चारभुजा. तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत मानावतों का गुड़ा के राजस्व गांव रूपनगर को दूसरे विकास की बात तो दूर राजनेता मतदान केन्द्र की सौगात तक नहीं दिला सके। ऐसे में लोकतन्त्र के हवन में आहूति देने से पहले मतदाताओं को करीब 12 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
ग्रामीणों के अनुसार गांव के लिए एकमात्र उपलब्धि सिर्फ राजस्व गांव का दर्जा मिल जाना भर है। विकास एवं सुविधाओं से तो यह गांव कोसों दूर है। राजनेताओं के कोरे आश्वासन की बानगी तो लम्बे समय से की जा रही मतदान केन्द्र खोलने जैसी नेताओं के फायदे की मांग के भी पूरा नहीं होने के रूप में रूपनगर में देखी जा सकती है। रूपनगर गांव ग्राम पंचायत मुख्यालय से मानावतों का गुड़ा से 10 किलोमीटर दूर जंगलात में बसा हुआ है। गांव तक पहुंच की सडक़ भी सही नहीं है, वहीं रास्ते में जंगल भी पड़ता है, जिससे लोगों में डर बना रहता है। इस गांव का मतदान केन्द्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय निचला घाटड़ा है, जो गांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। ऐसे में गांव के करीब ढाई सौ से ज्यादा मतदाताओं को मत डालने के लिए वहां तक पैदल ही जाना पड़ता है। गांव के लक्ष्मणसिंह, कालूसिंह, गोपीलाल व कानाराम भील एवं ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से लम्बे समय से यहां मतदान केन्द्र खोलने की मांग कर रहे हैं, पर सुनवाई नहीं हुई। पिछले चुनाव के दौरान भी नेताओं ने यहां मतदान केन्द्र खुलवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में मुडक़र भी नहीं देखा।
कर सकते हैं बहिष्कार
इस बार चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही यहां के ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। इनमें से कई ग्रामीणों ने तो इस बार 7 दिसम्बर से पूर्व मतदान केंन्द्र नहीं खोले जाने की स्थिति में मतदान नहीं करने की भी बात कही है। वहीं, कुछ ग्रामीण इसको लेकर सामूहिक रूप से दबाव बनाने के लिए भी तैयारी कर रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार गांव के लिए एकमात्र उपलब्धि सिर्फ राजस्व गांव का दर्जा मिल जाना भर है। विकास एवं सुविधाओं से तो यह गांव कोसों दूर है। राजनेताओं के कोरे आश्वासन की बानगी तो लम्बे समय से की जा रही मतदान केन्द्र खोलने जैसी नेताओं के फायदे की मांग के भी पूरा नहीं होने के रूप में रूपनगर में देखी जा सकती है। रूपनगर गांव ग्राम पंचायत मुख्यालय से मानावतों का गुड़ा से 10 किलोमीटर दूर जंगलात में बसा हुआ है। गांव तक पहुंच की सडक़ भी सही नहीं है, वहीं रास्ते में जंगल भी पड़ता है, जिससे लोगों में डर बना रहता है। इस गांव का मतदान केन्द्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय निचला घाटड़ा है, जो गांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। ऐसे में गांव के करीब ढाई सौ से ज्यादा मतदाताओं को मत डालने के लिए वहां तक पैदल ही जाना पड़ता है। गांव के लक्ष्मणसिंह, कालूसिंह, गोपीलाल व कानाराम भील एवं ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से लम्बे समय से यहां मतदान केन्द्र खोलने की मांग कर रहे हैं, पर सुनवाई नहीं हुई। पिछले चुनाव के दौरान भी नेताओं ने यहां मतदान केन्द्र खुलवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में मुडक़र भी नहीं देखा।
कर सकते हैं बहिष्कार
इस बार चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही यहां के ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। इनमें से कई ग्रामीणों ने तो इस बार 7 दिसम्बर से पूर्व मतदान केंन्द्र नहीं खोले जाने की स्थिति में मतदान नहीं करने की भी बात कही है। वहीं, कुछ ग्रामीण इसको लेकर सामूहिक रूप से दबाव बनाने के लिए भी तैयारी कर रहे हैं।