शिलालेखों पर आज भी भिन्न-भिन्न दर्ज हैं हल्दीघाटी की युद्ध तिथियां
राजसमंदPublished: Jun 18, 2019 12:23:28 pm
रक्ततलाई में लगे दो शिलालेख कर रहे पर्यटकों को भ्रमित
शिलालेखों पर आज भी भिन्न-भिन्न दर्ज हैं हल्दीघाटी की युद्ध तिथियां
प्रमोद भटनागर
खमनोर. हल्दीघाटी युद्धतिथि और इतिहास के बारे में जानने को उत्सुक पर्यटकों को रक्ततलाई में लगे ये दो प्रकार के शिलालेख भ्रमित कर रहे हैं। इतिहास के पन्नों में हल्दीघाटी की युद्धतिथि 18 जून 1576 दर्ज है, लेकिन 21 जून 1576 को युद्ध होने का वर्णन करता शिलालेख इतिहास बोध करने वालों को गलत जानकारी दे रहा है।
रणभूमि रक्ततलाई में ये दो प्रकार के शिलालेख आज भी पर्यटकों को मूल तत्थ्यों से भटका रहे हैं। सफेद रंग के पत्थर पर खुदा प्राचीन शिलालेख रक्ततलाई के बीचों बीच कब्रिस्तान के बाहर की ओर लगा है, जहां तक पर्यटक लाल पत्थरों से बने ट्रेक पर चलकर आते हैं। इस पर 21 जून 1576 को युद्ध होना बताया है। रक्तलाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पुराने स्मारकों और पुरालेखों को संरक्षित करने के दौरान इसे भी सुरक्षित रखा गया, जबकि उद्यान विकसित होने के बाद पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को सही जानकारी देने के लिए रेड स्टोन से एक नया शिलालेख लगाया, जिस पर हल्दीघाटी युद्ध की तिथि 18 जून 1576 बताई गई है। उल्लेखनीय है कि कुछ दशक पहले तक हल्दीघाटी युद्धतिथि को लेकर इतिहासकारों में मतांतर थे। कई गोष्ठियों और तत्थ्यात्मक मंथन के बाद सभी इतिहासकार 18 जून 1576 को युद्धतिथि मानने को मतैक हो गए थे। इसके बाद ही 18 जून को ही वास्तविक युद्धतिथि माना गया था। अब जबकि रक्ततलाई में लगा प्राचीन शिलालेख 21 जून 1576 बता रहा है, जिसे पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित कर रखा है, वहीं पर्यटन विभाग ने संशोधित और प्रामाणित मानी गई 18 जून युद्धतिथि का शिलालेख लगा रखा है। इन दोनों ही शिलालेखों पर अभी तक किसी राजनेता, प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नहीं गया है। अगर ध्यान गया भी हो तो इसे त्रुटि मानकर सुधारने की दिशा में काम नहीं हुआ है। पर्यटकों को सही जानकारी मिले, इसके लिए शिलालेखों में सुधार की जरूरत है।