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विवि का स्वयंपाठियों को विमर्श शुल्क के नाम का नया फटका

स्नातक, परास्नातक के सभी संकायों में की बढोत्तरीगृहणी, कामकाजी लोगों की उच्च शिक्षा पर संकट

राजसमंदOct 13, 2019 / 12:46 pm

Aswani

विवि का स्वयंपाठियों को विमर्श शुल्क के नाम का नया फटका

राजसमंद. काम के साथ उच्चशिक्षा की पढ़ाई करने वाले स्वयंपाठी विद्यार्थी की राह एमएलएसयू ने और कांटों भरी कर दी। मंदी के दौर में विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातक, परास्नातक के सभी संकायों में 40 से 60 फीसदी तक फीस में बढ़ोत्तरी कर दी। इससे कई विद्यार्थियों का उच्च शिक्षा ग्रहण करने का सपना टूटता नजर आ रहा है। स्वयंपाठियों का कहना है कि विश्वविद्यालय हमारी मजबूरी का फायदा उठा रहा है। विश्वविद्यालय १००० रुपए तो परामर्श शुल्क के नाम पर वसूल रहा है, जबकि स्वयंपाठियों के लिए परामर्श तो शून्य रहता है।
सुविधा और विमर्श शुल्क का फटका
विश्वविद्यालय विद्यार्थियों से संकाय अनुसार सिर्फ परीक्षा शुल्क नहीं ले रहा। बल्कि सुविधा और विमर्श शुल्क के नाम पर भी मोटी राशि ली जा रही है। इसमें ५५ रुपए तो परीक्षा आवेदन शुल्क, २७५ रुपए सुविधा शुल्क, १००० रुपए विमर्श शुल्क इसके बाद संकाय अनुसार परीक्षा शुल्क। जैसे एमए प्रथम वर्ष हिंदी साहित्य के लिए २९६५ रुपए परीक्षा शुल्क है। यानि हिंदी साहित्य से एमए करने के लिए स्वयंपाठी को ४२९५ रुपए देने पड़ेंगे। इसमें परीक्षा शुल्क तो संकाय अनुसार है जबकि परामर्श, आवेदन और सुविधा शुल्क एक ही है।

सभी संकायों में बढ़ाई फीस
मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय ने इसबार बीए, बीकॉम, एमए, एमकॉम के सभी विषयों में 40 से 60 फीसदी तक फीस बढ़ाई है। एक साथ फीस में डेढग़ुणा की बढोत्तरी होने से स्वयंपाठी विद्यार्थियों में रोष है।
केस एक
कांकरोली निवासी उमा जोशी ने बताया कि उसे स्वयंपाठी होकर एमए करना है। एमए की फीस पता की तो गतवर्ष के मुकाबले करीब 1329 रुपए बढ़ गई है। जोशी ने बताया कि विश्वविद्यालय 1000 रुपए परामर्श शुल्क के नाम पर ले रहा है, जबकि स्वयंपाठी विद्यार्थियों को कोई परामर्श तो दिया ही नहीं जाता। यह स्वयंपाठियों के सपनों में पानी फेरने जैसा है।

केस दो
कांकरोली निवासी नीरज कुमार ने बताया कि उसने एक दुकान कर रखी है, इसलिए कॉलेज जाने का समय नहीं है। अब परास्नातक की पढ़ाई भी करना चाहता है लेकिन फीस इतनी ज्यादा है कि वह हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। नीरज ने बताया कि पिछली बार उसके एक दोस्त ने फॉर्म भरा था तो 2300 रुपए लगे थे, इसबार सामाजिक विज्ञान से एमए करने पर 3629 रुपए फीस है।

केस तीन
नाथद्वारा निवासी राधिका ने बताया कि वह एक गृहणी है। जैसे-तैसे पैसे जोड़कर बीए करना चाह रही थी, लेकिन इसबार फीस में करीब 40 फीसदी की बढोत्तरी होने से वह पढ़ाई नहीं कर पाएगी। महंगाई का दौर है, बच्चों की फीस दें या हम पढ़ाई करें।
केस चार
राजसमंद निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि उसने पिछलीबार स्वयंपाठी रहकर एमए प्रथम वर्ष पास किया है। पिछलीबार की तुलना में इसबार करीब 1200 रुपए बढ़ गए हैं। इसलिए फाइनल का फॉर्म नहीं भरा है, अब अगर पैसे की व्यवस्था हो गई तो ही फॉर्म भर पाएगा।

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