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कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व का रास्ता साफ, सर्वे कर लौटी टीम, अगले माह फिर आएगी

कुभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए बनाई विशेषज्ञ कमेटी के सदस्य अब अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में उदयपुर और पाली जिले के वन खण्ड क्षेत्र का निरीक्षण करेगी। अजमेर एवं राजसमंद जिले में तीन दिनों से कर रही थी टीम सर्वे। 31 अक्टूबर तक सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी।

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कुंभलगढ़ क्षेत्र की जानकारी लेते टीम के सदस्य।

राजसमंद. कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए कवायद तेज हो गई है। कोर एवं बफर जोन तय करने के लिए सरकार की ओर से बनाई विशेषज्ञ कमेटी के सदस्यों ने शुक्रवार को कुंभलगढ़ वन खण्ड का सर्वे किया। टीम पिछले तीन दिनों से अजमेर और राजसमंद जिले के वनखण्डों का सर्वे कर लौट गई। कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व में नए वनखण्डों को जोडऩे के लिए 11 सदस्यों की कमेटी बनाई है। कमेटी के सदस्य कोर एवं बफर जोन का निर्धारण करेंगे। इसके तहत वन्यजीव विशेषज्ञ राजपाल सिंह, सेवानिवृत सीसीएफ टीकमचंद वर्मा, उदयपुर सीसीएफ एस.आर.वी. मूर्ति, पाली डीएफओ बालामुर्गन एवं राजसमंद डीएफओ सुदर्शन शर्मा आदि ने बुधवार को रावली-टॉडगढ़ क्षेत्र का, गुरुवार को देवगढ़ स्थित कामली घाट, देसूरी नाल, पाली स्थित सादड़ी, बोराड़ा सहित आस-पास क्षेत्र का सर्वे कर कुंभलगढ़ पहुंची। वहां पर रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को टीम ने कुंभलगढ़ सेंचुरी और इसके आस-पास का सर्वे किया। इसके पश्चात टीम वापस लौट गई। टीम के सदस्य अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में उदयपुर और पाली वनखण्ड क्षेत्र का सर्वे करने के लिए आएंगे। इसके पश्चात 31 अक्टूबर तक राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

इन बिन्दुओं पर किया सर्वे

विशेषज्ञों की टीम ने पिछले तीन दिनों में वन विभाग की ओर से तैयार किए गए ग्रासलैंड, अन्य स्थानों पर उपलब्ध ग्रासलैंड, वन्यजीवों की आवाजाही, माइनिंग एरिया क्षेत्र, हाईवे से कनेक्विटी, वनक्षेत्र में उपलब्ध वन्यजीवों की स्थिति , पानी की स्थिति सहित कई बिन्दुओं पर चर्चा कर सर्वे किया गया। उल्लेखनीय है कि ट्यूरिस्ट सर्किट बनाने जाने के लिए वनखण्डों को जोड़ा जाएगा।