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राजस्थान के 20 जिलों में कुपोषित बच्चों का फिर होगा सर्वे : सरकार के खर्चेगी सवा करोड़

locationराजसमंदPublished: May 24, 2018 08:43:34 am

Submitted by:

laxman singh

राज्य सरकार ने विशेष अभियान की तैयार की कार्ययोजना

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राजस्थान के 20 जिलों में कुपोषित बच्चों का फिर होगा सर्वे : सरकार के खर्चेगी सवा करोड़

राजसमंद. चिकित्सा महकमे ने कुपोषण से लडऩे के लिए कमर कस ली है। प्रदेश के १९ जिलों के चिह्नित ५२ ब्लॉकों में समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम के तहत अतिकुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उन्हें पूरक आहार दिया जाएगा, इसके लिए करीब १ करोड़ २३ लाख रुपए का बजट पारित किया गया है। योजना के तहत १० हजार बच्चों को लाभांवित करने का लक्ष्य है। जिले में अभियान की शुरुआत १ जून से की जाएगी। जबकि बारां जिला के लिए पूर्व में ही वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है।
ऐसे चलेगा अभियान
कार्यक्रम के तहत २२ से २७ मई तक चयनित जिलों के ब्लॉकों की आशा, एएनएम, लेडी सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण लेने के बाद यह कार्यकर्ता गांवों में जाकर बच्चे की पोषण पट्टिका से जांच होगी। इस दौरान कुपोषण के साथ ही बीमार मिले बच्चों को नजदीक के अस्पताल में रैफर भी किया जाएगा। सर्वे के पूरा होने पर एएनएम चिह्नित बच्चों की दोबारा जांचकर बच्चे को पूरक अहार के लिए चयनित करेगी, फिर आशा व आंगनवाड़ी की जिम्मेदारी होगी कि वह बच्चे को रोजाना तीन बार पूरक आहार खिलवाए।
प्रत्येक बच्चे की बनेगी कुंडली
इस अभियान के तहत चयनित प्रत्येक बच्चे की विभाग के पास कुंडली बनाई जाएगी। चयनित बच्चे का वर्तमान वजन तथा पूरक आहार देने के बाद का वजन लिया जाएगा। यहां तक की प्रत्येक बच्चे की दोनों स्थितियों की फोटो तक खीची जाएगी। बच्चे को यह अतिरिक्त पूरक आहार तबतक दिया जाएगा, जबतक वह सामान्य नहीं हो जाए।
पहले तीन ब्लॉकों में चला था अभियान
चिकित्सा विभाग द्वारा सितम्बर २०१५ में प्रदेश के चयनित जिलों में इसीतरह का अभियान चला था, जिसमें जिले के कुंभलगढ़, भीम और खमनोर ब्लॉक में १८००० बच्चों का सर्वे करवाया गया था। सर्वे में ५४३ बच्चे अतिकुपोषित मिले थे, जिसमें ५३४ बच्चों को कुपोषण मुक्त करवाने का विभाग ने दावा किया था। शेष ११ बच्चों का बाद में फॉलोअप भी किया गया था।
पत्रिका ने चलाया था अभियान
राजस्थान पत्रिका ने वर्ष २०१६-१७ में ‘कुपोषण का दर्द’ अभियान चलाया। इस अभियान के तहत ३१ अगस्त को ‘१५ महीने की बच्ची, वजन ३.२ केजी, हिमोग्लोबिन २.३’, १ सितम्बर को ‘अतिकुपोषित बच्ची को चढ़ाया रक्त’, ४ सितम्बर को ‘४७ फीसदी बेटियां ज्यादा हो रही अतिकुपोषित’, ११ सितम्बर को ‘पोषण की थाली में घटा भत्ते का स्वाद’, १६ सितम्बर को ‘कुपोषण की चपेट में खमनोर’, १९ सितम्बर को ‘आकड़ों में भी कुपोषण छुपाने की कोशिश’, ‘सोशल मीडिया से जुटा रहे पोषण’, २३ सितम्बर को ‘४ दर्जन से ज्यादा बच्चों को मिला नया जीवन’, १३ अक्टूबर को ‘सत्ता बदलते ही आदेश हुए कुपोषित’, २० अक्टूबर को ‘कुपोषित बच्चों का होगा सर्वे’ सहित करीब ३० खबरें प्रकाशित की थी। इस पर हरकत में आए चिकित्सा विभाग ने पूरे कुंभलगढ़ व खमनोर ब्लॉक में कुपोषितों व अतिकोपोषितों का सर्वे करवाया लेकिन विभाग के पास कोई अतिरिक्त बजट नहीं होने से सर्वे में चिह्नित बच्चों को अतिरिक्त पूरक आहार नहीं दिया जा सका था। हालांकि अभियान के बाद कुछ समाजसेवियों ने कुछ बच्चों को पूरक आहार उपलब्ध करवाया था।
चयनित हुए जिले के यह ब्लॉक
ब्लॉक गांव
देवगढ़ 72
आमेट 73
राजसमंद 116
रेलमगरा 101
कुल 362

1 जून से शुरू होगा कार्यक्रम
प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम है, इसके लिए जिले के चार ब्लॉकों का चयन किया गया है। २२ मई से हमने प्रशिक्षण शुरू कर दिया है, एक जून से जिले में सर्वे का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पूर्व में जिन ब्लॉकों में यह कार्यक्रम चल चुका है, उनको इसमें शामिल नहीं किया गया है। ऐसे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना होता है, क्योंकि कुपोषण को दूर करने में जागरूकता की अहम भूमिका होती है।
डॉ. सुरेश मीणा, आरसीएचओ राजसमंद
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