नगर परिषद ने पिछले पांच महीनों में अपने अधिकारी, स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर 5 करोड़ 48 लाख रुपए खर्च किए, जबकि इस पूरी अवधि में कुल कमाई ही ५ करोड़ ६८ लाख रुपए की ही हुई। परिषद में करीब डेढ़ सौ तरह के मद हैं, जिनमें से सबसे बड़ा खर्च वेतन-भत्तों पर ही होता है। उसके बाद बिजली-सड़क सुविधा पर पैसा खर्च हुआ है। हालांकि पिछले साल की तुलना में अभी आय बढ़ी है, लेकिन 2016 का स्तर प्राप्त करने में अभी काफी पीछे है।
नगर परिषद की भूखण्ड नीलामी में भी लोगों की दिलचस्पी नहीं नजर आ रही है। भूमि नीलामी की प्रक्रिया कई बार की गई, लेकिन दुकानों के प्लॉट, आवासीय प्लॉट की बिक्री नहीं होने से आय नहीं हो रही है। कोरोनाकाल में पिछले वर्ष लोगों ने भू-रूपांतरण की फाइलें भी नहीं लगाई, जिससे इस मद में आय पूरी तरह ठप हो गई। निर्माण स्वीकृति के नाम पर साढ़े चार लाख रुपए इस साल आए हैं, क्योंकि नए निर्माण के लिए अनुमति लेना जरूरी होता है।
चुंगी क्षतिपूर्ति ४२८१२०००
निर्माण स्वीकृति ४५२४८७
विकास शुल्क १३९५७६०
बाह्य विकास शुल्क ७९३३८७
सिवरेज, ड्रेनेज १०६७२०५
कृषि भूमि अंतरण १७०४२४०
जुर्माना राशि १८६८८६०
लीज किश्त १८१२८५८
बीएसयूपी २४१३९९७
योग ५४३२०७९४
अन्य मद २४९०७०१
महायोग ५६८११४९५ इन मदों में सर्वाधिक खर्च
वेतन-भत्ते 54843448
बिजली 3849761
पेट्रोल-डीजल 2138770
प्रदर्शनी-मेला 1198910
बिजली सामान खरीद 2530347
कूड़ा-कचरा सफाई 3361008
सामुदायिक भवन 6525666
पार्क रखरखाव 744949
बाउण्ड्री हॉल 1405797
कॉन्क्रीट सड़क 7335011
डामर सड़क 11716969
सड़क मरम्मत 12071883
योग १०७७२२५१९
अन्य खर्च २८११३९८७
महायोग 135836506
साल राशि प्रतिशत अंतर
2016-17 997.25 100 00
2017-18 956.18 95.88 -4.12
2018-19 883.39 88.58 -11.42
2019-20 778.02 78.01 -21.99
2020-21 255.80 28.95 -71.05
२०२१-२२ ५६८.११ ९६.९६ +६८.०१
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पिछले एक साल से आय प्रभावित हो रही है। तमाम तरह की गतिविधियां बंद हैं, जिससे निकाय की आय पर बुरा असर पड़ रहा है। परिषद के स्रोतों से उम्मीद के अनुरूप पैसा नहीं आ रहा है। महामारी के दौर में हालात सुधरने पर स्थिति बदल सकती है।
जनार्दन शर्मा, आयुक्त, नगर परिषद, राजसमंद