झालों की मदार स्कूल में 67 साल पहले नियुक्त शिक्षक बद्रीप्रसाद शुक्ला गुरुवार को दोबारा भले-चंगे स्कूल पहुंचे तो उन्हें देख शिष्य भावुक हो गए। विद्यार्थी जीवन में बद्रीप्रसाद से शिक्षा ग्रहण करने वाले कई शिष्य रो पड़े। शिष्यों ने अपने गुरु के चरण छुए और आशीर्वाद लिया। शिक्षक बद्रीप्रसाद स्कूल में घूमे और अपने दशकों पुराने स्कूली दौर की यादों में खो गए। वे अपनी पत्नी की पुण्यतिथि को यादगार बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी पहली नियुक्ति वाली स्कूल में फर्नीचर भेंट किया। बद्रीप्रसाद ने 58 हजार रुपए के टेबल स्टूल भेंट किए। विद्यालय परिवार ने गुरुवार को ही एक सादा समारोह आयोजित कर उनका सम्मान किया। स्कूल में हुए सम्मान समारोह में सीबीईओ हनुमान सहाय मीणा, एसीबीईओ नगेंद्र मेहता, प्रधानाचार्या जया परमार, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक सोहनलाल चंदेल, शिष्य काशीराम पालीवाल, सत्यनारायण पालीवाल सहित कई ग्रामीण व स्कूल स्टाफ के सदस्य उपस्थित थे।
पहली कक्षा खुली, तब पहली नियुक्ति
शिक्षक बद्रीप्रसाद ने 1954 में झालों की मदार स्कूल में ज्वाइन किया था। ये उनके शिक्षक के तौर पर पहली नियुक्ति थी। गांव में भी शिक्षा के मंदिर की नींव भी तभी रखी गई थी। शिक्षक बद्रीप्रसाद ने बताया कि तब पहली व दूसरी कक्षा में गांव के बच्चों ने प्रवेश लिया था। वहीं से गांव में स्कूली शिक्षा की शुरुआत हुई। बद्रीप्रसाद ने 28 साल पहले राजकीय शिक्षक के पद से सेवानिवृत्ति ली थी।
शिक्षक बद्रीप्रसाद ने 1954 में झालों की मदार स्कूल में ज्वाइन किया था। ये उनके शिक्षक के तौर पर पहली नियुक्ति थी। गांव में भी शिक्षा के मंदिर की नींव भी तभी रखी गई थी। शिक्षक बद्रीप्रसाद ने बताया कि तब पहली व दूसरी कक्षा में गांव के बच्चों ने प्रवेश लिया था। वहीं से गांव में स्कूली शिक्षा की शुरुआत हुई। बद्रीप्रसाद ने 28 साल पहले राजकीय शिक्षक के पद से सेवानिवृत्ति ली थी।