scriptयहां के परिवारों में 80 फीसदी किसान, सभा भले राजनीतिक हो, नाम किसान सम्मेलन ही होता है | Tomorrow in Matri Kundia, there will be talk on farmers' issues | Patrika News

यहां के परिवारों में 80 फीसदी किसान, सभा भले राजनीतिक हो, नाम किसान सम्मेलन ही होता है

locationराजसमंदPublished: Feb 26, 2021 11:57:24 am

Submitted by:

jitendra paliwal

मातृकुण्डिया में कल किसानों के मुद्दों पर होगी बात

यहां के परिवारों में 80 फीसदी किसान, सभा भले राजनीतिक हो, नाम किसान सम्मेलन ही होता है

यहां के परिवारों में 80 फीसदी किसान, सभा भले राजनीतिक हो, नाम किसान सम्मेलन ही होता है

रेलमगरा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 27 फरवरी को मातृकुण्डिया आ रहे हैं। किसानों के समर्थन में सभा होगी। इसी बहाने वे राजसमंद, सहाड़ा और वल्लभनगर सीट पर उपचुनाव का बिगुल भी बजाएंगे।
बात चाहे विधानसभा चुनावों की हो या लोकसभा चुनावों की, पंचायती राज चुनावों से लेकर संगठनों एवं सामाजिक गतिविधियों की राजनीति के लिए हमेशा से मातृकुण्डिया सुर्खियों में रहा है। विभिन्न समाजों के लोग भी यहां पहुंचकर समाज के उत्थान का संकल्प लेते हैं तो राजनीतिक दलो के कर्ता-धर्ता भी यहां की भौगोलिक स्थिति के साथ मतदाताओं की जातिगत व्यवस्था के मद्देनजर हर तरह के चुनावों में इस तीर्थस्थली का चुनावी प्रचार के लिए चयन करते रहे हैं।
आगामी दिनों में मेवाड़ क्षेत्र के राजसमन्द, उदयपुर के वल्लभनगर एवं भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। अब तक दोनों मुख्य दलों में प्रत्याशी के मैदान में आने का इंतजार है, लेकिन भाजपा प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आने से कांग्रेस भी असमंजस की स्थिति में है। ऐसे में सत्ताधारी दल किसान सम्मेलन के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर रही है। किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन, प्रदेशाध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा सहित कई बड़े नेताओं के भी पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
खेती में मेवाड़ का श्रीगंगानगर भी है यह क्षेत्र
तीर्थ के आसपास के गांव कृषि प्रधान हैं। यहां लघु काश्तकारों की संख्या सर्वाधिक है। भूमिगत व सतही जल की बहुलता होने से क्षेत्र में गन्ना, मक्का, गेहूं, जौ, कपास, चना, सरसों, आजवाईन, अरहर, मूंंगफली की बम्पर पैदावार होती है, वहीं मातृकुण्डिया बांध पेटे में तरबूज, खरबूज, खीरा सहित विभिन्न किस्मों की सब्जियां भी बहुतायात में होती है। तीर्थ से जुड़े चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा एवं राजसमन्द जिलों के सीमान्त गांवों को फसल उपज में अग्रणी माना जाता है। राजनीतिक क्षेत्र में यहां का जातिगत समीकरण हमेशा से ही प्रभावी रहा है। करीब 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। अधिकांश परिवार स्वयं खेती कार्य में जुटे हैं, वहीं कुछ अपने खेतों को सिजारे देकर भी खेती से जुड़े रहते हैं। जाट बाहुल्य इस क्षेत्र में अन्य समाजों के मतदाताओं की भी बहुलता है। अधिकांश किसान परिवार होने से हर बार यहां राजनीतिक सभाओं को किसान सम्मेलन के नाम का जामा ही पहनाया जाता है। गहलोत की पिछली सभा में यहां पाण्डाल खचाखच भर गया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो