scriptहे प्रभु! और कितने चरण… और कितना वक्त! | Two phases of Shrinathji Mandir Vikas Scheme are going on for 16 years | Patrika News

हे प्रभु! और कितने चरण… और कितना वक्त!

locationराजसमंदPublished: Sep 13, 2021 06:31:35 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

तिरूपति की तर्ज पर विकास का देखा था सपना : श्रीनाथजी मंदिर विकास विस्तार योजना के दो चरण 16 साल से चल रहे

हे प्रभु! और कितने चरण... और कितना वक्त!

हे प्रभु! और कितने चरण… और कितना वक्त!

गिरिराज सोनी@पत्रिका. नाथद्वारा. प्रभु श्रीनाथजी की नगरी को प्रसिद्ध तीर्थ तिरूपति बालाजी की तर्ज पर विकसित करने का सपना 16 साल बाद भी अधूरा है। नाथद्वारा मंदिर विस्तार योजना के शुरुआती चरण के काम भी अब तक चल रहे हैं। योजना कब पूरी होगी और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं कब उपलब्ध होंगी, यह भविष्य के गर्भ में ही छिपा हुआ लगता है।
16 साल वर्ष पूर्व शुरू हुई तिरूपति की तर्ज पर विकास योजना के तहत मौजूदा समय में भी कई निर्माण कार्य जारी हैं। धीमी गति से काम चलने की खास वजह मंदिर के आसपास के मुख्य बाजारों की चौड़ाई बढ़़ाने के मुद्दे पर मंदिर मंडल व व्यापारियों के बीच आम सहमति नहीं बन पाना है। वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नाथद्वारा को विकास की परिकल्पना रखी थी। घोषणा के बाद २० करोड़ की लागत से प्रथम चरण के कार्य का शिलान्यास हुआ। मंदिर के पास मोतीमहल के नीचे से स्थित वल्लभ कॉटेज को गिराकर आधुनिक सुविधायुक्त नया भवन बनाया गया। काम इतना धीमी गति से हुआ कि अकेले एक काम की लागत ढाई गुना बढ़कर ५० करोड़ तक पहुंच गई। यह भवन बनकर तैयार हो गया, जिसे अब वल्लभ विलास कहा जाता है।
जानें, अब तक किस चरण में क्या हुआ?
प्रथम चरण : वल्लभ कॉटेज को हटाकर यहां नया भवन बनाया, जिसका वर्तमान में वल्लभ विलास नाम है। देहली बाजार को हटाकर दुकानदारों को अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना थी, जो पूरी नहीं हुई।
द्वितीय चरण : प्रीतमपोल क्षेत्र में कार्य हुआ और अभी भी कई निर्माण जारी हैं। वनमाली मंदिर के पास स्थित धर्मशाला को हटाना था। वनमाली क्षेत्र के कुछ दुकानदारों को घोड़ा भंडार आदि में जगह दी गई, कुछ दुकानदार सहमत नहीं हुए।
बाजार को हटाने की योजना
प्रथम चरण में वल्लभ विलास के ठीक सामने की ओर ओर स्थित देहली बाजार हटाने की योजना थी। देहली बाजार में देहली वाली धर्मशाला के सामने की तरप के ऊपरी छोर पर आसूभाई की धर्मशाला को हटा दिया गया। दुकानों को भी हटाने की योजना थी। देहली बाजार को १५ मीटर से अधिक चौड़ा करने का नक्शा भी बना और नगर पालिका में स्वीकृति के लिए भिजवाया गया था।
ठेके पर देना पड़ा सफेद हाथी
प्रथम चरण के नवनिर्माण में लगे बजट के बाद वल्लभ विलास का प्रबंधन एवं रखरखाव मंदिर मंडल के पास था। कुछ वर्षों तक यह भवन मंदिर मंडल ने चलाया, लेकिन भारी-भरकम बिजली बिल आने ये यह मंदिर मंडल के लिए सफेद हाथी साबित होने लगा। फिर वल्लभ विलास को ठेके पर दे दिया गया। दो वर्ष से लॉडर्स गु्रप इसका संचालन कर रहा है।
विकास के समर्थक भी
कई शहरवासियों व व्यापारियों ने विकास योजनाओं का स्वागत भी किया। कई लोगों का तर्क है कि यहां आ रहे श्रद्धालुओं को दर्शन के साथ ही अन्य सुविधाएं विकसित होने से राहत मिलेगी। दर्शनार्थियों की संख्या बढऩे से शहर में रोजगार व आय बढ़ेगी।
धर्मशाला को हटाकर निर्माण की कवायद
गत कुछ महीनों पूर्व पुन: मंदिर मंडल ने देहली बाजार हटाकर वहां की दुकानों को अन्यत्र स्थापित करने की योजना बनाई, लेकिन दुकानदारों ने विरोध जताया। तब से मामला अटका हुआ है।
प्रीतमपोल से भी हटाई दुकान
प्रीतमपोल क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्य के चलते प्रवेश द्वार के पास स्थित दुकान को हटाने के लिए भी मंदिर मंडल ने दुकानदार से गत दिनों बातचीत कर सहमति बनाई, जिसके चलते उसे भी नया बाजार में मंदिर मंडल के चिकित्सालय के पास दुकान दे दी गई।
आम सहमति नहीं बनने से अटकी योजना
देहली बाजार हटाने के लिए मंदिर मंडल एवं दुकानदारों के बीच वार्ताओं के कई दौर चले। अधिकांश दुकानदारों का एक ही पक्ष था कि मंदिर मंडल विस्तार योजना के लिए जो निर्माण करेगा, उसका मॉडल क्या है। उन्होंने मॉडल जनता के सामने रखने की मांग की थी। दुकानदारों ने पूछा था कि कहां क्या निर्माण होगा और निर्माण में बजट, खर्च, संचालन किस मोड पर होगा, लेकिन स्थितियां स्पष्ट नहीं होने से देहली बाजार हटाने की योजना अधूरी है।
— फैक्ट फाइल —
१६ साल पहले हुई थी मंदिर विस्तार योजना की शुरुआत
५० करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी वल्लभ विलास निर्माण की लागत देरी की वजह से

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