तीर्थ के आसपास के गांव कृषि प्रधान हैं। यहां लघु काश्तकारों की संख्या सर्वाधिक है। भूमिगत व सतही जल की बहुलता होने से क्षेत्र में गन्ना, मक्का, गेहूं, जौ, कपास, चना, सरसों, आजवाईन, अरहर, मूंंगफली की बम्पर पैदावार होती है, वहीं मातृकुण्डिया बांध पेटे में तरबूज, खरबूज, खीरा सहित विभिन्न किस्मों की सब्जियां भी बहुतायात में होती है। तीर्थ से जुड़े चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा एवं राजसमन्द जिलों के सीमान्त गांवों को फसल उपज में अग्रणी माना जाता है। राजनीतिक क्षेत्र में यहां का जातिगत समीकरण हमेशा से ही प्रभावी रहा है। करीब 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। अधिकांश परिवार स्वयं खेती कार्य में जुटे हैं, वहीं कुछ अपने खेतों को सिजारे देकर भी खेती से जुड़े रहते हैं। जाट बाहुल्य इस क्षेत्र में अन्य समाजों के मतदाताओं की भी बहुलता है। अधिकांश किसान परिवार होने से हर बार यहां राजनीतिक सभाओं को किसान सम्मेलन के नाम का जामा ही पहनाया जाता है। गहलोत की पिछली सभा में यहां पाण्डाल खचाखच भर गया था।