scriptये दाग अच्छे  नहीं : आजादी के 75 वर्ष बाद भी नहीं बदले हालात, नालों में घुसने की मजबूरी | The stains are not good: even after 75 years of independence, the situ | Patrika News

ये दाग अच्छे  नहीं : आजादी के 75 वर्ष बाद भी नहीं बदले हालात, नालों में घुसने की मजबूरी

locationराजसमंदPublished: Jun 30, 2022 11:53:39 am

Submitted by:

himanshu dhawal

– जान जोखिम में डालकर बिना सेफ्टी सामान के काम करने की मजबूर स्वच्छता सैनिक, सभ्य समाज में बदलनी चाहिए तस्वीर, उठाए जाने चाहिए प्रभावी कदम

ये दाग अच्छे  नहीं : आजादी के 75 वर्ष बाद भी नहीं बदले हालात, नालों में घुसने की मजबूरी

राजसमंद के बाल कृष्ण स्टेडियम के निकट रोड पर नाले में सफाई करते स्वच्छता सैनिक।

हिमांशु धवल@ राजसमंद. देश में आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत पूरे देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन आज भी सभ्य समाज में स्वच्छता सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर नालों में घुसकर गंदगी निकालने को मजबूर है। इस तरह की तस्वीर राजसमंद की नहीं प्रदेश के कई शहरों में देखने को मिलती है। ऐसे में अब इस तस्वीर को बदलनी चाहिए।
नगर परिषद की ओर से मानसून के मद्देनजर ठेकेदार के माध्यम से शहर के 150 छोटे-बड़े नालों की सफाई कराई जा रही है। इसमें जमा गंदगी अथवा कचरे को निकाला जा रहा है। इसमें मुख्य बात यह है कि कई स्थानों पर नाले अथवा नालियां सड़क के नीचे अथवा दुकानों के बाहर बने प्लेटफार्म से ढक गई है। इसके कारण सफाई के लिए नालों में घुसकर सफाई करनी पड़ती है। इन स्वच्छता सैनिकों को अपने स्वास्थ्य की परवाह और न सुरक्षा की चिंता होती है, क्योंकि इस काम के बदले मिलने वाले पैसों से इनका घर परिवार का गुजर-बसर होता है। कीचड़ और गंदगी में कई घटों तक काम करने से यह रोगों से भी ग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है।
स्वास्थय के लिए घातक
गंदगी में कई घंटे काम करने से संक्रमण का खतरा रहता है। हाथों में दस्ताने नहीं होने के चलते चर्म रोग होने की संभावना बनी रहती है। गंदगी के दौरान नुकीली चीजें से कट लग सकता है। एलजी, दमा सहित कई बीमारी होने का अंदेशा बना रहता है।
सभी को आना चाहिए आगे
नगर निगम का स्वास्थ्य एवं सफाई विभाग हो चाहे स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आकर स्वच्छता सैनिकों को सुरक्षा मापदंड के अनुसार संसाधान जुटाए जाने चाहिए। इसके लिए इन्हें जागरुक करना चाहिए। सरकार की ओर से छोटी-जेसीबी सहित कई अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जिससे किसी भी स्वच्छता सैनिक को नाले में घुसना न पड़े।
होना यह चाहिए
– नाले में घुसकर सफाई पर रोक लगनी चाहिए
– नालियों को अतिक्रमण मुक्त कराना चाहिए
– सड़कों के नीचे बने नालों पर फैरो कवर लगने चाहिए
– स्वच्छता सैनिकों को संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए
– स्वच्छता सैनिकों की चिकित्सकीय जांच
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न्याय संगत नहीं मानवता के विरूद्ध
नालों में उतारकर उसकी सफाई करवाना न्याय संगत और मानवता के विरूद्ध है। यदि पॉलीथिन का उपयोग पूरी रह से बंद हो जाए तो 50 प्रतिशत समस्या का समाधान स्वत: हो जाएगा। वर्तमान में कई टे्रक्नोलॉजी आ गई है, जिससे साफ-सफाई हो सकती है। नालों में उतरकर साफ-सफाई करने से उनके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।
– श्यामसुंदर पालीवाल, पद्यश्री
नालियों के ऊपर से हटवाया जाएगा अतिक्रमण
नालियों पर अतिक्रमण होने के कारण सफाई में परेशानी होती है। ठेकेदार के माध्यम से बड़े नालों में जेसीबी से सफाई करवाई जा रही है, लेकिन कई स्थानों पर श्रमिकों के माध्यम से करवाई जा रही है। अतिक्रमण को हटवाया जाएगा। नालों में घुसकर सफाई करवाने की मना कर रखा है। इसके बावजूद ठेकेदार कहीं ऐसे करवा रहा है तो जांच करवाई जाएगी।
– जनार्दन शर्मा, आयुक्त नगर परिषद

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