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अपनों पर संकट से जगा जज्बा, बन गए रक्तवीर

locationराजसमंदPublished: Jun 14, 2021 11:56:12 am

Submitted by:

jitendra paliwal

विश्व रक्तदाता दिवस विशेष : स्वयं के साथ घर-परिवार के लोगों की भी रक्तदान के प्रति बदली विचारधारा
 

अपनों पर संकट से जगा जज्बा, बन गए रक्तवीर

अपनों पर संकट से जगा जज्बा, बन गए रक्तवीर

मित्र की बेटी को समय पर नहीं मिला रक्त तो बदल दी अपनी सोच
कुंवारिया @ पत्रिका. राजनगर क्षेत्र में रहने वाले बसंत पालीवाल (45) के जीवन में हुई एक घटना ने उन्हें कुछ इस प्रकार प्रभावित किया कि महत 15 वर्ष के दौरान उन्होंने 54 बार रक्तदान करते हुए कई लोगों का जीवन का बचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर दिया। पालीवाल ने बताया कि डेढ़ दशक पूर्व अहमदाबाद में मित्र की बेटी को रक्त की आवश्यकता थी। लेकिन, उसे समय पर रक्त नहीं मिलने से काफी अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। मित्र की बेटी के लिए रक्त को लेकर हुई परेशानी की घटना ने उनके हृदय को इस प्रकार से विचलित किया कि उन्होंने प्रण ले लिया कि जब तक शरीर स्वस्थ एवं क्षमतावान रहेगा तब तक रक्तदान करेंगे। रक्तदाता पालीवाल ने बताया कि 10 दिन पूर्व ही उन्होंने जीवन में 54वीं बार रक्तदान किया है। उन्होंने आमजन से भी यही अपील की है कि औरों के लिए काम आए वही जीवन महत्वपूर्ण है। उन्होंने आमजन से समय-समय पर रक्तदान करने का आह्वान किया।
बहनोई को पड़ी रक्त की जरूरत तो बदला रक्तदान के प्रति मन
राजनगर क्षेत्र में रहने वाले टेलरिंग और कपड़े का व्यवसाय करने वाले लिलेश खत्री (54) ने जीवन में 37 बार से अधिक रक्तदान करके औरों की मुस्कान को बनाए रखने का कार्य किया है। रक्तदाता खत्री ने बताया कि 1996 में बहनोई को उदयपुर चिकित्सालय में रक्त की आवश्यकता हुई थी। इस समय रक्त की व्यवस्था करने में हुई परेशानी की स्थिति ने उन्हें रक्तदान के प्रति प्रेरित किया। उन्होंने निश्चय किया कि जिस तरह उन्हें परेशानी हो रही है कोई अन्य अपने का जीवन बचाने के लिए इस तरह परेशान न हो, इसके लिए वे नियमित रूप से रक्तदान करेंगे। इस प्रण के बाद वे अब तक 37 बार से अधिक रक्तदान कर चुके हैं। साथ ही उनकी प्रेरणा से छोटे भाई प्रदीप खत्री व परिवार के अन्य सदस्य भी कई बार रक्तदान कर लोगों को नया जीवन देने में पीछे नहीं रहे। रक्तदाता खत्री ने बताया कि रक्त का जीवन में कोई मोल नहीं है, रक्तदान से बड़ा दान कुछ नहीं है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान अवश्य करना चाहिए ताकि किसी का जीवन बच सके।
मां को समय पर मिला रक्त, अब पूरा परिवार करता है रक्तदान
राजसमंद के उपनगर धोइंदा में रहने वाले रमेशचंद्र कुमावत (47) खाद-बीज का व्यवसाय करते हैं। उन्होंने जीवन में 25 से अधिक बार रक्तदान करके औरों का जीवन बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। कुमावत ने बताया कि 2003 में अहमदाबाद चिकित्सालय में मां के बीमार होने पर 18 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ी थी। उस समय रक्त की उपलब्धता को लेकर कुछ परेशानी भी हुई थी। इस पर उन्होंने स्वयं एवं उनके परिवार व मित्रों के माध्यम से ब्लड बैंक को 4 दिन में 18 यूनिट रक्त पुन: दिया गया था। मां को समय पर रक्त मिलने पर वे स्वयं भी रक्तदान के लिए इस तरह प्रेरित हुए कि तब से लेकर अब तक 25 बार रक्तदान कर चुके हैं। रक्तदाता कुमावत की प्रेरणा से परिवार के अन्य सदस्य भी सतत रूप से रक्तदान करते हैं। रक्तदाता कुमावत ने कहा कि जीवन क्षण भंगुर है अपना रक्त किसी और के काम आए इससे बड़ा पुण्य का कार्य और कुछ नहीं हो सकता।

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