें हाथोंहाथ लेने के लिए बैठे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट का एक अहम रोल था। राजस्थानी होने के नाते में यहीं चाहूंगा की राजस्थान की बागडोर जो स्थिर सरकार दे सके, उसके हाथ में हो।
– भरत कुमार दवे

जिम्मेदारी का अहसास न रह जाए तो कुर्सी छोडऩा बेहतर
इनको जब चुनकर भेजते हैं तो आम आदमी को इनसे ये आशा रहती हैं कि ये व्यक्ति बुद्धिमता और प्रबन्ध में हमसे कई गुना श्रेष्ठ हैं। यह राज्य की व्यवस्था को सुधारेंगे व आम जनता को हर सुविधा मुनासीब दाम पर उपलब्ध कराएंगे। उनके मन में हमेशा राज्य की तरक्की का भाव रहेगा, लेकिन ये लोग ‘मैं’ अर्थात स्वयं का भला करने में ही इतने व्यस्त हो गए हैं कि इनको शासन में बैठकर क्या करना हैं यह पता ही नही रहता। ऐसे सभी नेताओं और पदाधिकारियों को आम जनता के द्वारा ये सन्देश पहुंचना चाहिए कि आप किसी भी पद पर हो, किसी भी पार्टी से हो, आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। अगर यह अहसास मर गया है तो आपको अपनी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।
– रजनीकांत साहू

युवा शक्ति कमर कस ले तो राजनीति में परिवर्तन संभव
युवा आकांक्षाओं की परवाह हमारी लोकतांत्रिक सरकारों को बहुत कम रही है। 18 से 30 की उम्र के युवा ही समुचित शिक्षा व्यवस्था, बेहतर जीवन और सम्यक रोजगार की आकांक्षा पालते हैं। इनके अरमानों को जाति, धर्म और राष्ट्रवाद के झूठे उन्माद की वेदी पर चढ़ा देना भारतीय राजनीति की खास पहचान बन गई है। यदि युवा शक्ति कमर कस ले तो भारतीय राजनीति में एक मूलभूत परिवर्तन संभव हो सकेगा।
– किशन गुर्जर


युवा शक्ति पर भरोसा जरूरी

दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल इस युवा शक्ति को जागृत करने से परहेज करते हैं। संसद और विधानसभाओं में जब अधिक संख्या में युवा पहुंचेंगे तब उनका चरित्र बदलेगा। वे वास्तविक मुद्दों पर राजनीति को केंद्रित करेंगे। उनके पास अनुभव का अभाव हो सकता है, लेकिन उनमें त्याग, जोश और सोच का जो घनीभूत भाव है, उससे हमारी राजनीति और लोकतंत्र मजबूत होगा। युवा शक्ति ने कभी वरिष्ठ जन का अनादर नहीं किया है, बल्कि उन पर भरोसा किया है। राजनीति की बुजुर्ग शक्तियां यदि युवा शक्ति पर जयप्रकाश नारायण की तरह भरोसा करना शुरू कर दे, तो न केवल भारतीय राजनीति की, बल्कि भारत की भी तकदीर बदलेगी। लोकतंत्र भी अधिक मजबूत होगा।
– नीलेश पालीवाल

सरकार मापदंडों पर खरी उतरे
राजनीति अपने आप में एक जटिलता और चंचलता लिए हुए हैं, फिर भी हम एक स्थिर सरकार चाहते हैं जो देशहित में निर्णय ले सके, लेकिन जब सत्तासीन होने के बाद कोई सरकार बहुजन हिताय के मापदंड पर खरी नहीं उतरती है तब चुने हुए प्रतिनिधि का दायित्व बढ़ जाता हैं। उस समय ऐसी सरकार को गिराकर एक साफ छवि की और जनहितैषी सरकार बनाना एक महत्वपूर्ण कदम हो जाता हैं।
– शंकरलाल जोशी, मुंडोल

दल बदलना लोकतंत्र के लिए अनुचित
मताधिकार लोकतंत्र की पहचान है, लेकिन हमारा मताधिकार आज सुरक्षित नहीं लग रहा है, क्योंकि जिस तरह से आज कोई भी राजनीतिक दल का नेता अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए दल बदलता है यह लोकतंत्र पर आघात होगा। यह एक धोखा हैं देश के साथ। दूसरी ओर देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार यदि चुनी गई सरकार लोकहितैषी नहीं होती हैं तब यह कदम देश के लिए हितकारी होता है।
– तरुण साहु


गलत को गलत कहा, तो सुने नहीं जाओगे
गांधी परिवार की हां में हां करेंगे तो आपकी कांग्रेस पार्टी में जगह है, अगर आप पार्टी में गलत को गलत कह देंगे तो आपको नहीं सुना जाएगा। आपको भेड़ बनकर आंखों पर पट्टी बांधकर सिर्फ आलाकमान के साथ चलना है। युवाओं का तिरस्कार कर रही कांग्रेस के लिए सिंधिया, पायलट के निर्णय आंखें खोल सके तो उसके भविष्य के लिए अच्छा है। पार्टी में युवाओं को कितनी महत्ता दी जाती है, वो साफ दिख रहा है। सिंधिया व पायलट जैसे नेता भविष्य में कांग्रेस की कमान संभालने का माद्दा रखते हैं, कहीं ये सोच कर की परिवार के हाथ से सल्तनत निकल ना जाए, इसलिए इनको अनदेखा किया गया। चुनाव से पहले पायलट व सिंधिया बड़े चहरे थे, पर चुनाव के बाद शायद उन्हें वो सबकुछ पार्टी से नहीं मिला, जिसके वो हकदार है। निरंतर उनके तिरस्कार ने उन्हें ये फैसले लेने पर मजबूत किया। अगर अब भी कांग्रेस नहीं संभलती है तो बीजेपी का कांग्रेस मुक्त देश का सपना बहुत जल्द पूरा हो सकता है।
– कांतिलाल प्रजापत

ये उथल-पुथल देशहित में नहीं
वर्तमान में राजस्थान की राजनिति में जो उथल पुथल हो रही हैं, यह पूर्णतया देशहित में नहीं हैं। आम जनता बड़ी आशा के साथ इन नेताओं को चुनकर राज्य की व्यवस्था सम्भालने के लिए भेजती हैं, ताकि ये लोग वहांं बैठकर राज्य में सुशासन स्थापित करें। इनके द्वारा राज्य में सुशासन स्थापित होता हैं तो आम जनता अपने व अपने परिवार के भरण पोषण की व्यवस्था निश्चिंतता से करती हैं, लेकिन वर्तमान हालात को देखकर तो ऐसा लगता हैं कि ये लोग आम आदमी जितने भी अनुशासित नहीं हैं।
– माधोसिंह गौड

विधानसभा बाजार बना कर रख दिया
इस उथल-पुथल में ये लोग जितना समय और धन खर्च कर रहैं हैं उतने में तो राज्य में कई विकास के कार्य सम्पादित हो जाते। आज विधानसभा को इन राजनेताओं ने बाजार बना दिया हैं, जिसमें व्यक्तिगत हितों के लिए ये लोग एक-दूसरे की खरीद-बेचान में लगे हुए हैं। इसमें सभी पार्र्टियां दोषी हैं।
– घनश्याम खण्डेवाल

इससे छवि खराब होती है
पार्टी कोई भी हो, इस तरह की उठा-पटक देश के लिए अच्छी नहीं होती। ये ठीक है कि नेता का आत्मसम्मान बना रहना चाहिए, लेकिन ये हालात तो नहीं होने चाहिए। अपनी बात कहने का भी एक तरीका होता है। इससे सारी व्यवस्थाएं अस्तव्यस्त हो जाती है। अभी तो ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास विधायकों को पकड़ कर रखने के अलावा कोई काम ही नहीं रह गया है। इससे पार्टी की छवि प्रभावित होती है। गलत संदेश जाता है।
– रतन कुमावत

व्यवस्था बिगाडऩे के खिलाफ कार्यवाही हो
संविधान में भी ऐसा संशोधन होना चाहिए कि कोई भी सरकार अगर शासन सम्भालती हैं तो उसमें विपक्ष की भी ऐसी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए कि राज्य में व्यवस्था बनी रहें व जो व्यवस्था को बिगाडऩे का प्रयास करे उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा सके।
– चन्द्रेश पालीवाल

जनता की भावनाओं के साथ कुठाराघात
राजस्थान में वर्तमान समय में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए हर घटिया स्तर की राजनीति कर रही है एवं सभी पार्टियों के बड़े-बड़े पदाधिकारी पार्टी की नीतियों से परे जाकर कार्य कर रहे हैं जो जनता की भावनाओं के साथ कुठाराघात है।
– योगेश देराश्री
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