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40 Under 40 Power List : ‘समाज में बच्चियों से होने वाले भेदभाव को देख मन विचलित हो उठता है’

locationराजसमंदPublished: Jul 03, 2022 01:11:13 pm

Submitted by:

himanshu dhawal

– बालिकाओं को स्कूल में सैनेटरी पैड उपलब्ध कराएं, 9-12 साल की बच्चियों के लिए पीरियड पाठशाला होनी चाहिए

40 Under 40 Power List : 'समाज में बच्चियों से होने वाले भेदभाव को देख मन विचलित हो उठता है'

राजसमंद भांवना पालीवाल

हिमांशु धवल @ राजसमंद. 40 अंडर 40 पावर लिस्ट में शामिल राजसमंद जिले के देवगढ़ निवासी भांवना पालीवाल महिला सशक्तिकरण का कार्य कर रही है। वह बाल विवाह को रोकना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, बालिका और महिलाओं को मासिक धर्म में पैड का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने के साथ पर्यावरण संरक्षण बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान भी घर-घर जाकर महिलाओं को सैनेटरी पैड बांटे। वह अभी तक 55 हजार सैनेटरी पेड नि:शुल्क वितरित कर चुकी है, साथ ही 300 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन कर चुकी है। उन्होंने 10 बालिकाओं और महिलाओं को स्कील डवलपमेंट के तहत मेंहदी, हैंड एण्ड क्राफ्ट, सिंलाई, ब्यूटी पार्लर आदि का नि:शुल्क कोर्स कराए। इसमें कई बालिकाएं और महिलाएं स्वरोजगार कर रही है।
सहेली के बाल विवाह ने सोचने पर किया मजबूर
स्कूल शिक्षा के दौरान पढ़ाई में होशियार सहेली के बाल विवाह की घटना ने झकझोर दिया। उसकी पढ़ाई छुड़वा दी। उसी दिन मैंने सोच लिया था कि जीवन में बच्चियों एवं महिलाओं को इस दंश से मुक्ति दिलाने के लिए जागरूक करूंगी। शादी के बाद ससुराल वालों को अपने सपने के बारे में बताया तो उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। इसके बाद गांव-गांव जाकर बालिकाओं को बाल विवाह के खिलाफ जागरुक करने लगी। एक दिन कार्यशाला के दौरान 12 साल की बच्ची मेरे पास आई उसने कहा कि दीदी ‘मेरे अंदर से बहुत खून निकल रहा है, कहीं मैं मर तो नहीं जाऊंगीÓ उस दिन मुझे लगा कि बालिकाओं को बाल विवाह से पहले मासिक धर्म (पीरियड) के प्रति जागरुक करना आवश्यक है। उसके बाद गांव-ढाणी और स्कूलों में जागकर महिलाओं और बालिकाओं को इसके प्रति जागरूक कर सैनेटरी पैड का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने लगी। गांवों में कार्यशाला के दौरान पुरुष उठकर चले जाते और ताने मारते थे, लेकिन में पीछे नहीं हटी। कार्यशालाओं के दौरान गांवों में देखा कि लोगों के पास तन ढ़कने के कपडे नहीं है। इसके बाद मैंने कपड़ा बैंक की शुरुआत की। जिले के बाहर से कपड़े, खिलौने, स्टेशनरी का सामान मिलता है उसे गांवों में जाकर जरूरतमंद को उपलब्ध कराती हूं।
गांव में खुलना चाहिए ई-सखी केन्द्र
गांवों में आज भी बाल विवाह हो रहे हैं। उन्हें रोकने के लिए ई-सखी केन्द्र खोलने चाहिए। जहां बालिकाएं बाल विवाह आदि की शिकायत कर सके। यहां पर महिलाओं से संबंधित समस्या से अवगत करा सकती है। सरकार को स्कूल में बालिकाओं के लिए स्कूल में सैनेेटरी पैड उपलब्ध कराने के साथ ही 9 से 12 साल की बच्चियों के लिए पीरियड पाठशाला होनी चाहिए। बालक-बालिकाओं को सैक्स एज्युकेशन देनी चाहिए, जिससे समय-समय पर शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में वह जान सके। अभिभावकों को भी इस विषय में बच्चों से बात करनी चाहिए। इसके अभाव में वह अनजाने में गलत रास्ते पर चले जाते हैं।
पत्रिका का शी-न्यूज सभी को पढऩा चाहिए
राजस्थान पत्रिका समाज को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। पत्रिका का शी-न्यूज बहुत अच्छा आता है। उसे सभी को पढऩा चाहिए। पत्रिका का चेंज मैकर और जागो जनमत बहुत अच्छा अभियान है। राजनीति में अच्छे लोग आएंगे तो ही सृदृढ़ समाज की कल्पना पूरी होगी। जनता मतदान से अपना भाग्य लिखती है।
जंगलों में गुलेल से फेंकते हैं सीड बॉल
पर्यावरण की सुरक्षा के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। एक पेड़ काटने पर दस गुणा पेड़ लगाने चाहिए। हम लोग मिट्टी और गोबर की गेंद बनाकर उसमें बीज रखकर सीड बॉल बनाते हैं। महिलाएं मानसून के दौरान उन्हें पहाड़ी इलाकों पर गिलोल से फेंकती है। उन सीड बॉल को वर्षा का पानी मिलते ही यह अँकुरित हो जाती है। इससे पहाड़ी क्षेत्र भी हरा-भरा हो जाता है।
‘तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश हैÓ
जीवन में हर महिला को आगे बढऩा चाहिए। अपने सपनों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनना चाहिए, जिससे की जीवन में आने वाली चुनौतियों को अच्छी तरह से मुकाबला कर सके। बालिकाओं को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा के साथ स्कील कोर्स करने चाहिए। जिससे वह अपनी इच्छाओं के साथ परिवार की घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ बेटे की तरह काम करके दिखाए, इससे धीरे-धीरे ***** भेद भी खत्म हो जाएगा।
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